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सरकार के इस फैसले से आपका मोबाइल बिल भी हो सकता है कम - स्पेक्ट्रम

केंद्र सरकार ने टेलीकॉम सेक्टर को राहत दी है. क्या इसका फायदा टेलीकॉम सेक्टर के उपभोक्ताओं को भी होगा ? क्या आपका मोबाइल बिल कम या डेटा सस्ता होने के आसार हैं ? आखिर क्या हैं सरकार के फैसले और उसका बाजार और उपभोक्ताओं पर क्या असर पड़ेगा ? जानने के लिए पढ़िये पूरी ख़बर

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Published : Sep 15, 2021, 5:51 PM IST

हैदराबाद: केंद्र सरकार ने टेलीकॉम सेक्टर में सुधार के लिए कई बड़े सुधारों को मंजूरी दी है. केंद्र सरकार ने टेलीकॉम कंपनियों के लिए कई राहतभरी घोषणाएं की हैं. लेकिन सवाल है कि क्या टेलीकॉम कंपनियों को मिली सरकारी राहत का फायदा आप और हम यानि उपभोक्ता तक भी पहुंचेगा ? सबसे पहले आपको केंद्रीय कैबिनेट के उन फैसलों के बारे में बताते हैं जो टेलीकॉम सेक्टर को राहत पहुंचाने के लिे किए गए हैं.

टेलीकॉम सेक्टर के लिए सरकार के कुछ बड़े फैसले

1. AGR से गैर दूरसंचार राजस्व (non telecom revenue) को बाहर रखा जाएगा.

2. 1 अक्टूबर,2021 से लाइसेंस फीस/स्पेक्ट्रम उपयोग की फीस के देर से भुगतान पर ब्याज दर कम की गई है. ब्याज का अब मासिक नहीं बल्कि वार्षिक भुगतान किया जाएगा. जुर्माना और जुर्माने पर ब्याज हटाया जाएगा.

3. भविष्य की नीलामी में, स्पेक्ट्रम की अवधि 20 से बढ़ाकर 30 वर्ष की गई है.

4. स्पेक्ट्रम शेयरिंग को बढ़ावा देने के लिए स्पेक्ट्रम साझेदारी के लिए 0.5 फीसदी स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क हटाया गया

5. निवेश को बढ़ावा देने के लिए 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति दी गई है.

टेलीकॉम सेक्टर में सुधार के लिए सरकार ने लिए बड़े फैसले
टेलीकॉम सेक्टर में सुधार के लिए सरकार ने लिए बड़े फैसले

लेकिन सबसे बड़ी राहत ये है

टेलीकॉम सेक्टर के केंद्र सरकार ने जो सबसे बड़ी राहत है वो है एजीआर का बकाया चुकाने के लिए 4 साल की मोहलत दी है. टेलीकॉम कंपनियों ने AGR यानि एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू की रकम चुकाने के लिए समय मांगा था. सरकार ने कंपनियों को चार साल का वक्त दिया है. जो टेलीकॉम कंपनियों के लिए मौजूदा दौर में सबसे बड़ी राहत है.

क्या होता है AGR ?

एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा टेलीकॉम कंपनियों से लिया जाने वाला यूजेज और लाइसेंसिग फीस है. इसके दो हिस्से होते हैं- स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज और लाइसेंसिंग फीस, एक निश्चित दर के हिसाब से सरकार टेलीकॉम कंपनियों से AGR वसूलती है.

सरकार के फैसले से ग्राहकों को भी होगा फायदा ?

किस कंपनी पर कितना बकाया ?

दूरसंचार विभाग के मुताबिक टेलीकॉम कंपनियों पर 1,19,292 करोड़ रुपये बकाया था. जिसमें से 25,896 करोड़ रुपये चुका दिए गए हैं, जबकि 93,250 करोड़ रुपये चुकाने बाकी हैं. भारती एयरटेल पर 25,916 करोड़ रुपये, वोडाफोन-आइडिया पर 51,400 करोड़ रुपये और टाटा टेली सर्विसेज पर 12,601 करोड़ रुपये बकाया हैं. रिलायंस जियो ने टेलीकॉम सेक्टर में साल 2016 में ही कदम रखा है, जियो का एजीआर बकाया मामूली थो जिसे कंपनी ने चुका दिया था.

क्या कम होने वाला है आपका मोबाइल बिल ?

केंद्र सरकार ने टेलीकॉम सेक्टर में रिफॉर्म को लेकर कई बड़े फैसले किए हैं. जिससे टेलीकॉम कंपनियों को राहत मिलना तय है लेकिन सवाल है कि क्या इसका फायदा आपको भी होगा ?

टेलीकॉम एक्सपर्ट वेद जैन कहते हैं कि सरकार के फैसलों में से कंपनियों के लिए सबसे बड़ी राहत एजीआर का बकाया चुकाने के लिए दी गई चार साल की मोहलत है. वेद जैन के मुताबिक मौजूदा दौर में जियो को छोड़कर अन्य दो बड़ी कंपनियों भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया की हालत बहुत ज्यादा अच्छी नहीं है. खासकर वोडाफोन-आइडिया पर सरकार का सबसे ज्यादा बकाया है, अगर सरकार ये राहत नहीं देती तो उसका असर उपभोक्ताओं पर पड़ना लाजमी था, क्योंकि करोड़ों के बकाये का भार कंपनियां ग्राहकों पर ही डालती हैं. जिससे बिल से लेकर टैरिफ तक का महंगा होना लाजमी था.

सरकार के फैसले का आपको भी होगा फायदा ?
सरकार के फैसले का आपको भी होगा फायदा ?

वेद जैन के मुताबिक जब बाजार में दो या अधिक कंपनियां होने से प्रतिस्पर्धा से उपभोक्ता को ही फायदा होगा. जैसा कि जियो के आने के वक्त हुआ था. लेकिन एजीआर के रूप में सरकार को दिए जाने वाले बकाये के लगातार बढ़ने से कंपनियों के आगे बाजार में टिके रहने की मुश्किल खड़ी हो गई. ऐसी स्थिति में कंपनिया इसका बोझ ग्राहकों पर डालती है, वरना कंपनियों के लिए बाजार में बने रहना नामुमकिन हो जाता है. सरकार ने जो राहत दी है उससे कंपनियां बाजार में टिकी रहेंगी और हो सकता है कि इसका फायदा आने वाले दिनों में ग्राहकों को भी मिले.

दरअसल साल 2016 में जब जियो टेलीकॉाम मार्किट में उतरी तो उसने पहले मुफ्त और फिर सस्ते टैरिफ से एयरटेल से लेकर वोडाफोन और आइडिया समेत तमाम कंपनियों के मार्किट शेयर में बड़ी सेंधमारी की. जिसके बाद एक वक्त ऐसा भी आया कि बाजार में बने रहने के लिए वोडाफोन और आइडिया को हाथ मिलाना पड़ा. वेद जैन कहते हैं कि बाजार में एक ही कंपनी का होना ग्राहकों के लिए फायदेमंद नहीं है. अब निजी क्षेत्र की तीन टेलीकॉम कंपनियां बाजार में हैं. बाजार में प्रतिस्पर्धा बनी रहे, इसके लिए तीनों कंपनियों का बने रहना जरूरी है. सरकार के राहत भरे ऐलान से आर्थिक नुकसान झेल रही कंपनियों को भी राहत मिली है. बाजार में प्रतिस्पर्धा का ही नतीजा है कि आज भारत में डेटा प्लान और कॉल दरें इतनी सस्ती हैं.

सरकार ने भी टेलीकॉम सेक्टर में सुधार को लेकर ऐलान करते वक्त कहा कि इन फैसलों से टेलीकॉम सेक्टर में विकास होगा, जिससे इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे और ग्राहकों को भी इसका फायदा मिल सकता है. जो डेटा प्लान या टैरिफ सस्ता होने या आपके मोबाइल बिल में कमी के रूप में दिख सकता है.

टेलीकॉम कंपनियों के लिए राहत लाई सरकार
टेलीकॉम कंपनियों के लिए राहत लाई सरकार

सरकार के फैसले से कंपनियों को कैसे मिलेगी राहत ?

1) बकाया चुकाने के लिए 4 साल की राहत- केंद्र सरकार ने एजीआर की बकाया रकम भरने के लिए कंपनियों को 4 साल की मोहलत दे दी है. ये रकम कंपनियों को अगले साल की शुरुआत तक चुकानी थी. ऐसे में सरकार से मिली 4 साल की राहत इन कंपनियों के लिए सबसे बड़ी राहत है.

2) नॉन टेलीकॉम रेवेन्यू AGR से बाहर- दूरसंचार विभाग किसी टेलीकॉम कंपनी के होने वाले संपूर्ण आय या रेवेन्यू के आधार पर AGR की गणना करता है, इसमें संपत्ति की बिक्री जैसे गैर टेलीकॉम स्त्रोत से हुई आय भी शामिल होती है. जबकि कंपनियों की मांग थी कि सिर्फ टेलीकॉम सेवाओं से होने वाली आय के आधार पर ही एजीआर की गणना होनी चाहिए. जिसे सरकार ने मान लिया है और अब नॉन टेलीकॉम रेवेन्यू को एजीआर से बाहर कर दिया गया है.

3) निवेश- स्पेक्ट्रम यूजेज चार्जेस के पेमेंट पर ब्याज को कम किया गया है. अब कंपनियों पर ये ब्याज मासिक नहीं बल्कि सालाना लगेगा. इस फैसले से टेलीकॉम सेक्टर में निवेश की संभावनाएं बढ़ेंगी. इसके अलावा टेलीकॉम सेक्टर में 100 फीसदी FDI को मंजूरी और स्पेक्ट्रम शेयरिंग की मंजूरी से भी इस सेक्टर में निवेश बढ़ने के आसार हैं.

4) मुनाफा- स्पेक्ट्रम शेयरिंग से लेकर, जुर्मान और जुर्माने पर ब्याज खत्म करने और स्पेक्ट्रम की अवधि 20 की जगह 30 साल करने से भी कंपनियों को फायदा होगा.

ये भी पढ़ें: मंत्रिमंडल ने दूरसंचार क्षेत्र के लिए राहत पैकेज को मंजूरी दी

हैदराबाद: केंद्र सरकार ने टेलीकॉम सेक्टर में सुधार के लिए कई बड़े सुधारों को मंजूरी दी है. केंद्र सरकार ने टेलीकॉम कंपनियों के लिए कई राहतभरी घोषणाएं की हैं. लेकिन सवाल है कि क्या टेलीकॉम कंपनियों को मिली सरकारी राहत का फायदा आप और हम यानि उपभोक्ता तक भी पहुंचेगा ? सबसे पहले आपको केंद्रीय कैबिनेट के उन फैसलों के बारे में बताते हैं जो टेलीकॉम सेक्टर को राहत पहुंचाने के लिे किए गए हैं.

टेलीकॉम सेक्टर के लिए सरकार के कुछ बड़े फैसले

1. AGR से गैर दूरसंचार राजस्व (non telecom revenue) को बाहर रखा जाएगा.

2. 1 अक्टूबर,2021 से लाइसेंस फीस/स्पेक्ट्रम उपयोग की फीस के देर से भुगतान पर ब्याज दर कम की गई है. ब्याज का अब मासिक नहीं बल्कि वार्षिक भुगतान किया जाएगा. जुर्माना और जुर्माने पर ब्याज हटाया जाएगा.

3. भविष्य की नीलामी में, स्पेक्ट्रम की अवधि 20 से बढ़ाकर 30 वर्ष की गई है.

4. स्पेक्ट्रम शेयरिंग को बढ़ावा देने के लिए स्पेक्ट्रम साझेदारी के लिए 0.5 फीसदी स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क हटाया गया

5. निवेश को बढ़ावा देने के लिए 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति दी गई है.

टेलीकॉम सेक्टर में सुधार के लिए सरकार ने लिए बड़े फैसले
टेलीकॉम सेक्टर में सुधार के लिए सरकार ने लिए बड़े फैसले

लेकिन सबसे बड़ी राहत ये है

टेलीकॉम सेक्टर के केंद्र सरकार ने जो सबसे बड़ी राहत है वो है एजीआर का बकाया चुकाने के लिए 4 साल की मोहलत दी है. टेलीकॉम कंपनियों ने AGR यानि एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू की रकम चुकाने के लिए समय मांगा था. सरकार ने कंपनियों को चार साल का वक्त दिया है. जो टेलीकॉम कंपनियों के लिए मौजूदा दौर में सबसे बड़ी राहत है.

क्या होता है AGR ?

एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा टेलीकॉम कंपनियों से लिया जाने वाला यूजेज और लाइसेंसिग फीस है. इसके दो हिस्से होते हैं- स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज और लाइसेंसिंग फीस, एक निश्चित दर के हिसाब से सरकार टेलीकॉम कंपनियों से AGR वसूलती है.

सरकार के फैसले से ग्राहकों को भी होगा फायदा ?

किस कंपनी पर कितना बकाया ?

दूरसंचार विभाग के मुताबिक टेलीकॉम कंपनियों पर 1,19,292 करोड़ रुपये बकाया था. जिसमें से 25,896 करोड़ रुपये चुका दिए गए हैं, जबकि 93,250 करोड़ रुपये चुकाने बाकी हैं. भारती एयरटेल पर 25,916 करोड़ रुपये, वोडाफोन-आइडिया पर 51,400 करोड़ रुपये और टाटा टेली सर्विसेज पर 12,601 करोड़ रुपये बकाया हैं. रिलायंस जियो ने टेलीकॉम सेक्टर में साल 2016 में ही कदम रखा है, जियो का एजीआर बकाया मामूली थो जिसे कंपनी ने चुका दिया था.

क्या कम होने वाला है आपका मोबाइल बिल ?

केंद्र सरकार ने टेलीकॉम सेक्टर में रिफॉर्म को लेकर कई बड़े फैसले किए हैं. जिससे टेलीकॉम कंपनियों को राहत मिलना तय है लेकिन सवाल है कि क्या इसका फायदा आपको भी होगा ?

टेलीकॉम एक्सपर्ट वेद जैन कहते हैं कि सरकार के फैसलों में से कंपनियों के लिए सबसे बड़ी राहत एजीआर का बकाया चुकाने के लिए दी गई चार साल की मोहलत है. वेद जैन के मुताबिक मौजूदा दौर में जियो को छोड़कर अन्य दो बड़ी कंपनियों भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया की हालत बहुत ज्यादा अच्छी नहीं है. खासकर वोडाफोन-आइडिया पर सरकार का सबसे ज्यादा बकाया है, अगर सरकार ये राहत नहीं देती तो उसका असर उपभोक्ताओं पर पड़ना लाजमी था, क्योंकि करोड़ों के बकाये का भार कंपनियां ग्राहकों पर ही डालती हैं. जिससे बिल से लेकर टैरिफ तक का महंगा होना लाजमी था.

सरकार के फैसले का आपको भी होगा फायदा ?
सरकार के फैसले का आपको भी होगा फायदा ?

वेद जैन के मुताबिक जब बाजार में दो या अधिक कंपनियां होने से प्रतिस्पर्धा से उपभोक्ता को ही फायदा होगा. जैसा कि जियो के आने के वक्त हुआ था. लेकिन एजीआर के रूप में सरकार को दिए जाने वाले बकाये के लगातार बढ़ने से कंपनियों के आगे बाजार में टिके रहने की मुश्किल खड़ी हो गई. ऐसी स्थिति में कंपनिया इसका बोझ ग्राहकों पर डालती है, वरना कंपनियों के लिए बाजार में बने रहना नामुमकिन हो जाता है. सरकार ने जो राहत दी है उससे कंपनियां बाजार में टिकी रहेंगी और हो सकता है कि इसका फायदा आने वाले दिनों में ग्राहकों को भी मिले.

दरअसल साल 2016 में जब जियो टेलीकॉाम मार्किट में उतरी तो उसने पहले मुफ्त और फिर सस्ते टैरिफ से एयरटेल से लेकर वोडाफोन और आइडिया समेत तमाम कंपनियों के मार्किट शेयर में बड़ी सेंधमारी की. जिसके बाद एक वक्त ऐसा भी आया कि बाजार में बने रहने के लिए वोडाफोन और आइडिया को हाथ मिलाना पड़ा. वेद जैन कहते हैं कि बाजार में एक ही कंपनी का होना ग्राहकों के लिए फायदेमंद नहीं है. अब निजी क्षेत्र की तीन टेलीकॉम कंपनियां बाजार में हैं. बाजार में प्रतिस्पर्धा बनी रहे, इसके लिए तीनों कंपनियों का बने रहना जरूरी है. सरकार के राहत भरे ऐलान से आर्थिक नुकसान झेल रही कंपनियों को भी राहत मिली है. बाजार में प्रतिस्पर्धा का ही नतीजा है कि आज भारत में डेटा प्लान और कॉल दरें इतनी सस्ती हैं.

सरकार ने भी टेलीकॉम सेक्टर में सुधार को लेकर ऐलान करते वक्त कहा कि इन फैसलों से टेलीकॉम सेक्टर में विकास होगा, जिससे इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे और ग्राहकों को भी इसका फायदा मिल सकता है. जो डेटा प्लान या टैरिफ सस्ता होने या आपके मोबाइल बिल में कमी के रूप में दिख सकता है.

टेलीकॉम कंपनियों के लिए राहत लाई सरकार
टेलीकॉम कंपनियों के लिए राहत लाई सरकार

सरकार के फैसले से कंपनियों को कैसे मिलेगी राहत ?

1) बकाया चुकाने के लिए 4 साल की राहत- केंद्र सरकार ने एजीआर की बकाया रकम भरने के लिए कंपनियों को 4 साल की मोहलत दे दी है. ये रकम कंपनियों को अगले साल की शुरुआत तक चुकानी थी. ऐसे में सरकार से मिली 4 साल की राहत इन कंपनियों के लिए सबसे बड़ी राहत है.

2) नॉन टेलीकॉम रेवेन्यू AGR से बाहर- दूरसंचार विभाग किसी टेलीकॉम कंपनी के होने वाले संपूर्ण आय या रेवेन्यू के आधार पर AGR की गणना करता है, इसमें संपत्ति की बिक्री जैसे गैर टेलीकॉम स्त्रोत से हुई आय भी शामिल होती है. जबकि कंपनियों की मांग थी कि सिर्फ टेलीकॉम सेवाओं से होने वाली आय के आधार पर ही एजीआर की गणना होनी चाहिए. जिसे सरकार ने मान लिया है और अब नॉन टेलीकॉम रेवेन्यू को एजीआर से बाहर कर दिया गया है.

3) निवेश- स्पेक्ट्रम यूजेज चार्जेस के पेमेंट पर ब्याज को कम किया गया है. अब कंपनियों पर ये ब्याज मासिक नहीं बल्कि सालाना लगेगा. इस फैसले से टेलीकॉम सेक्टर में निवेश की संभावनाएं बढ़ेंगी. इसके अलावा टेलीकॉम सेक्टर में 100 फीसदी FDI को मंजूरी और स्पेक्ट्रम शेयरिंग की मंजूरी से भी इस सेक्टर में निवेश बढ़ने के आसार हैं.

4) मुनाफा- स्पेक्ट्रम शेयरिंग से लेकर, जुर्मान और जुर्माने पर ब्याज खत्म करने और स्पेक्ट्रम की अवधि 20 की जगह 30 साल करने से भी कंपनियों को फायदा होगा.

ये भी पढ़ें: मंत्रिमंडल ने दूरसंचार क्षेत्र के लिए राहत पैकेज को मंजूरी दी

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