पणजी : उच्चतम न्यायालय ने गोवा विधानसभा के अध्यक्ष से 13 विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली कांग्रेस नेता की याचिका पर 20 अप्रैल को फैसला सुनाने को कहा है. ये विधायक 2019 को भाजपा में शामिल हो गए थे.
सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की पीठ को बताया कि अध्यक्ष अयोग्य ठहराने संबंधी याचिकाओं पर 20 अप्रैल को फैसला सुनाने पर सहमत हो गए हैं, जिसके बाद पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 21 अप्रैल को निर्धारित कर दी. न्यायालय ने कहा कि फैसला सुनाने में इतनी देरी नहीं होनी चाहिए और मेहता को बताया कि 24 अप्रैल के बाद इस मामले की सुनवाई ये पीठ नहीं कर सकेगी.
दरअसल, प्रधान न्यायाधीश बोबडे 23 अप्रैल को सेवानिवृत्त हो रहे हैं और यह कार्यालय में उनका आखिरी कामकाजी दिन होगा. पीठ ने कहा इसलिए कृपया करके अध्यक्ष से फैसला सुनाने के लिए कहें. सॉलिसीटर जनरल होने के नाते आप उन्हें मामले पर फैसला सुनाने को कह सकते हैं अथवा आप चाहते हैं कि मामले पर दोबार पूरी सुनवाई हो. इस पर मेहता ने कहा कि वह निर्देश लेंगे और उन्होंने पीठ से मामले को अगली सुनवाई के लिए 22-23 अप्रैल के लिए सूचीबद्ध करने को कहा.
कांग्रेस नेता गिरीश चोडनकर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि इससे पूरी कार्यवाही का मखौल उड़ रहा है, क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने 10 फरवरी को एक बयान दर्ज किया था कि अध्यक्ष 26 फरवरी तक याचिकाओं का निपटारा कर देंगे, लेकिन अब तक फैसला सुरक्षित है और कोई निर्णय नहीं सुनाया गया है. मेहता ने कहा कि उन्होंने निर्देश ले लिए हैं और फैसला 22 अप्रैल को सुनाया जाएगा. इस पर पीठ ने मेहता से अध्यक्ष को फैसला 20 अप्रैल को सुनाने पर एक बार फिर निर्देश लेने को कहा.
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मामले की अगली सुनवाई 21 अप्रैल को होगी
उच्चतम न्यायालय कांग्रेस नेता चोडनकर की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया था कि जुलाई 2019 में दस विधायकों ने विधानसभा में कांग्रेस पार्टी का दो तिहाई हिस्सा होने का दावा करते हुए कथित विधायक दल का विलय भाजपा में करने का निर्णय लिया और अध्यक्ष को इस निर्णय से अवगत कराया. कांग्रेस नेता ने पिछले माह उच्चतम न्यायालय से विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग वाली अपनी याचिका पर फैसला लेने का निर्देश अध्यक्ष को देने का अनुरोध किया था.