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सरकार ने राज्यसभा में कहा : उच्चतम न्यायालय में 11000 से अधिक 'मामले' लंबित

राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड (एनजेडीजी) के आंकड़ों का हवाला देते हुए केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने गुरुवार को राज्यसभा को बताया कि इसी तरह 25 उच्च न्यायालयों में 8.77 लाख दीवानी और 3.74 लाख फौजदारी मामले 10 साल से अधिक समय से लंबित हैं.

Supreme Court has more than 11000 'cases' pending for more than 10 years
सरकार ने राज्यसभा में कहा
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Published : Dec 9, 2022, 6:47 AM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने गुरुवार को राज्यसभा को बताया कि 11000 से अधिक 'मामले' उच्चतम न्यायालय में 10 साल से अधिक समय से लंबित हैं. उन्होंने राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड (एनजेडीजी) के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि इसी तरह 25 उच्च न्यायालयों में 8.77 लाख दीवानी और 3.74 लाख फौजदारी मामले 10 साल से अधिक समय से लंबित हैं. मंत्री ने कहा कि जिला और अधीनस्थ अदालतों में एक दशक से अधिक समय से 6.91 लाख दीवानी और 27.26 लाख फौजदारी मामले लंबित हैं.

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रीजीजू ने लिखित उत्तर में कहा कि भारत के उच्चतम न्यायालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 10 वर्षों से अधिक समय से लंबित मामलों की संख्या 11,049 है. उन्होंने कहा कि अदालती मामलों की सुनवाई में तेजी लाने के लिए प्रक्रियात्मक कानूनों में कई विधायी बदलाव किए गए हैं, जिनमें फौजदारी और दीवानी मामलों में अदालती कार्यवाही के स्थगन को सीमित करने के प्रावधान शामिल हैं.

(एक्सट्रा इनपुट- पीटीआई भाषा)

नई दिल्ली : केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने गुरुवार को राज्यसभा को बताया कि 11000 से अधिक 'मामले' उच्चतम न्यायालय में 10 साल से अधिक समय से लंबित हैं. उन्होंने राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड (एनजेडीजी) के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि इसी तरह 25 उच्च न्यायालयों में 8.77 लाख दीवानी और 3.74 लाख फौजदारी मामले 10 साल से अधिक समय से लंबित हैं. मंत्री ने कहा कि जिला और अधीनस्थ अदालतों में एक दशक से अधिक समय से 6.91 लाख दीवानी और 27.26 लाख फौजदारी मामले लंबित हैं.

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रीजीजू ने लिखित उत्तर में कहा कि भारत के उच्चतम न्यायालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 10 वर्षों से अधिक समय से लंबित मामलों की संख्या 11,049 है. उन्होंने कहा कि अदालती मामलों की सुनवाई में तेजी लाने के लिए प्रक्रियात्मक कानूनों में कई विधायी बदलाव किए गए हैं, जिनमें फौजदारी और दीवानी मामलों में अदालती कार्यवाही के स्थगन को सीमित करने के प्रावधान शामिल हैं.

(एक्सट्रा इनपुट- पीटीआई भाषा)

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