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वापस लौट रहे प्रवासी मजदूरों को उनके खुद के राज्यों में रोजगार दें सरकारें : इंटक - नई दिल्ली

राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस (इटंक) के अध्यक्ष केएन त्रिपाठी ने कहा की कोरोना संकट एवं लॉकडाउन में करोड़ों प्रवासी मजदूर लौटकर अपने अपने राज्यों में जा रहे हैं. उनका कामकाज ठप हो गया है. उनके पास रोजगार का कोई साधन नहीं है. राज्य सरकार उन्हें रोजगार दें.

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Published : May 7, 2021, 8:33 PM IST

Updated : May 8, 2021, 9:56 AM IST

नई दिल्ली : राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस (इटंक) के अध्यक्ष केएन त्रिपाठी ने कहा कि सभी राज्य सरकारों से हमारी मांग है कि वापस लौट रहे मजदूरों को उनके खुद के राज्यों में रोजगार दिया जाए. हुनर के हिसाब से राज्यों में रोजगार दिया जाए ताकि उनको दूसरे राज्यों में रोजगार के लिए पलायन करने की जरुरत न पड़े.

उन्होंने कहा की ज्यादातर प्रवासी मजदूर कोरोना संक्रमित हो गए हैं. महंगे अस्पतालों के कारण इलाज नहीं करवा पा रहे हैं. उन लोगों के पास पैसे भी नहीं हैं. उन्होंने कहा कि पिछले साल बिना राशन कार्ड वाले प्रवासी मजदूरों को भी मुफ्त राशन मिला था. केंद्र सरकार इस बार नहीं दे रही है.

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प्रवासी मजदूरों के खाते में 5 या 7 हजार रुपये भी नहीं डाले जा रहे हैं. मजदूरों एवं उनके परिजनों को इस कारण कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि इसलिए राज्य सरकारों से आग्रह है कि प्रवासी मजदूरों को राज्यों में ही रोजगार दीजिए ताकि उनके पास पैसा हो सके और अन्न का संकट न पैदा हो.

यह भी पढ़ें-जिम्मेदारियों से पीछे हटी केंद्र सरकार, बुलाई जाए सर्वदलीय बैठक : सोनिया गांधी

इस आपात स्थिति में प्रवासी मजदूरों को भगवान भरोसे मत छोड़िए. सभी राज्य सरकारें हरसंभव मदद करे. हमलोगों के पास अलग अलग राज्यों से प्रवासी मजदूरों के लगातार फोन आ रहे हैं. मदद की गुहार लगाते हैं. अपने स्तर पर भी हम लोग सहायता कर रहे हैं.

नई दिल्ली : राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस (इटंक) के अध्यक्ष केएन त्रिपाठी ने कहा कि सभी राज्य सरकारों से हमारी मांग है कि वापस लौट रहे मजदूरों को उनके खुद के राज्यों में रोजगार दिया जाए. हुनर के हिसाब से राज्यों में रोजगार दिया जाए ताकि उनको दूसरे राज्यों में रोजगार के लिए पलायन करने की जरुरत न पड़े.

उन्होंने कहा की ज्यादातर प्रवासी मजदूर कोरोना संक्रमित हो गए हैं. महंगे अस्पतालों के कारण इलाज नहीं करवा पा रहे हैं. उन लोगों के पास पैसे भी नहीं हैं. उन्होंने कहा कि पिछले साल बिना राशन कार्ड वाले प्रवासी मजदूरों को भी मुफ्त राशन मिला था. केंद्र सरकार इस बार नहीं दे रही है.

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प्रवासी मजदूरों के खाते में 5 या 7 हजार रुपये भी नहीं डाले जा रहे हैं. मजदूरों एवं उनके परिजनों को इस कारण कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि इसलिए राज्य सरकारों से आग्रह है कि प्रवासी मजदूरों को राज्यों में ही रोजगार दीजिए ताकि उनके पास पैसा हो सके और अन्न का संकट न पैदा हो.

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इस आपात स्थिति में प्रवासी मजदूरों को भगवान भरोसे मत छोड़िए. सभी राज्य सरकारें हरसंभव मदद करे. हमलोगों के पास अलग अलग राज्यों से प्रवासी मजदूरों के लगातार फोन आ रहे हैं. मदद की गुहार लगाते हैं. अपने स्तर पर भी हम लोग सहायता कर रहे हैं.

Last Updated : May 8, 2021, 9:56 AM IST
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