ETV Bharat / bharat

लड़कों की तुलना में लड़कियां यौन अपराध का अधिक होती हैं शिकार : एनआरसीबी

एनआरसीबी के आंकड़ों के अनुसार सभी आयु-वर्ग में लड़कों की तुलना में लड़कियां अधिक यौन अपराधों का शिकार होती हैं. इनमें सबसे अधिक प्रभावित 16 से 18 साल की लड़कियां होती हैं.

Etv bharat
कॉन्सेप्ट फोटो
author img

By

Published : Oct 11, 2021, 5:29 PM IST

नई दिल्ली : राष्‍ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्‍यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, 2020 में पॉक्सो अधिनियम के तहत दर्ज 99 प्रतिशत से अधिक अपराध के मामलों में पीड़ित लड़कियां थीं, जो दर्शाता है कि लड़कियां अब भी समाज के सबसे संवेदनशील तबकों में से एक का हिस्सा हैं. गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘चाइल्ड राइट्स एंड यू’ (क्राय) द्वारा किए गए एनसीआरबी के आंकड़ों के विश्लेषण में पाया गया कि पॉक्सो के तहत दर्ज 28,327 मामलों में से 28,058 में पीड़ित लड़कियां थी.

यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत दर्ज मामलों के गहन विश्लेषण में पता चला कि 16 से 18 आयु वर्ग की किशोरियों के खिलाफ सबसे अधिक 14,092 अपराधों को और उसके बाद 12 से 16 आयु वर्ग की लड़कियों के खिलाफ 10,949 अपराधों को अंजाम दिया गया. लड़के और लड़कियां दोनों ही लगभग समान रूप से दुर्व्यवहार का शिकार हुए, हालांकि एनआरसीबी के आंकड़ों के अनुसार सभी आयु-वर्ग में लड़कों की तुलना में लड़कियां अधिक यौन अपराधों का शिकार हुईं.

‘अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस’ के मौके पर ‘क्राय’ ने कहा कि दुनियाभर में लड़कियों के अधिकारों की बात की जाती है, लेकिन फिर भी एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार वे अब भी समाज के सबसे संवेदनशील तबकों में से एक का हिस्सा हैं. एनसीआरबी की ओर से पिछले महीने जारी किए गए अद्यतन आंकड़ों के अनुसार, पॉक्सो अधिनियम के तहत 2020 में दर्ज किए गए 99 प्रतिशत से अधिक मामलों में पीड़ित लड़कियां थीं.

‘क्राय’ में ‘पॉलिसी रिसर्च एंड एडवोकेसी’ की निदेशक प्रीति महारा ने कहा, 'यह समझना महत्वपूर्ण है कि सुरक्षा संबंधी चुनौतियों के साथ-साथ शिक्षा, सामाजिक सुरक्षा, गरीबी आदि से जुड़े पहलू भी महत्वपूर्ण हैं...और लड़कियों के सशक्तिकरण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं...इन पहलुओं पर कोविड-19 वैश्विक महामारी के प्रभाव का आकलन भी जरूरी है.'

नई दिल्ली : राष्‍ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्‍यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, 2020 में पॉक्सो अधिनियम के तहत दर्ज 99 प्रतिशत से अधिक अपराध के मामलों में पीड़ित लड़कियां थीं, जो दर्शाता है कि लड़कियां अब भी समाज के सबसे संवेदनशील तबकों में से एक का हिस्सा हैं. गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘चाइल्ड राइट्स एंड यू’ (क्राय) द्वारा किए गए एनसीआरबी के आंकड़ों के विश्लेषण में पाया गया कि पॉक्सो के तहत दर्ज 28,327 मामलों में से 28,058 में पीड़ित लड़कियां थी.

यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत दर्ज मामलों के गहन विश्लेषण में पता चला कि 16 से 18 आयु वर्ग की किशोरियों के खिलाफ सबसे अधिक 14,092 अपराधों को और उसके बाद 12 से 16 आयु वर्ग की लड़कियों के खिलाफ 10,949 अपराधों को अंजाम दिया गया. लड़के और लड़कियां दोनों ही लगभग समान रूप से दुर्व्यवहार का शिकार हुए, हालांकि एनआरसीबी के आंकड़ों के अनुसार सभी आयु-वर्ग में लड़कों की तुलना में लड़कियां अधिक यौन अपराधों का शिकार हुईं.

‘अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस’ के मौके पर ‘क्राय’ ने कहा कि दुनियाभर में लड़कियों के अधिकारों की बात की जाती है, लेकिन फिर भी एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार वे अब भी समाज के सबसे संवेदनशील तबकों में से एक का हिस्सा हैं. एनसीआरबी की ओर से पिछले महीने जारी किए गए अद्यतन आंकड़ों के अनुसार, पॉक्सो अधिनियम के तहत 2020 में दर्ज किए गए 99 प्रतिशत से अधिक मामलों में पीड़ित लड़कियां थीं.

‘क्राय’ में ‘पॉलिसी रिसर्च एंड एडवोकेसी’ की निदेशक प्रीति महारा ने कहा, 'यह समझना महत्वपूर्ण है कि सुरक्षा संबंधी चुनौतियों के साथ-साथ शिक्षा, सामाजिक सुरक्षा, गरीबी आदि से जुड़े पहलू भी महत्वपूर्ण हैं...और लड़कियों के सशक्तिकरण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं...इन पहलुओं पर कोविड-19 वैश्विक महामारी के प्रभाव का आकलन भी जरूरी है.'

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.