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हिमाचल: 'सोने' का हुआ शक्तिपीठ श्री नैना देवी मंदिर, 5.5 किलो सोना और 16 करोड़ रुपये आया खर्च

विश्व प्रसिद्ध श्री नैना देवी मंदिर अब सोने का बन गया है. अब ये मंदिर दूर से ही सोने की तरह चमकता हुआ दिख जाएगा. इस मंदिर की खूबसूरती में सोने की वजह से चार चांद लग गए हैं.

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Published : Apr 4, 2023, 2:43 PM IST

51 शक्तिपीठों में से एक है श्री नैना देवी मंदिर
51 शक्तिपीठों में से एक है श्री नैना देवी मंदिर

बिलासपुर : हिमाचल प्रदेश का विश्वविख्यात शक्तिपीठ नैना देवी मंदिर का शिखर यानी ऊपरी हिस्सा अब दूर से ही चमकेगा. दरअसल नैना देवी मंदिर के शिखर को सोने का बनाया गया है. जिसे बनाने में करीब 16 करोड़ रुपये का खर्च आया है. सोमवार को पूरे विधि विधान और यज्ञ के साथ इसकी स्थापना हुई.

5.50 किलो सोने का हुआ इस्तेमाल- मंदिर के ऊपरी हिस्से में तांबे पर सोने की परत चढ़ाई गई है. जिसमें 5 किलो 500 ग्राम सोने और 596 किलो तांबे का इस्तेमाल हुआ है. अतिरिक्त मंदिर अधिकारी विकास वर्मा के मुताबिक दिल्ली की एक समाज सेवी संस्था द्वारा ये कार्य किया गया है. इस गुप्त दान के जरिये मां नैना देवी मंदिर की भव्यता में चार चांद लग गए हैं.

5.5 किलो सोने औऱ 596 किलो तांबे का हुआ है इस्तेमाल
5.5 किलो सोने औऱ 596 किलो तांबे का हुआ है इस्तेमाल

3 महीने का वक्त लगा- मंदिर के पुजारी राकेश गौतम के मुताबिक मंदिर के शिखर पर सोना लगाने का काम 16 जनवरी को शुरु किया गया था. इस काम को पूरा होने में लगभग 3 महीने का वक्त लगा है. गुजरात और राजस्थान से आए करीब 50 कारीगरों ने दिन-रात लगकर इस काम को अंजाम दिया है.

गर्भ गृह भी सोने का बना है- इससे पहले मां नैनादेवी मंदिर का गर्भ गृह में भी ऐसे ही तांबे पर सोना लगाया गया था. विकास वर्मा बताते हैं कि कुछ वर्ष पूर्व ही पंजाब की समाज सेवी संस्था ने गर्भ गृह के भीतर 3 किलो सोना तांबे पर चढ़ाया गया था. जिससे गर्भ गृह भी स्वर्ण का हो गया था. सबसे पहले मंदिर में स्वर्ण के गुंबद पंजाब की समाज सेवी संस्था द्वारा लगाए गए थे.

3 महीने में बनकर हुआ तैयार
3 महीने में बनकर हुआ तैयार

मां नैनादेवी की कहानी- हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित मां नैना देवी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है. कहते हैं कि भगवान शिव की पत्नी सती के पिता राजा दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया था. जिसमें सभी देवताओं को निमंत्रण दिया गया लेकिन भगवान शिव को नहीं बुलाया गया. जिसके बाद माता सती ने उसी यज्ञकुंड में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए. जिसके बाद भगवान शिव माता सती की पार्थिव देह को लेकर सारे संसार में घूमते रहे. कहते हैं कि इस दौरान भगवान शिव क्रोधित भी थे और दुखी भी, वो माता सती के पार्थिव शरीर को लेकर तांडव भी कर रहे थे. कहते हैं कि शिव के क्रोध से सृष्टि को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के कई टुकड़े कर दिए. माना जाता है कि जहां-जहां सती के अंग गिरे वो शक्तिपीठ कहलाए. मान्यता है कि हिमाचल के बिलासपुर में माता सती की आंख गिरी थी, इसलिये इस शक्तिपीठ को नैना देवी कहा जाता है.

श्री नैना देवी मंदिर का गर्भ गृह
श्री नैना देवी मंदिर का गर्भ गृह

धार्मिक पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा- अरिक्त मंदिर अधिकारी विकास वर्मा कहते हैं माता नैना देवी के मंदिर का ऊपरी हिस्सा अब दूसर से सोने का होने के कारण दिखाई देने लगता है. उन्हें यहां आने वाले श्रद्धालुओं की तादाद में इजाफा होने की उम्मीद है. गौरतलब है कि देवभूमि हिमाचल में मां नैना देवी के अलावा मां ज्वाला जी, मां चामुंडा, मां बज्रेश्वरी समेत कई धार्मिक स्थल हैं. जहां हर साल लाखों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं.

ये भी पढ़ें: अब दूर से चमकेगा मां श्री नैना देवी का दरबार, मंदिर में स्थापित हुआ स्वर्ण गुंबद, हवन यज्ञ कर पूर्ण हुआ कार्य

बिलासपुर : हिमाचल प्रदेश का विश्वविख्यात शक्तिपीठ नैना देवी मंदिर का शिखर यानी ऊपरी हिस्सा अब दूर से ही चमकेगा. दरअसल नैना देवी मंदिर के शिखर को सोने का बनाया गया है. जिसे बनाने में करीब 16 करोड़ रुपये का खर्च आया है. सोमवार को पूरे विधि विधान और यज्ञ के साथ इसकी स्थापना हुई.

5.50 किलो सोने का हुआ इस्तेमाल- मंदिर के ऊपरी हिस्से में तांबे पर सोने की परत चढ़ाई गई है. जिसमें 5 किलो 500 ग्राम सोने और 596 किलो तांबे का इस्तेमाल हुआ है. अतिरिक्त मंदिर अधिकारी विकास वर्मा के मुताबिक दिल्ली की एक समाज सेवी संस्था द्वारा ये कार्य किया गया है. इस गुप्त दान के जरिये मां नैना देवी मंदिर की भव्यता में चार चांद लग गए हैं.

5.5 किलो सोने औऱ 596 किलो तांबे का हुआ है इस्तेमाल
5.5 किलो सोने औऱ 596 किलो तांबे का हुआ है इस्तेमाल

3 महीने का वक्त लगा- मंदिर के पुजारी राकेश गौतम के मुताबिक मंदिर के शिखर पर सोना लगाने का काम 16 जनवरी को शुरु किया गया था. इस काम को पूरा होने में लगभग 3 महीने का वक्त लगा है. गुजरात और राजस्थान से आए करीब 50 कारीगरों ने दिन-रात लगकर इस काम को अंजाम दिया है.

गर्भ गृह भी सोने का बना है- इससे पहले मां नैनादेवी मंदिर का गर्भ गृह में भी ऐसे ही तांबे पर सोना लगाया गया था. विकास वर्मा बताते हैं कि कुछ वर्ष पूर्व ही पंजाब की समाज सेवी संस्था ने गर्भ गृह के भीतर 3 किलो सोना तांबे पर चढ़ाया गया था. जिससे गर्भ गृह भी स्वर्ण का हो गया था. सबसे पहले मंदिर में स्वर्ण के गुंबद पंजाब की समाज सेवी संस्था द्वारा लगाए गए थे.

3 महीने में बनकर हुआ तैयार
3 महीने में बनकर हुआ तैयार

मां नैनादेवी की कहानी- हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित मां नैना देवी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है. कहते हैं कि भगवान शिव की पत्नी सती के पिता राजा दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया था. जिसमें सभी देवताओं को निमंत्रण दिया गया लेकिन भगवान शिव को नहीं बुलाया गया. जिसके बाद माता सती ने उसी यज्ञकुंड में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए. जिसके बाद भगवान शिव माता सती की पार्थिव देह को लेकर सारे संसार में घूमते रहे. कहते हैं कि इस दौरान भगवान शिव क्रोधित भी थे और दुखी भी, वो माता सती के पार्थिव शरीर को लेकर तांडव भी कर रहे थे. कहते हैं कि शिव के क्रोध से सृष्टि को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के कई टुकड़े कर दिए. माना जाता है कि जहां-जहां सती के अंग गिरे वो शक्तिपीठ कहलाए. मान्यता है कि हिमाचल के बिलासपुर में माता सती की आंख गिरी थी, इसलिये इस शक्तिपीठ को नैना देवी कहा जाता है.

श्री नैना देवी मंदिर का गर्भ गृह
श्री नैना देवी मंदिर का गर्भ गृह

धार्मिक पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा- अरिक्त मंदिर अधिकारी विकास वर्मा कहते हैं माता नैना देवी के मंदिर का ऊपरी हिस्सा अब दूसर से सोने का होने के कारण दिखाई देने लगता है. उन्हें यहां आने वाले श्रद्धालुओं की तादाद में इजाफा होने की उम्मीद है. गौरतलब है कि देवभूमि हिमाचल में मां नैना देवी के अलावा मां ज्वाला जी, मां चामुंडा, मां बज्रेश्वरी समेत कई धार्मिक स्थल हैं. जहां हर साल लाखों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं.

ये भी पढ़ें: अब दूर से चमकेगा मां श्री नैना देवी का दरबार, मंदिर में स्थापित हुआ स्वर्ण गुंबद, हवन यज्ञ कर पूर्ण हुआ कार्य

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