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गाजियाबाद में घरों के बाहर लगा रहे 'मकान बिकाऊ है' के पोस्टर, जानिए क्या है मामला

गाजियाबाद के प्रताप नगर (Pratap Nagar) क्षेत्र के रहने वाले लोग मकान बेचकर कहीं और जाना चाहते हैं. क्षेत्र के लोगों ने मकानों के बाहर 'मकान बिकाऊ है' (House for sale) के पोस्टर लगा रखे हैं. जानिए आखिर क्या है पूरा मामला...

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Published : Jul 19, 2021, 5:39 PM IST

गाजियाबाद
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नई दिल्ली/गाजियाबाद : प्रताप नगर (Pratap Nagar) क्षेत्र के रहने वाले लोग मकान बेचकर कहीं और जाना चाहते हैं. क्षेत्र के लोगों ने मकानों के बाहर 'मकान बिकाऊ है' (House for sale) के पोस्टर लगा रखे हैं. क्षेत्र के करीब दर्जन भर घरों के बाहर 'मकान बिकाऊ है' पास्टर लगे हुए हैं. आखिर क्या कुछ पूरा मामला है, जो इलाके के लोगों ने घरों के बाहर ऐसे पोस्टर लगा रहे हैं. देखिए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...

देखें वीडियो

प्रताप नगर इलाका पुलिस लाइन के दूसरी तरफ है. प्रताप नगर को मुख्य मार्ग से जोड़ने वाली सड़क पुलिस लाइन से होकर निकलती है. इलाके के लोगों के मुताबिक, पुलिस ने लंबे समय से इस सड़क को बैरिकेडिंग लगाकर बंद कर रखा है. इस वजह से मुख्य मार्ग पर जाने के लिए कई किलोमीटर का चक्कर काटना पड़ रहा है.

प्रताप नगर के रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष सतीश चंद्र शर्मा के मुताबिक, इलाके में करीब 500 मकान हैं. इसमें लगभग 5,000 लोग रहते हैं. सतीश शर्मा का आरोप है कि पुलिस द्वारा रास्ते को बंद कर दिया गया है. पुलिस लाइन से होते हुए एक मिनट में मुख्य मार्ग पर पहुंच जाते थे, लेकिन अब मुख्य मार्ग पर जाने के लिए कई किलोमीटर का चक्कर काटना पड़ता है. ऐसे में इलाके के लोग मकान बेचने के लिए मजबूर हैं.

ये भी पढ़ें- सरकार ने बागवानी फसलों के क्षेत्र और उत्पादन का दूसरा अग्रिम अनुमान जारी किया

सतीश शर्मा ने बताया कि पूरे मामले को लेकर इलाहाबाद हाइकोर्ट में याचिका भी दायर की गई है. राजस्व विभाग विभाग के दस्तावेजों में, जिस रास्ते को बंद किया गया है, वह आम रास्ता है. प्रताप नगर रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के उपाध्यक्ष इंद्रजीत शर्मा का कहना है कि वह 35 सालों से इलाके में रहते आ रहे हैं. पुलिस द्वारा रास्ता बंद कर दिया गया है. ऐसे में मकान बेचकर, कहीं और चले जाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है.

प्रताप नगर निवासी रामवती बताती हैं कि बीते चार दशकों से इलाके में रह रही हैं. जब निकलने के लिए रास्ता नहीं होगा, तो घुट के मरने से बेहतर है कि मकान बेच दें. विपिन कुमार यादव बताते हैं कि मकान बिकाऊ लिखने के पीछे मुख्य कारण है कि पुलिस प्रशासन द्वारा आने-जाने का रास्ता बंद कर दिया गया है. मामले की शिकायत जिलाधिकारी और एसएसपी से की जा चुकी है, लेकिन कोई हल नहीं निकल पाया है. करीब डेढ़ साल से रास्ता बंद है. मकान बिकाऊ होने के पोस्टर चस्पा होने के बाद खरीदार मकान खरीदने तो आ रहे हैं, लेकिन रास्ता न होने के कारण औने पौने दाम लगा रहे हैं.

प्रताप नगर में रहने वाली ममता का कहना था पुलिस विभाग द्वारा रास्ता बंद कर दिया गया है. ऐसे में मकान बेचने को मजबूर हैं. सुमन देवी का कहना था रास्ता बंद होने के चलते महिलाओं को खासा परेशानी होती है. रात के समय दूसरे रास्ते से निकलने पर चेन स्नेचिंग आदि का डर लगा रहता है.

नई दिल्ली/गाजियाबाद : प्रताप नगर (Pratap Nagar) क्षेत्र के रहने वाले लोग मकान बेचकर कहीं और जाना चाहते हैं. क्षेत्र के लोगों ने मकानों के बाहर 'मकान बिकाऊ है' (House for sale) के पोस्टर लगा रखे हैं. क्षेत्र के करीब दर्जन भर घरों के बाहर 'मकान बिकाऊ है' पास्टर लगे हुए हैं. आखिर क्या कुछ पूरा मामला है, जो इलाके के लोगों ने घरों के बाहर ऐसे पोस्टर लगा रहे हैं. देखिए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...

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प्रताप नगर इलाका पुलिस लाइन के दूसरी तरफ है. प्रताप नगर को मुख्य मार्ग से जोड़ने वाली सड़क पुलिस लाइन से होकर निकलती है. इलाके के लोगों के मुताबिक, पुलिस ने लंबे समय से इस सड़क को बैरिकेडिंग लगाकर बंद कर रखा है. इस वजह से मुख्य मार्ग पर जाने के लिए कई किलोमीटर का चक्कर काटना पड़ रहा है.

प्रताप नगर के रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष सतीश चंद्र शर्मा के मुताबिक, इलाके में करीब 500 मकान हैं. इसमें लगभग 5,000 लोग रहते हैं. सतीश शर्मा का आरोप है कि पुलिस द्वारा रास्ते को बंद कर दिया गया है. पुलिस लाइन से होते हुए एक मिनट में मुख्य मार्ग पर पहुंच जाते थे, लेकिन अब मुख्य मार्ग पर जाने के लिए कई किलोमीटर का चक्कर काटना पड़ता है. ऐसे में इलाके के लोग मकान बेचने के लिए मजबूर हैं.

ये भी पढ़ें- सरकार ने बागवानी फसलों के क्षेत्र और उत्पादन का दूसरा अग्रिम अनुमान जारी किया

सतीश शर्मा ने बताया कि पूरे मामले को लेकर इलाहाबाद हाइकोर्ट में याचिका भी दायर की गई है. राजस्व विभाग विभाग के दस्तावेजों में, जिस रास्ते को बंद किया गया है, वह आम रास्ता है. प्रताप नगर रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के उपाध्यक्ष इंद्रजीत शर्मा का कहना है कि वह 35 सालों से इलाके में रहते आ रहे हैं. पुलिस द्वारा रास्ता बंद कर दिया गया है. ऐसे में मकान बेचकर, कहीं और चले जाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है.

प्रताप नगर निवासी रामवती बताती हैं कि बीते चार दशकों से इलाके में रह रही हैं. जब निकलने के लिए रास्ता नहीं होगा, तो घुट के मरने से बेहतर है कि मकान बेच दें. विपिन कुमार यादव बताते हैं कि मकान बिकाऊ लिखने के पीछे मुख्य कारण है कि पुलिस प्रशासन द्वारा आने-जाने का रास्ता बंद कर दिया गया है. मामले की शिकायत जिलाधिकारी और एसएसपी से की जा चुकी है, लेकिन कोई हल नहीं निकल पाया है. करीब डेढ़ साल से रास्ता बंद है. मकान बिकाऊ होने के पोस्टर चस्पा होने के बाद खरीदार मकान खरीदने तो आ रहे हैं, लेकिन रास्ता न होने के कारण औने पौने दाम लगा रहे हैं.

प्रताप नगर में रहने वाली ममता का कहना था पुलिस विभाग द्वारा रास्ता बंद कर दिया गया है. ऐसे में मकान बेचने को मजबूर हैं. सुमन देवी का कहना था रास्ता बंद होने के चलते महिलाओं को खासा परेशानी होती है. रात के समय दूसरे रास्ते से निकलने पर चेन स्नेचिंग आदि का डर लगा रहता है.

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