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जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में गुलाम नबी आजाद का कार्यकाल सबसे अच्छा था : डॉ. कर्ण सिंह

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Published : Apr 6, 2023, 3:38 PM IST

जम्मू कश्मीर के सीएम के रूप में गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) का कार्यकाल सबसे अच्छा कार्यकाल था. उनके कार्यकाल में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के साथ ही अन्य कई विकास कार्य किए गए. उक्त बातें पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ.कर्ण सिंह ने कही. पढ़ें पूरी खबर...

Ghulam Nabi Azad Dr Karan Singh
गुलाम नबी आजाद डॉ. कर्ण सिंह

नई दिल्ली : जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) का कार्यकाल (2005-2008) किसी भी मुख्यमंत्री का सबसे अच्छा कार्यकाल था. उक्त बातें पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. कर्ण सिंह ने बुधवार को गुलाम नबी आजाद की आत्मकथा के लॉन्च के अवसर पर कहीं. डॉ. सिंह ने कहा कि उस अवधि के दौरान भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा था और स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे के अलावा अन्य क्षेत्र में बहुत सारे विकास कार्य किए गए थे.

डॉ. सिंह की यह टिप्पणी जम्मू कश्मीर के तीन बार के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) की मौजूदगी में आई. हालांकि बाद में डॉ. अब्दुल्ला ने इस संबंध में मीडिया पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया. वहीं डॉ. सिंह ने अपने एक वक्तव्य से अब्दुल्ला परिवार के तीन और मुफ्ती परिवार के दो मुख्यमंत्रियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा कर दिया. बाद में डॉ. सिंह ने 2000 के दशक के मध्य की अपनी यादों का जिक्र करते हुए इस बात प्रकाश डाला कि कैसे दिवंगत पीडीपी सुप्रीमों मुफ्ती मोहम्मद सईद ने बाधाएं खड़ी कीं क्योंकि वह आगामी तीन साल के लिए मुख्यमंत्री के रूप में अपना कार्यकाल जारी रखना चाहते थे. और यह तब था जब कांग्रेस-पीडीपी गठबंधन द्वारा यह पहले से ही तय किया गया था कि मुफ्ती और आजाद दोनों तीन-तीन साल तक सेवा करेंगे.

डॉ. सिंह के मुताबिक नेशनल कांफ्रेंस के पास 28 सीटें थीं, कांग्रेस के पास 21 और पीडीपी के पास 16 सीटें थीं. लेकिन सोनिया गांधी ने पीडीपी प्रमुख मुफ्ती मोहम्मद सईद को सरकार में आमंत्रित करने का फैसला किया था. लेकिन मुफ्ती मोहम्मद ने मुख्यमंत्री बनने पर जोर दिया जबकि कांग्रेस के पास 21 विधायक थे और पीडीपी के पास महज 16 विधायक थे. उन्होंने कहा कि बेहतर होता अगर वह मुख्यमंत्री बने रहते.

उन्होंने बाद में कहा कि जब मामला कांग्रेस कार्यसमिति में आया तो एके एंटनी को इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देने का काम सौंपा गया था लेकिन किसी तरह मुझे एहसास हुआ कि सब ठीक नहीं है. एंटनी ने जब विचार-विमर्श शुरू किया, तो वे बेहद उदार थे और मुझे लगा कि सब कुछ ठीक नहीं है. वह वही कह रहे थे जो सोनिया गांधी सुनना चाहती थीं. जब मेरी बारी आई तो मैंने कहा कि अगर आप गुलाम नबी आजाद को तीन साल नहीं देंगे तो लोग कांग्रेस को वोट क्यों दें.

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि हमेशा कुछ ऐसी बातें होती थीं कि कश्मीर में सीएम हमेशा मुस्लिम बहुल कश्मीर से होते थे, लेकिन आज़ाद अब तक के एकमात्र मुख्यमंत्री थे जब जम्मू और कश्मीर को जम्मू प्रांत से सीएम मिल रहा था. उन्होंने 2008 में कश्मीर में अमरनाथ आंदोलन के आसपास की अपनी यादों को भी याद करते हुए कहा कि कश्मीर तब 2 दिनों तक जलता रहा जबकि जम्मू 2 महीने तक जलता रहा. और फिर गिलानी साहब (कट्टर अलगाववादी सैयद अली शाह गिलानी, जिनकी 2021 में मृत्यु हो गई) थे, जिन्होंने 60 साल तक ऐसे काम किए जिन्हें हम सभी जानते हैं.

ये भी पढ़ें - Scindia Vs Congress: केंद्रीय मंत्री सिंधिया और कांग्रेस के बीच तनातनी बढ़ी, मामला 'देशद्रोही' और 'गद्दार' तक पहुंचा

नई दिल्ली : जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) का कार्यकाल (2005-2008) किसी भी मुख्यमंत्री का सबसे अच्छा कार्यकाल था. उक्त बातें पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. कर्ण सिंह ने बुधवार को गुलाम नबी आजाद की आत्मकथा के लॉन्च के अवसर पर कहीं. डॉ. सिंह ने कहा कि उस अवधि के दौरान भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा था और स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे के अलावा अन्य क्षेत्र में बहुत सारे विकास कार्य किए गए थे.

डॉ. सिंह की यह टिप्पणी जम्मू कश्मीर के तीन बार के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) की मौजूदगी में आई. हालांकि बाद में डॉ. अब्दुल्ला ने इस संबंध में मीडिया पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया. वहीं डॉ. सिंह ने अपने एक वक्तव्य से अब्दुल्ला परिवार के तीन और मुफ्ती परिवार के दो मुख्यमंत्रियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा कर दिया. बाद में डॉ. सिंह ने 2000 के दशक के मध्य की अपनी यादों का जिक्र करते हुए इस बात प्रकाश डाला कि कैसे दिवंगत पीडीपी सुप्रीमों मुफ्ती मोहम्मद सईद ने बाधाएं खड़ी कीं क्योंकि वह आगामी तीन साल के लिए मुख्यमंत्री के रूप में अपना कार्यकाल जारी रखना चाहते थे. और यह तब था जब कांग्रेस-पीडीपी गठबंधन द्वारा यह पहले से ही तय किया गया था कि मुफ्ती और आजाद दोनों तीन-तीन साल तक सेवा करेंगे.

डॉ. सिंह के मुताबिक नेशनल कांफ्रेंस के पास 28 सीटें थीं, कांग्रेस के पास 21 और पीडीपी के पास 16 सीटें थीं. लेकिन सोनिया गांधी ने पीडीपी प्रमुख मुफ्ती मोहम्मद सईद को सरकार में आमंत्रित करने का फैसला किया था. लेकिन मुफ्ती मोहम्मद ने मुख्यमंत्री बनने पर जोर दिया जबकि कांग्रेस के पास 21 विधायक थे और पीडीपी के पास महज 16 विधायक थे. उन्होंने कहा कि बेहतर होता अगर वह मुख्यमंत्री बने रहते.

उन्होंने बाद में कहा कि जब मामला कांग्रेस कार्यसमिति में आया तो एके एंटनी को इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देने का काम सौंपा गया था लेकिन किसी तरह मुझे एहसास हुआ कि सब ठीक नहीं है. एंटनी ने जब विचार-विमर्श शुरू किया, तो वे बेहद उदार थे और मुझे लगा कि सब कुछ ठीक नहीं है. वह वही कह रहे थे जो सोनिया गांधी सुनना चाहती थीं. जब मेरी बारी आई तो मैंने कहा कि अगर आप गुलाम नबी आजाद को तीन साल नहीं देंगे तो लोग कांग्रेस को वोट क्यों दें.

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि हमेशा कुछ ऐसी बातें होती थीं कि कश्मीर में सीएम हमेशा मुस्लिम बहुल कश्मीर से होते थे, लेकिन आज़ाद अब तक के एकमात्र मुख्यमंत्री थे जब जम्मू और कश्मीर को जम्मू प्रांत से सीएम मिल रहा था. उन्होंने 2008 में कश्मीर में अमरनाथ आंदोलन के आसपास की अपनी यादों को भी याद करते हुए कहा कि कश्मीर तब 2 दिनों तक जलता रहा जबकि जम्मू 2 महीने तक जलता रहा. और फिर गिलानी साहब (कट्टर अलगाववादी सैयद अली शाह गिलानी, जिनकी 2021 में मृत्यु हो गई) थे, जिन्होंने 60 साल तक ऐसे काम किए जिन्हें हम सभी जानते हैं.

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