नई दिल्ली : भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (Airports Authority of India) ने गुरुवार को राष्ट्रीय मुद्रीकरण योजना (national monetisation plan) के तहत अगले साल तक 13 और हवाई अड्डों के निजीकरण को मंजूरी दे दी है. इसका उद्देश्य वित्तीय वर्ष 2024 तक हवाई अड्डों में 3,660 करोड़ रुपये का निजी निवेश (private investment)करना है.
सरकारी अधिकारियों के अनुसार, चयनित हवाई अड्डों में से छह प्रमुख हवाई अड्डों- अमृतसर, भुवनेश्वर, इंदौर, रायपुर, त्रिची और वाराणसी और सात छोटे- हुबली, तिरुपति, औरंगाबाद, जबलपुर, कांगड़ा, कुशीनगर और गया को एक साथ संयोजित जाएगा.
वित्त वर्ष 2023 में सरकार की योजना कालीकट, कोयंबटूर, नागपुर, पटना, मदुरै, सूरत, रांची और जोधपुर सहित आठ हवाई अड्डों का मुद्रीकरण करने की है. वित्त वर्ष 2024 में चेन्नई, विजयवाड़ा, तिरुपति, वडोदरा, भोपाल और हुबली में अन्य छह हवाई अड्डों का मुद्रीकरण किया जाएगा.
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण अब बिड दस्तावेज (bid document) तैयार करने के लिए एक सलाहकार की नियुक्ति करेगा, अगले साल तक प्रक्रिया पूरी होने की संभावना है.
यह पहली बार है जब बड़े हवाई अड्डों को छोटे हवाई अड्डों के साथ संयोजन के मॉडल का उपयोग पीपीपी मोड का चयन करते समय किया जाएगा.
केंद्र ने फरवरी 2019 में देश के छह प्रमुख हवाई अड्डों - लखनऊ, अहमदाबाद, मंगलुरु, जयपुर, तिरुवनंतपुरम और गुवाहाटी का निजीकरण किया था - एक कॉम्पेटेटिव बिडिमग प्रोसेस (competitive bidding process) के माध्यम से अदानी समूह (Adani group) ने उन सभी को 50 वर्षों तक चलाने के अधिकार जीते.
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मुद्रीकरण दृष्टिकोण (monetisation approach) को रेखांकित करते हुए, सरकार ने पहले कहा था कि वित्त वर्ष 2019 और 2020 में 4 लाख यात्रियों से अधिक वार्षिक यातायात वाले हवाई अड्डों को निवेशकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया है.