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Giridih Bus Accident: बीमा का घालमेल, बस के नंबर पर स्कूटर का इंश्योरेंस, जानिए क्या है माजरा

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Published : Aug 7, 2023, 12:30 PM IST

Updated : Aug 7, 2023, 6:50 PM IST

गिरिडीह बस हादसे की जांच तेज हो गयी है. जिला उपायुक्त खुद इस मामले को देख रहे हैं. अब तक जांच में जो खुलासे हुए हैं वो काफी चौंकाने वाले हैं. क्या है वो खुलासा जानिए, ईटीवी भारत की इस रिपोर्ट से.

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डिजाइन इमेज

गिरिडीहः झारखंड में गिरिडीह जिला में शनिवार देर शाम एक यात्री बस बराकर नदी में गिर गयी. इस दुर्घटना में चार लोगों की मौत हुई. इसके बाद प्रशासन ने इस हादसे की जांच शुरू की. जिसमें एक के बाद एक कई तरह की बातें सामने आईं. हादसे की वजह गाड़ी की स्पीड भी रही, साथ ही वजह में एक लाल रंग की कार को भी बताया गया है. लेकिन इसमें सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि इस गाड़ी के कागजात में घालमेल नजर आया.

इसे भी पढ़ें- Giridih Bus Accident: हादसे में मरने वालों की संख्या हुई चार, अस्पताल में घायलों से मिलीं मंत्री बेबी देवी

बाबा सम्राट आलीशान नामक बस के कागजात को लेकर सवाल उठाये जा रहे हैं. अब तक की छानबीन में इस बात का खुलास हुआ है कि इस बस का बीमा स्कूटर का होने का बताया जा रहा है. गिरिडीह बस दुर्घटना के बाद इसके कागजात की पड़ताल की जा रही है. पहली पड़ताल में जहां तेज रफ्तार के पीछे परमिट की टाइमिंग की बात सामने आई. दूसरी तरफ बस की बीमा पर सवाल भी उठ रहे हैं. बस का रजिस्ट्रेशन नंबर जेएच 07एच 2906 के बीमा की ऑनलाइन पड़ताल हुई तो इसमें भी गड़बड़ी दिख रही है.

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इंश्योरेंस का पेपर

बस के नंबर पर स्कूटर का बीमाः इस बस का इंश्योरेंस पॉलिसी नंबर 1130003123010240021524 है. लेकिन जब इसकी गहराई से जांच की गयी तो इस रजिस्टर्ड नंबर पर बीमा न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी का टू व्हिलर पैकेज पॉलिसी निकला. ये पॉलिसी नंबर पर स्कूटर (बजाज स्पिरिट) का बीमा कागज में अंकित है. इस नंबर पर जारी पॉलिसी पंकज कुमार के नाम पर दिख रहा है. जबकि जो बस दुर्घटनाग्रस्त हुई है वह बस राजू खान के नाम पर है. ऑनलाइन से मिली बीमा के कागजात की जानकारी गिरिडीह डीसी नमन प्रियेश लकड़ा को भी मिली है. डीसी ने इसकी जांच शुरू कर दी है. साथ ही अधिकारियों को बीमा के अलावा अन्य कागजात खंगालने के लिए कहा गया है.

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बस का पेपर

पैसों के लिए पेपर में की गई गड़बड़ीः इसको लेकर सामाजिक कार्यकर्ता प्रभाकर व अधिवक्ता प्रवीण कुमार से ईटीवी भारत ने बात की. प्रभाकर ने बताया कि वे खुद भी मोटर बीमा का कार्य करते हैं और दुर्घटना के बाद उन्होंने काफी पड़ताल की. जिसमें यह पाया कि दुर्घटनाग्रस्त बस की बीमा स्कूटर के नाम पर है. उन्होंने इसे अपराध बताया है. प्रभाकर ने बताया कि किसी भी वाहन की थर्ड पार्टी बीमा जरूरी है. जो बस दुर्घटनाग्रस्त हुई उसका थर्ड पार्टी बीमा का प्रीमियम लगभग 60 हजार आता है. इसी 60 हजार को बचाने के लिए कई लोग इस तरह का अपराध कर रहे हैं. यह भी बताया एम परिवहन का वेबसाइट बीमा कंपनी के सर्वर से महज गाड़ी संख्या, पॉलिसी नंबर, वैधता और बीमा कंपनी का नाम मैच कर उसे वेबसाइट पर अपडेट कर देती है. इसी का फायदा उठाकर इस तरह की जालसाजी की जाती है.

अधिवक्ता प्रवीण कुमार ने बताया कि स्कूटर की बीमा पर बस चलाना अपराध है. ऐसे वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने से हादसे में घायल, मृतक के परिजनों को वाहन बीमा का लाभ नहीं मिल पाएगा. वहीं, इस विषय पर बस के मालिक का पक्ष लेने के लिए कई दफा फोन किया गया लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया.

क्या हैं बीमा के नियमः बीमा कंपनी से जुड़े प्रभाकर बताते हैं अगर बस का बीमा रहता तो मृतक से लेकर घायल तक को उचित मुआवजा मिलता. इनके अनुसार वाहन बीमा में डेथ क्लेम में मुआवजा का टेबल फिक्स किया हुआ है. बीमा कंपनी मानती है कि कोई भी व्यक्ति 60 साल में रिटायर होगा. ऐसे में जितना वर्ष उम्र बचा हुआ उस कार्यकाल का गुणा 60 वर्ष तक प्रत्येक वर्ष 180 दिन के हिसाब से किया जाएगा और मुआवजा मिलेगा. अगर मृतक कुछ भी काम नहीं करता है तो बेरोजगार होने की सूरत में न्यूनतम मजदूरी को प्रत्येक वर्ष 180 दिन से गुणा करते हुए अतिरिक्त पांच लाख भी दिया जाएगा.

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क्या कहता है बीमा का नियम

उन्होंने बताया कि नाबालिग के मामले में मुआवजे की राशि और भी अधिक होती है. यहां यह देखा जाता है कि नाबालिग अगर 18 वर्ष के बाद काम करता तो ज्यादा पैसे कमा सकता था. दूसरी तरफ वाहन बीमा के डेथ क्लेम देखने वाले अधिवक्ता प्रवीण कुमार कहते हैं कि वाहन का बीमा अगर नहीं है तो वाहन का मालिक पीड़ित के परिवार को मुआवजा देगा. बताया कि मुआवजा का गणना मृतक की उम्र, रिटायर्ड उम्र, कमाई और उनके ऊपर निर्भर परिवार के लोगों को देखते हुए किया जाता है.

गिरिडीहः झारखंड में गिरिडीह जिला में शनिवार देर शाम एक यात्री बस बराकर नदी में गिर गयी. इस दुर्घटना में चार लोगों की मौत हुई. इसके बाद प्रशासन ने इस हादसे की जांच शुरू की. जिसमें एक के बाद एक कई तरह की बातें सामने आईं. हादसे की वजह गाड़ी की स्पीड भी रही, साथ ही वजह में एक लाल रंग की कार को भी बताया गया है. लेकिन इसमें सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि इस गाड़ी के कागजात में घालमेल नजर आया.

इसे भी पढ़ें- Giridih Bus Accident: हादसे में मरने वालों की संख्या हुई चार, अस्पताल में घायलों से मिलीं मंत्री बेबी देवी

बाबा सम्राट आलीशान नामक बस के कागजात को लेकर सवाल उठाये जा रहे हैं. अब तक की छानबीन में इस बात का खुलास हुआ है कि इस बस का बीमा स्कूटर का होने का बताया जा रहा है. गिरिडीह बस दुर्घटना के बाद इसके कागजात की पड़ताल की जा रही है. पहली पड़ताल में जहां तेज रफ्तार के पीछे परमिट की टाइमिंग की बात सामने आई. दूसरी तरफ बस की बीमा पर सवाल भी उठ रहे हैं. बस का रजिस्ट्रेशन नंबर जेएच 07एच 2906 के बीमा की ऑनलाइन पड़ताल हुई तो इसमें भी गड़बड़ी दिख रही है.

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इंश्योरेंस का पेपर

बस के नंबर पर स्कूटर का बीमाः इस बस का इंश्योरेंस पॉलिसी नंबर 1130003123010240021524 है. लेकिन जब इसकी गहराई से जांच की गयी तो इस रजिस्टर्ड नंबर पर बीमा न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी का टू व्हिलर पैकेज पॉलिसी निकला. ये पॉलिसी नंबर पर स्कूटर (बजाज स्पिरिट) का बीमा कागज में अंकित है. इस नंबर पर जारी पॉलिसी पंकज कुमार के नाम पर दिख रहा है. जबकि जो बस दुर्घटनाग्रस्त हुई है वह बस राजू खान के नाम पर है. ऑनलाइन से मिली बीमा के कागजात की जानकारी गिरिडीह डीसी नमन प्रियेश लकड़ा को भी मिली है. डीसी ने इसकी जांच शुरू कर दी है. साथ ही अधिकारियों को बीमा के अलावा अन्य कागजात खंगालने के लिए कहा गया है.

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बस का पेपर

पैसों के लिए पेपर में की गई गड़बड़ीः इसको लेकर सामाजिक कार्यकर्ता प्रभाकर व अधिवक्ता प्रवीण कुमार से ईटीवी भारत ने बात की. प्रभाकर ने बताया कि वे खुद भी मोटर बीमा का कार्य करते हैं और दुर्घटना के बाद उन्होंने काफी पड़ताल की. जिसमें यह पाया कि दुर्घटनाग्रस्त बस की बीमा स्कूटर के नाम पर है. उन्होंने इसे अपराध बताया है. प्रभाकर ने बताया कि किसी भी वाहन की थर्ड पार्टी बीमा जरूरी है. जो बस दुर्घटनाग्रस्त हुई उसका थर्ड पार्टी बीमा का प्रीमियम लगभग 60 हजार आता है. इसी 60 हजार को बचाने के लिए कई लोग इस तरह का अपराध कर रहे हैं. यह भी बताया एम परिवहन का वेबसाइट बीमा कंपनी के सर्वर से महज गाड़ी संख्या, पॉलिसी नंबर, वैधता और बीमा कंपनी का नाम मैच कर उसे वेबसाइट पर अपडेट कर देती है. इसी का फायदा उठाकर इस तरह की जालसाजी की जाती है.

अधिवक्ता प्रवीण कुमार ने बताया कि स्कूटर की बीमा पर बस चलाना अपराध है. ऐसे वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने से हादसे में घायल, मृतक के परिजनों को वाहन बीमा का लाभ नहीं मिल पाएगा. वहीं, इस विषय पर बस के मालिक का पक्ष लेने के लिए कई दफा फोन किया गया लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया.

क्या हैं बीमा के नियमः बीमा कंपनी से जुड़े प्रभाकर बताते हैं अगर बस का बीमा रहता तो मृतक से लेकर घायल तक को उचित मुआवजा मिलता. इनके अनुसार वाहन बीमा में डेथ क्लेम में मुआवजा का टेबल फिक्स किया हुआ है. बीमा कंपनी मानती है कि कोई भी व्यक्ति 60 साल में रिटायर होगा. ऐसे में जितना वर्ष उम्र बचा हुआ उस कार्यकाल का गुणा 60 वर्ष तक प्रत्येक वर्ष 180 दिन के हिसाब से किया जाएगा और मुआवजा मिलेगा. अगर मृतक कुछ भी काम नहीं करता है तो बेरोजगार होने की सूरत में न्यूनतम मजदूरी को प्रत्येक वर्ष 180 दिन से गुणा करते हुए अतिरिक्त पांच लाख भी दिया जाएगा.

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क्या कहता है बीमा का नियम

उन्होंने बताया कि नाबालिग के मामले में मुआवजे की राशि और भी अधिक होती है. यहां यह देखा जाता है कि नाबालिग अगर 18 वर्ष के बाद काम करता तो ज्यादा पैसे कमा सकता था. दूसरी तरफ वाहन बीमा के डेथ क्लेम देखने वाले अधिवक्ता प्रवीण कुमार कहते हैं कि वाहन का बीमा अगर नहीं है तो वाहन का मालिक पीड़ित के परिवार को मुआवजा देगा. बताया कि मुआवजा का गणना मृतक की उम्र, रिटायर्ड उम्र, कमाई और उनके ऊपर निर्भर परिवार के लोगों को देखते हुए किया जाता है.

Last Updated : Aug 7, 2023, 6:50 PM IST
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