भोपाल : तीन दिन से जारी जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल का चौथा दिन आज काफी गहमागहमी भरा रहा. इस मामले में जबलपुर हाईकोर्ट में फाइल की गई पिटीशन पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को अवैध करार देते हुए उन्हें 24 घंटे के भीतर काम पर लौटने का अल्टीमेटम दिया,लेकिन हड़ताली डॉक्टर नहीं माने और उन्होंने बड़ी संख्या में सामूहिक इस्तीफा दे दिया. डॉक्टरों के अपनी मांगे न माने जाने तक हड़ताल खत्म न करने के फैसले के बाद सरकार ने हड़ताली डॉक्टरों के खिलाफ सख्त एक्शन लिया है. जिसमें 400 से ज्यादा डॉक्टरों को बर्खास्त कर दिया गया है. इसके अलावा हॉस्टलों में रह रहे डॉक्टरों को भी नोटिस जारी कर हॉस्टल खाली करने को कहा जा रहा है.
हड़ताली डॉक्टरों पर सरकार का बड़ा एक्शन
डॉक्टरों के अपनी मांग पर अड़े रहने के बाद सरकार ने हड़ताली डॉक्टरों के खिलाफ बड़ा एक्शन है. जिसमें कई जिलों के मेडिकल कॉलेज में पीजी फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स को बर्खास्त कर दिया है. इनमें ग्वालियर के गजराराजा मेडिकल कॉलेज के 71, इंदौर के महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज के 92, गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल के 95, नेताजी सुभाषचंद्र बोस कॉलेज जबलपुर के 37 और श्यामशाह कॉलेज रीवा के 173 पीजी स्टूडेंट्स शामिल हैं. इससे पहले सरकार की सख्ती को देखते हुए प्रदेश भर में 3 हजार से ज्यादा मेडिकल स्टूडेंट्स ने इस्तीफा देने का एलान किया था. शाम तक कई शहरों से लगभग 400 से ज्यादा जूनियर डॉक्टरों ने इस्तीफा सौंप दिया था. जिनके नामांकन कैंसिल करने के लिए संबंधित यूनिवर्सिटीज को लेटर जारी कर दिया गया था. बर्खास्तगी की कार्रवाई के बाद अब पीजी फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स एग्जाम नहीं दे पाएंगे.
जूडा एसोसिएशन ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस
जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष अरविंद मीणा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया था कि सरकार ने हमारी मांगे नहीं मानी हैं चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग सिर्फ आश्वासन दे रहे हैं. ऐसे में हमारे पास हड़ताल के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था. मीणा का कहना था कि वे इस मामले में सीएम शिवराज सिंह से दखल देने की मांग करते हैं. मीणा ने इस पूरे मामले को सुप्रीम तक लेकर जाने की भी बात कहते नजर आए. उनका कहना है कि जब तक सरकार उनकी मांग नहीं मानती है, तब तक आंदोलन जारी रहेगा. डॉ. अरविंद मीणा का कहना है कि जूनियर डॉक्टर हड़ताल करना ही नहीं चाहते, लेकिन सरकार की तरफ से ना तो हमारी मांगों पर चर्चा के लिए बुलाया गया और ना ही कोई बातचीत की गई. हमारा कहना है कि सरकार हमारी मांगों पर आदेश जारी करें, हम हड़ताल खत्म कर देंगे. जूडा की हड़ताल को मेडिकल टीचर एसोसिएशन का भी समर्थन मिल रहा है. मेडिकल टीचर्स ने भी हड़ताल पर जाने का संकेत दिया है.
ऐसा रहा हड़ताल के चौथा दिन का घटनाक्रम
- प्रदेश के 6 मेडिकल कॉलेज में जारी जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल का गुरुवार को चौथा था. सुबह होते ही इस मामले में चिकित्सा शिक्षा विभाग ने अपनी बात रखते हुए जूडा को कानून के अनुसार कार्रवाई करने की चेतावनी दी.
- दोपहर में हाईकोर्ट में डॉक्टरों की हड़ताल के खिलाफ डाली गई याचिका पर सुनवाई हुई.
- हाईकोर्ट ने अपने फैसले में डॉक्टरों की हडॉताल को अवैध करार देते हुए उन्हें काम पर वापस लौटने के लिए 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया.
- हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रदेश में 400 से ज्यादा जूनियर डॉक्टरों ने कॉलेज के डीन को अपना इस्तीफा सौंपा.
- डीन ने इन इस्तीफों के बाद यूनिवर्सिटीज को इन हड़ताली डॉक्टरों ने नामांकन रद्द करने की कार्रवाई करने कहा.
- सरकार ने हडॉताली डॉक्टरों पर सख्ती दिखाते हुए हॉस्टल्स में रह रहे और हड़ताल में शामिल जूनियर डॉक्टरों को हॉस्टल खाली करने के नोटिस जारी करने का फैसला लिया.
- कई डॉक्टरों को हॉस्टल खाली करने का नोटिस जारी किए जाने की खबर भी सामने आई.
ये हैं जूडा की मांगें
- जूनियर डॉक्टरों की मांग है कि उनको मिलने वाले स्टाइपेंड में 24 फीसदी की बढ़ोत्तरी की जाए और इसे 55 हजार से बढ़ाकर 68 हजार और 57 हजार से बढ़ाकर 70 और 59 से बढ़ाकर 73 हजार किया जाए.
- स्टाइपेंड में हर साल वार्षिक 6 प्रतिशत की वार्षिक बढ़ोतरी की जाए. वहीं राज्य सरकार का कहना है कि वह कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स केअनुसार बढ़ोतरी कर रही है, दोनों ही बातों में ज्यादा फर्क नहीं है लेकिन फिर भी गतिरोध बना हुआ है.
- पीजी करने के बाद 1 साल के ग्रामीण बांड को कोविड ड्यूटी से बदला जाए.
- इसके लिए एक कमेटी बनाई जाए, जिसमें जूडा के प्रतिनिधि भी शामिल हों.
- कोविड ड्यूटी करने वाले जूनियर डॉक्टर को सरकारी नौकरी में प्राथमिकता दी जाए.
- कोविड ड्यूटी करने वाले जूनियर डॉक्टर और उनके परिवार के लिए अस्पताल में एक एरिया और बेड रिजर्व किया जाए जहां नि:शुल्क इलाज उपलब्ध कराया जाए.
सरकार पर वादे से मुकरने का आरोप
हडॉताल में शामिल प्रदेश के 6 मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर 6 सूत्रीय मांगों को लेकर सोमवार से हड़ताल पर हैं. उनका आरोप है कि सरकार ने 6 मई को उनकी मांगों को मानने का आश्वासन दिया था, लेकिन सरकार बाद में अपनी बात से मुकर गई है.
सरकारी स्तर पर विफल रही बातचीत
गुरूवार को भी भोपाल में जूनियर डॉक्टर को मनाने का दौर लगातार जारी रहा. वल्लभ भवन में दोपहर बाद जूनियर डॉक्टरों और हेल्थ कमिश्नर की मुलाकात हुई, लेकिन यह बैठक बेनतीजा रही. जूनियर डॉक्टर्स का कहना था कि जब तक उन्हें सरकार की तरफ से लिखित में पत्र नहीं मिलता तब तक वह हड़ताल वापस नहीं लेंगे.
दूसरे राज्यों से भी मिल रहा हड़ताल को समर्थन
मध्य प्रदेश में जारी जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल को पूरे देश भर से समर्थन मिल रहा है. आईएमए की मध्य प्रदेश बॉडी के बाद कर्नाटक और लखनऊ के जूनियर डॉक्टर ने भी जूडा की हड़ताल का समर्थन किया है. वहीं अन्य सीनियर डॉक्टर्स की एसोसिएशन भी इनके समर्थन में आ गई है.