नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ ने जजों के खिलाफ निजी हमले करने के चलन की आलोचना की. उन्होंने एक न्यूज आर्टिकल का हवाला देते हुए कहा कि मीडिया जजों को कितना टारगेट कर सकता है, इसकी एक सीमा होती है. ये बात जस्टिस चंद्रचूड़ ने उस याचिका को लेकर कही, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बाद की तारीख के लिए स्थगित कर दिया था और 19 जुलाई को कुछ समाचार पोर्टलों ने अदालत द्वारा याचिका की तारिख स्थगित करने की खबर को 'भारत की शीर्ष अदालत ने ईसाई-विरोधी हिंसा याचिका की सुनवाई में देरी' शीर्षक से प्रसारित किया था.
गुरुवार को एक वकील ने ईसाई समुदाय के खिलाफ हिंसा को उजागर करने वाली एक याचिका का उल्लेख किया और इसलिए इसे तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग की. यह सुनकर, जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि उन्हें न्यूज आर्टिकल मिले हैं, जो दर्शाता है कि सुप्रीम कोर्ट उक्त मामले में सुनवाई में देरी कर रहा है. उन्होंने कहा, "मुझे कोविड हुआ था, इसलिए इस मामले को नहीं लिया जा सका. लेकिन मैंने हाल ही में एक न्यूज आर्टिकल पढ़ा जिसमें कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई में देरी कर रहा है.
उन्होंने कहा, 'हमें एक ब्रेक दें! आप जजों को कितना टारगेट कर सकते हैं इसकी एक सीमा है. ऐसी खबरें कौन प्रकाशित कर रहा है?' खंडपीठ जिसमें जस्टिस सूर्यकांत भी शामिल थे, बाद में मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमत हुए. बेंच ने कहा, "ठीक है, इसे सूचीबद्ध करें. अन्यथा कोई और समाचार छप जाएगा."
बता दें कि अप्रैल में, शीर्ष अदालत के समक्ष एक रिट याचिका दायर की गई थी जिसमें देश भर के विभिन्न राज्यों में ईसाई समुदाय के सदस्यों के खिलाफ हिंसा और भीड़ के हमलों को रोकने के निर्देश देने की मांग की गई थी. बंगलौर डायोसीज के आर्कबिशप डॉ. पीटर मचाडो ने नेशनल सॉलिडेरिटी फोरम, द इवेंजेलिकल फेलोशिप ऑफ इंडिया के साथ याचिका दायर की. जून के अंतिम सप्ताह में, सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई, 2022 को याचिका को सूचीबद्ध करने के लिए सहमति व्यक्त की.
सीनियर एडवोकेट डॉ कॉलिन गोंजाल्विस ने एक अवकाश पीठ के समक्ष याचिका का उल्लेख किया, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला शामिल थे, जिसमें कहा गया था कि ईसाई संस्थानों के खिलाफ देश में हमले बढ़ रहे हैं. 11 जुलाई को, जस्टिस डीवाई चमद्रचुड और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने मामले को 15 जुलाई को सुनवाई के लिए पोस्ट किया. हालांकि, इस मामले को नहीं लिया जा सका क्योंकि जस्टिस चंद्रचूड़ कोविड-19 वायरस से पीड़ित थे. हाल ही में, भारत के चीफ जस्टिस एनवी रमना और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने सोशल मीडिया में जजों के खिलाफ निजी हमलों की प्रवृत्ति पर नाराजगी व्यक्त की थी.