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सदन के सुचारू और प्रभावी कामकाज के लिए सरकार और विपक्ष की सामूहिक जिम्मेदारी: नायडू

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Published : Jul 30, 2022, 6:50 PM IST

Updated : Jul 30, 2022, 7:43 PM IST

राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू (Rajya Sabha chairman M Venkaiah Naidu) ने कहा कि सदन के ठीक ढंग से प्रभावी कामकाज के लिए सरकार और विपक्ष दोनों की समान रूप से जिम्मेदारी होती है. पढ़िए पूरी खबर...

Rajya Sabha chairman M Venkaiah Naidu
राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू

नई दिल्ली: सदन के सुचारू और प्रभावी कामकाज के लिए सरकार और विपक्ष दोनों की सामूहिक जिम्मेदारी है. उक्त बातें राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू (Rajya Sabha chairman M Venkaiah Naidu) ने शनिवार को कहीं. बता दें कि संसद को दोनों सदनों में पिछले कुछ दिनों से लगातार व्यवधान हो रहा है. लोकसभा और राज्यसभा में बढ़ते व्यवधान और टकराव से बहसों और चर्चाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए, नायडू ने कहा कि लोग विशेष रूप से युवाओं का लोकतांत्रिक संस्थानों के काम करने के तरीके से मोहभंग हो रहा है. उन्होंने कहा कि सदस्यों को सदन में ऐसी अप्रिय स्थितियों को समाप्त करना चाहिए ताकि सार्वजनिक सम्मान में संसदीय संस्थाओं की विश्वसनीयता बनाए रखी जा सके.

उन्होंने कहा कि सदन में अनुशासन, मर्यादा संसदीय संस्थाओं की अनिवार्य शर्त है. नायडू ने जोर देकर कहा कि प्रतिकूल राजनीति को संसद और राज्य विधानसभाओं के कामकाज पर प्रतिकूल प्रभाव डालने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और मतभेदों को बहस और चर्चा के माध्यम से दूसरे के दृष्टिकोण को समझने की क्षमता पैदा करके हल किया जाना चाहिए और जरूरी नहीं कि सभी इससे सहमत हों. नायडू ने सदस्यों से सदन की कार्यवाही को समृद्ध करने के लिए महत्वपूर्ण और सार्थक योगदान देने का आग्रह करते हुए कहा कि सरकार की आलोचना का हमेशा स्वागत है, लेकिन संसदीय रणनीति के रूप में लंबे समय तक व्यवधान से बचा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार को प्रस्ताव करने दें, विपक्ष को विरोध करने दें और सदन को निपटाने दें, लोकतंत्र में आगे बढ़ने का यही एकमात्र तरीका है. साथ ही सदस्यों को चर्चा, बहस और निर्णय के त्रि-डी मंत्र का सहारा लेना चाहिए और अन्य 'डी' - 'व्यवधान' से बचना चाहिए.

उन्होंने कहा कि पूर्व में किए गए कई प्रयासों के कारण सदन के कामकाज से पिछले आठ सत्रों में सदन की उत्पादकता लगभग दोगुनी हो गई है. नायडू ने कहा कि राज्य सभा से संबंधित संसदीय स्थायी समितियां विशेष रूप से अंतर-सत्र अवधि के दौरान कार्यकारी जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए संसद के प्रभावी साधन हैं. इनके द्वारा इस तथ्य को रेखांकित किया जाता है कि संसद न केवल सत्र के दौरान बल्कि पूरे वर्ष कार्य करती है. सदस्यों से अपनी मातृभाषा में बोलने का आग्रह करते हुए नायडू ने कहा कि सभी बाईस अनुसूचित भाषाओं में एक साथ व्याख्या की सुविधा उपलब्ध कराने की पहल की गई है जिससे सदन की कार्यवाही में मातृभाषा का उपयोग बढ़ा है.

उन्होंने कहा कि संसद में सदस्यों द्वारा प्राप्त भाषण की स्वतंत्रता का विशेषाधिकार किसी व्यक्ति के खिलाफ कुछ भी कहने या मानहानि या अभद्र या अशोभनीय या असंसदीय शब्दों का उपयोग करने की अप्रतिबंधित स्वतंत्रता नहीं देता है. उन्होंने कहा कि सदस्यों को सदन में या उसके बाहर एक सभ्य और सम्मानजनक तरीके से अपना आचरण करना चाहिए और आचरण के उच्च मानकों को बनाए रखते हुए दूसरों के लिए एक उदाहरण स्थापित करना चाहिए. उन्होंने सदस्यों को सलाह दी कि वे संसद में नियमित रूप से उपस्थित रहें और जिस तरह से वरिष्ठ सांसद स्वयं को अभिव्यक्त करते हैं और अपने विचारों को बहुत व्यवस्थित तरीके से रखते हैं, उस पर ध्यान दें.

ये भी पढ़ें - मीडिया को समाज को आईना दिखाना चाहिए, सच्चाई के करीब रहना चाहिए: नायडू

नई दिल्ली: सदन के सुचारू और प्रभावी कामकाज के लिए सरकार और विपक्ष दोनों की सामूहिक जिम्मेदारी है. उक्त बातें राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू (Rajya Sabha chairman M Venkaiah Naidu) ने शनिवार को कहीं. बता दें कि संसद को दोनों सदनों में पिछले कुछ दिनों से लगातार व्यवधान हो रहा है. लोकसभा और राज्यसभा में बढ़ते व्यवधान और टकराव से बहसों और चर्चाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए, नायडू ने कहा कि लोग विशेष रूप से युवाओं का लोकतांत्रिक संस्थानों के काम करने के तरीके से मोहभंग हो रहा है. उन्होंने कहा कि सदस्यों को सदन में ऐसी अप्रिय स्थितियों को समाप्त करना चाहिए ताकि सार्वजनिक सम्मान में संसदीय संस्थाओं की विश्वसनीयता बनाए रखी जा सके.

उन्होंने कहा कि सदन में अनुशासन, मर्यादा संसदीय संस्थाओं की अनिवार्य शर्त है. नायडू ने जोर देकर कहा कि प्रतिकूल राजनीति को संसद और राज्य विधानसभाओं के कामकाज पर प्रतिकूल प्रभाव डालने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और मतभेदों को बहस और चर्चा के माध्यम से दूसरे के दृष्टिकोण को समझने की क्षमता पैदा करके हल किया जाना चाहिए और जरूरी नहीं कि सभी इससे सहमत हों. नायडू ने सदस्यों से सदन की कार्यवाही को समृद्ध करने के लिए महत्वपूर्ण और सार्थक योगदान देने का आग्रह करते हुए कहा कि सरकार की आलोचना का हमेशा स्वागत है, लेकिन संसदीय रणनीति के रूप में लंबे समय तक व्यवधान से बचा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार को प्रस्ताव करने दें, विपक्ष को विरोध करने दें और सदन को निपटाने दें, लोकतंत्र में आगे बढ़ने का यही एकमात्र तरीका है. साथ ही सदस्यों को चर्चा, बहस और निर्णय के त्रि-डी मंत्र का सहारा लेना चाहिए और अन्य 'डी' - 'व्यवधान' से बचना चाहिए.

उन्होंने कहा कि पूर्व में किए गए कई प्रयासों के कारण सदन के कामकाज से पिछले आठ सत्रों में सदन की उत्पादकता लगभग दोगुनी हो गई है. नायडू ने कहा कि राज्य सभा से संबंधित संसदीय स्थायी समितियां विशेष रूप से अंतर-सत्र अवधि के दौरान कार्यकारी जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए संसद के प्रभावी साधन हैं. इनके द्वारा इस तथ्य को रेखांकित किया जाता है कि संसद न केवल सत्र के दौरान बल्कि पूरे वर्ष कार्य करती है. सदस्यों से अपनी मातृभाषा में बोलने का आग्रह करते हुए नायडू ने कहा कि सभी बाईस अनुसूचित भाषाओं में एक साथ व्याख्या की सुविधा उपलब्ध कराने की पहल की गई है जिससे सदन की कार्यवाही में मातृभाषा का उपयोग बढ़ा है.

उन्होंने कहा कि संसद में सदस्यों द्वारा प्राप्त भाषण की स्वतंत्रता का विशेषाधिकार किसी व्यक्ति के खिलाफ कुछ भी कहने या मानहानि या अभद्र या अशोभनीय या असंसदीय शब्दों का उपयोग करने की अप्रतिबंधित स्वतंत्रता नहीं देता है. उन्होंने कहा कि सदस्यों को सदन में या उसके बाहर एक सभ्य और सम्मानजनक तरीके से अपना आचरण करना चाहिए और आचरण के उच्च मानकों को बनाए रखते हुए दूसरों के लिए एक उदाहरण स्थापित करना चाहिए. उन्होंने सदस्यों को सलाह दी कि वे संसद में नियमित रूप से उपस्थित रहें और जिस तरह से वरिष्ठ सांसद स्वयं को अभिव्यक्त करते हैं और अपने विचारों को बहुत व्यवस्थित तरीके से रखते हैं, उस पर ध्यान दें.

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Last Updated : Jul 30, 2022, 7:43 PM IST
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