नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने 2002 के गोधरा ट्रेन आगजनी (Godhra train burning) मामले में उन दोषियों की जमानत अर्जियां सोमवार को खारिज कर दी, जिन्हें निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी लेकिन गुजरात उच्च न्यायालय ने उम्रकैद में तब्दील कर दिया था.
निचली अदालत ने 11 दोषियों को मौत की सजा, जबकि 20 अन्य को उम्र कैद की सजा सुनाई थी. उच्च न्यायालय ने मामले में 31 व्यक्तियों की दोषसिद्धि बरकरार रखी थी, जबकि सजा हल्की कर दी थी. हालांकि, उनमें से कुछ ने शीर्ष न्यायालय का रुख कर दोषसिद्धि व सजा के खिलाफ अपनी अपील का निस्तारण होने तक जमानत देने का अनुरोध किया था.
गौरतलब है कि 27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 डिब्बे को आग के हवाले कर दिया गया था, जिसमें 59 लोग मारे गए थे. इस घटना के बाद राज्य में दंगे भड़क गए थे.
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील किए जाने के खिलाफ राज्य सरकार की अपील के अलावा दोषियों की जमानत अर्जियों के समूह से प्रभावी रूप से निपटने के लिए एक अंतर रखने की जरूरत है.
पीठ ने कहा कि अभी वह उन व्यक्तियों की जमानत अर्जियां खारिज कर रही है, जिनकी सजा हल्की किए जाने से पहले निचली अदालत ने (जिन्हें) मौत की सजा सुनाई थी.
पीठ ने अब निस्तारण के लिए दोषियों की शेष जमानत अर्जियां 21 अप्रैल के लिए रख ली है. गुजरात सरकार की ओर से शीर्ष न्यायालय में पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई की शुरूआत में कहा, 'हम उन दोषियों को मौत की सजा के लिए गंभीरतापूर्वक जोर दे रहे हैं जिनकी मौत की सजा को (गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा) उम्र कैद में तब्दील कर दिया गया. यह एक दुर्लभतम मामला है जिसमें महिलाओं व बच्चों सहित 59 लोगों को जिंदा जला दिया गया था.'
उन्होंने कहा, '(ट्रेन के) डिब्बे का दरवाजा बाहर से बंद था. यह पथराव की एक सामान्य घटना नहीं है. महिलाओं और बच्चे सहित 59 लोग मारे गये थे.' शीर्ष न्यायालय ने 24 मार्च को कहा था कि वह दोषियों की जमानत अर्जियों का निस्तारण विषय की सुनवाई की अगली तारीख पर करेगा.
उल्लेखनीय है कि शीर्ष न्यायालय ने मामले में अब तक दो दोषियों को जमानत दी है. विषय में सात अन्य जमानत अर्जियां फैसले के लिए लंबित हैं.
पीठ ने यह उल्लेख किया कि मामले में अब तक काफी संख्या में जमानत अर्जियां दायर की गई हैं. न्यायालय ने कहा, 'यह सहमति बनी है कि अर्जीकर्ताओं की ओर से वकील, गुजरात सरकार की अधिवक्ता स्वाति घिलदियाल के साथ सभी संबद्ध विवरण के साथ एक व्यापक तालिका तैयार करे. विषय को तीन हफ्ते बाद के लिए सूचीबद्ध किया जाए.'
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(पीटीआई-भाषा)