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सरकार को टीकाकरण के लिए सभी संसाधनों का उपयोग करना चाहिए : विशेषज्ञ

देशभर में कोरोना संक्रमण के मामलों में भारी उछाल के बीच स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कोरोना टीकाकरण प्रक्रिया में तेजी लाने पर जोर दिया है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को ज्यादा से ज्यादा टीकाकरण के किएल सभी उपलब्ध संसाधनों का इस्तेमाल करना चाहिए. विस्तार से जानें कोरोना टीकाकरण पर स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय...

कोरोना टीकाकरण
कोरोना टीकाकरण
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Published : Apr 8, 2021, 3:32 AM IST

नई दिल्ली : भारतीय स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि कोरोना टीकाकरण प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए सभी संसाधनों (सरकारी व निजी अस्पतालों) का उपयोग किया जाए. विशेषज्ञों ने माना है कि प्रारंभिक चरण में टीकाकरण प्रक्रिया बहुत धीमी थी.

16 जनवरी से, कोविड-19 टीकाकरण अभियान शुरू होने के बाद अब तक देशभर में 8.83 करोड़ खुराक दी जा चुकी है.

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की वरिष्ठ सलाहकार डॉ. सुनीला गर्ग ने कहा, हमें टीकाकरण के लिए विविध नवीन रणनीतियों को अपनाना होगा. हमारे पास 540 से अधिक मेडिकल कॉलेज और 60 पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल कॉलेज हैं. हर कॉलेज की अपनी क्षेत्रीय पहुंच है. उन्हें टीकाकरण के लिए संबंधित आयु वर्ग के लोगों को अपने केंद्र में लाने का काम सौंपा जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि कोरोना टीकाकरण ने प्रारंभिक चरण में खराब प्रतिशत दर्ज किया, लेकिन अब इसमें तेजी दिख रही है.

डॉ. गर्ग ने कहा, हमें अच्छी प्रभावकारिता वाले दो टीके मिले. शुरुआत में, टीकाकरण प्रक्रिया इसलिए भी धीमी थी, क्योंकि लोगों के मन में वैक्सीन को लेकर संकोच था. लोग इसके संभावित दुष्प्रभावों के कारण वैक्सीन लेने से हिचकिचा रहे थे.

महाराष्ट्र, पंजाब और दिल्ली में टीकाकरण बहुत कम
बुधवार को कोरोना वैक्सीन की 13.14 लाख खुराक लाभार्थियों को दी गई. हालांकि, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना कि महाराष्ट्र, पंजाब और दिल्ली में टीकाकरण की संख्या बहुत कम है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने टीकाकरण प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए इन राज्यों को तीन अलग-अलग पत्र लिखे हैं.

ईटीवी भारत से बात करते हुए एशियन सोसाइटी फॉर इमरजेंसी मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ. तमोरिश कोल ने भी कहा कि वैक्सीन को लेकर लोगों के मन में संकोच टीकाकरण की धीमी गति का मुख्य कारण था.

डॉ. कोल ने कहा, पंजीकरण के लिए डिजिटल ऐप होने के बावजूद, शुरुआत में टीकाकरण की गति धीमी रही. उम्मीद है कि कोरोना की मौजूदा स्थिति को देखते हुए हर पात्र नागरिक अब टीकाकरण के लिए आगे आएगा.

कोरोना वायरस के मामलों में वृद्धि का जिक्र करते हुए, डॉ. कोल ने सुझाव दिया कि वैक्सीन की खुराक अधिक से अधिक लोगों को दी जानी चाहिए.

उन्होंने आगे कहा कि बड़े पैमाने पर कोरोना परीक्षण, संक्रमितों की पहचान और उपचार की रणनीति अपनानी चाहिए. लोगों के सामूहिक जमावड़े को रोका जाना चाहिए. साथ ही, कोरोना को लेकर उचित व्यवहार सुनिश्चित किया जाना चाहिए.

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर तेजी से फैल रही है. घटनाओं से संकेत मिलता है कि युवा, बच्चे और गर्भवती महिलाएं भी कोरोना से संक्रमित हो रही हैं.

कार्यस्थल पर टीकाकरण शुरू करने का निर्देश
इस बीच, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र भेजकर कार्य स्थलों पर टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए कहा है. राज्यों के मुख्य सचिवों और स्वास्थ्य सचिवों को भेजे पत्र में भूषण ने 11 अप्रैल से कार्यस्थल पर टीकाकरण शुरू करने के लिए निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के नियोक्ताओं और प्रबंधन के साथ उचित परामर्श करने का सुझाव दिया है.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कार्यस्थल का टीकाकरण केंद्रों के रूप में उपयोग करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं.

जिसमें कहा गया है कि जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता वाली जिला टास्क फोर्स और नगरपालिका आयुक्त की अध्यक्षता वाली शहरी टास्क फोर्स संबंधित नियोक्ताओं के साथ विचार-विमर्श के बाद ऐसे सरकारी और निजी कार्य स्थल की पहचान करेगी.

यह भी पढ़ें- कोविड-19 : पंजाब में नाइट कर्फ्यू की घोषणा, राजनीतिक कार्यक्रमों पर रोक

दिशानिर्देश में कहा गया है कि कार्य स्थल पर टीकाकरण के लिए केवल 45 वर्ष या उससे अधिक आयु वर्ग के कर्मचारी ही पात्र होंगे.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिशानिर्देश में यह भी कहा है कि कार्यस्थल पर टीकाकरण के लिए पात्र व्यक्ति के परिवार के सदस्यों सहित किसी भी बाहरी व्यक्ति को अनुमति नहीं दी जाएगी.

नई दिल्ली : भारतीय स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि कोरोना टीकाकरण प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए सभी संसाधनों (सरकारी व निजी अस्पतालों) का उपयोग किया जाए. विशेषज्ञों ने माना है कि प्रारंभिक चरण में टीकाकरण प्रक्रिया बहुत धीमी थी.

16 जनवरी से, कोविड-19 टीकाकरण अभियान शुरू होने के बाद अब तक देशभर में 8.83 करोड़ खुराक दी जा चुकी है.

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की वरिष्ठ सलाहकार डॉ. सुनीला गर्ग ने कहा, हमें टीकाकरण के लिए विविध नवीन रणनीतियों को अपनाना होगा. हमारे पास 540 से अधिक मेडिकल कॉलेज और 60 पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल कॉलेज हैं. हर कॉलेज की अपनी क्षेत्रीय पहुंच है. उन्हें टीकाकरण के लिए संबंधित आयु वर्ग के लोगों को अपने केंद्र में लाने का काम सौंपा जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि कोरोना टीकाकरण ने प्रारंभिक चरण में खराब प्रतिशत दर्ज किया, लेकिन अब इसमें तेजी दिख रही है.

डॉ. गर्ग ने कहा, हमें अच्छी प्रभावकारिता वाले दो टीके मिले. शुरुआत में, टीकाकरण प्रक्रिया इसलिए भी धीमी थी, क्योंकि लोगों के मन में वैक्सीन को लेकर संकोच था. लोग इसके संभावित दुष्प्रभावों के कारण वैक्सीन लेने से हिचकिचा रहे थे.

महाराष्ट्र, पंजाब और दिल्ली में टीकाकरण बहुत कम
बुधवार को कोरोना वैक्सीन की 13.14 लाख खुराक लाभार्थियों को दी गई. हालांकि, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना कि महाराष्ट्र, पंजाब और दिल्ली में टीकाकरण की संख्या बहुत कम है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने टीकाकरण प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए इन राज्यों को तीन अलग-अलग पत्र लिखे हैं.

ईटीवी भारत से बात करते हुए एशियन सोसाइटी फॉर इमरजेंसी मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ. तमोरिश कोल ने भी कहा कि वैक्सीन को लेकर लोगों के मन में संकोच टीकाकरण की धीमी गति का मुख्य कारण था.

डॉ. कोल ने कहा, पंजीकरण के लिए डिजिटल ऐप होने के बावजूद, शुरुआत में टीकाकरण की गति धीमी रही. उम्मीद है कि कोरोना की मौजूदा स्थिति को देखते हुए हर पात्र नागरिक अब टीकाकरण के लिए आगे आएगा.

कोरोना वायरस के मामलों में वृद्धि का जिक्र करते हुए, डॉ. कोल ने सुझाव दिया कि वैक्सीन की खुराक अधिक से अधिक लोगों को दी जानी चाहिए.

उन्होंने आगे कहा कि बड़े पैमाने पर कोरोना परीक्षण, संक्रमितों की पहचान और उपचार की रणनीति अपनानी चाहिए. लोगों के सामूहिक जमावड़े को रोका जाना चाहिए. साथ ही, कोरोना को लेकर उचित व्यवहार सुनिश्चित किया जाना चाहिए.

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर तेजी से फैल रही है. घटनाओं से संकेत मिलता है कि युवा, बच्चे और गर्भवती महिलाएं भी कोरोना से संक्रमित हो रही हैं.

कार्यस्थल पर टीकाकरण शुरू करने का निर्देश
इस बीच, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र भेजकर कार्य स्थलों पर टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए कहा है. राज्यों के मुख्य सचिवों और स्वास्थ्य सचिवों को भेजे पत्र में भूषण ने 11 अप्रैल से कार्यस्थल पर टीकाकरण शुरू करने के लिए निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के नियोक्ताओं और प्रबंधन के साथ उचित परामर्श करने का सुझाव दिया है.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कार्यस्थल का टीकाकरण केंद्रों के रूप में उपयोग करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं.

जिसमें कहा गया है कि जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता वाली जिला टास्क फोर्स और नगरपालिका आयुक्त की अध्यक्षता वाली शहरी टास्क फोर्स संबंधित नियोक्ताओं के साथ विचार-विमर्श के बाद ऐसे सरकारी और निजी कार्य स्थल की पहचान करेगी.

यह भी पढ़ें- कोविड-19 : पंजाब में नाइट कर्फ्यू की घोषणा, राजनीतिक कार्यक्रमों पर रोक

दिशानिर्देश में कहा गया है कि कार्य स्थल पर टीकाकरण के लिए केवल 45 वर्ष या उससे अधिक आयु वर्ग के कर्मचारी ही पात्र होंगे.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिशानिर्देश में यह भी कहा है कि कार्यस्थल पर टीकाकरण के लिए पात्र व्यक्ति के परिवार के सदस्यों सहित किसी भी बाहरी व्यक्ति को अनुमति नहीं दी जाएगी.

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