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निलाद्री बिजे : भगवान श्रीजगन्नाथ के लिए नहीं खुलेगा श्रीमंदिर का द्वार, जानें क्यों

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Published : Jul 23, 2021, 4:20 PM IST

इस अनुष्ठान के तहत 'गोटी पहंडी' के जरिए एक के बाद एक मूर्तियों को रथों से निकालकर मंदिर में प्रवेश कराया जाएगा. पहले भगवान बलभद्र और फिर देवी सुभद्रा को श्रीमंदिर में प्रवेश कराया जाएगा. वहीं, भगवान श्रीजगन्नाथ को श्रीमंदिर के भीतर ले जाने से पहले उनके सेवायतों द्वारा एक पारंपारिक रिवाज पूरा किया जाएगा.

निलाद्री बिजे
निलाद्री बिजे

पुरी : ओडिशा के पुरी में भगवान श्रीजगन्नाथ (lord shri jagannath), बलभद्र और देवी सुभद्रा की कल अधरपणा (adharpana) अनुष्ठान के बाद आज पुनः श्रीमंदिर में प्रवेश कर जाएंगे. इस अनुष्ठान को 'निलाद्री बिजे' (niladri bije) कहा जाता है. यह प्रसिद्ध रथयात्रा (rathyatra) का अंतिम अनुष्ठान होता है. शुक्रवार की शाम को तीनों भगवानों को श्रीमंदिर (srimandir) में प्रवेश कराने का अनुष्ठान शुरू हो गया है. इस अनुष्ठान के बाद तीनों भगवान अपने रत्न सिंहासन पर विराजमान होंगे.

इस अनुष्ठान के तहत 'गोटी पहंडी' के जरिए एक के बाद एक मूर्तियों को रथों से निकालकर मंदिर में प्रवेश कराया जाएगा. पहले भगवान बलभद्र और फिर देवी सुभद्रा को श्रीमंदिर में प्रवेश कराया जाएगा. वहीं, भगवान श्रीजगन्नाथ को श्रीमंदिर के भीतर ले जाने से पहले उनके सेवायतों द्वारा एक पारंपारिक रिवाज पूरा किया जाएगा.

पढ़ें : भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में डाहूक सेवादारों का है खास महत्व

रथयात्रा में श्रीजगन्नाथ द्वारा महालक्ष्मी (mahalaxmi) को नहीं बुलाए जाने से वह नाराज रहती हैं. इस वजह से जब श्रीजगन्नाथ यात्रा से लौटते हैं, तब वह उन्हें द्वार पर रोक लेती हैं और भीतर आने नहीं देती हैं. उन्हें मनाने की परंपरा को मंदिर के 'जय विजय द्वार' (jay vijay dwar) पर निभाया जाता है. श्रीजगन्नाथ और उनकी पत्नी महालक्ष्मी को उनके सेवायत इस द्वार तक ले जाते हैं यहां मां महालक्ष्मी को मनाने की कोशिश होती है. इसके बाद श्रीजगन्नाथ उन्हें नए वस्त्र और रसगुल्ला दिलाकर उन्हें मना लेते हैं और फिर मंदिर में प्रवेश कर जाते हैं.

बता दें कि निलाद्री बिजे को रथयात्रा का अंतिम अनुष्ठान माना जाता है. इस साल भी रथयात्रा बिना श्रद्धालुओं के निकाली गई. वहीं, सीमित संख्या के सेवायतों और सुरक्षाकर्मियों को ही केवल तीनों रथों को खिंचने का मौका मिला था.

कोविड -19 महामारी (Covid-19 pandemic) के कारण लगातार दूसरे वर्ष श्रद्धालुओं को पुरी जाने के मौके से वंचित रहना पड़ा. दुनिया भर के करोड़ों भक्तों ने घर पर ही रहकर टेलीविजन पर भगवान के दर्शन किये.

पुरी : ओडिशा के पुरी में भगवान श्रीजगन्नाथ (lord shri jagannath), बलभद्र और देवी सुभद्रा की कल अधरपणा (adharpana) अनुष्ठान के बाद आज पुनः श्रीमंदिर में प्रवेश कर जाएंगे. इस अनुष्ठान को 'निलाद्री बिजे' (niladri bije) कहा जाता है. यह प्रसिद्ध रथयात्रा (rathyatra) का अंतिम अनुष्ठान होता है. शुक्रवार की शाम को तीनों भगवानों को श्रीमंदिर (srimandir) में प्रवेश कराने का अनुष्ठान शुरू हो गया है. इस अनुष्ठान के बाद तीनों भगवान अपने रत्न सिंहासन पर विराजमान होंगे.

इस अनुष्ठान के तहत 'गोटी पहंडी' के जरिए एक के बाद एक मूर्तियों को रथों से निकालकर मंदिर में प्रवेश कराया जाएगा. पहले भगवान बलभद्र और फिर देवी सुभद्रा को श्रीमंदिर में प्रवेश कराया जाएगा. वहीं, भगवान श्रीजगन्नाथ को श्रीमंदिर के भीतर ले जाने से पहले उनके सेवायतों द्वारा एक पारंपारिक रिवाज पूरा किया जाएगा.

पढ़ें : भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में डाहूक सेवादारों का है खास महत्व

रथयात्रा में श्रीजगन्नाथ द्वारा महालक्ष्मी (mahalaxmi) को नहीं बुलाए जाने से वह नाराज रहती हैं. इस वजह से जब श्रीजगन्नाथ यात्रा से लौटते हैं, तब वह उन्हें द्वार पर रोक लेती हैं और भीतर आने नहीं देती हैं. उन्हें मनाने की परंपरा को मंदिर के 'जय विजय द्वार' (jay vijay dwar) पर निभाया जाता है. श्रीजगन्नाथ और उनकी पत्नी महालक्ष्मी को उनके सेवायत इस द्वार तक ले जाते हैं यहां मां महालक्ष्मी को मनाने की कोशिश होती है. इसके बाद श्रीजगन्नाथ उन्हें नए वस्त्र और रसगुल्ला दिलाकर उन्हें मना लेते हैं और फिर मंदिर में प्रवेश कर जाते हैं.

बता दें कि निलाद्री बिजे को रथयात्रा का अंतिम अनुष्ठान माना जाता है. इस साल भी रथयात्रा बिना श्रद्धालुओं के निकाली गई. वहीं, सीमित संख्या के सेवायतों और सुरक्षाकर्मियों को ही केवल तीनों रथों को खिंचने का मौका मिला था.

कोविड -19 महामारी (Covid-19 pandemic) के कारण लगातार दूसरे वर्ष श्रद्धालुओं को पुरी जाने के मौके से वंचित रहना पड़ा. दुनिया भर के करोड़ों भक्तों ने घर पर ही रहकर टेलीविजन पर भगवान के दर्शन किये.

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