हैदराबाद : भारत में साइबर क्राइम की घटनाएं बढ़ रही हैं. देश में साइबर अपराध की दर 2019 में 3.3 प्रतिशत से बढ़कर 2020 में 3.7 प्रतिशत हो गई . नैशनल क्राइम ब्यूरो रेकॉर्ड ( एनसीआरबी) के मुताबिक, 2020 में साइबर अपराध के 50,035 मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें से 60.2 प्रतिशत ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी के थे. किसी के बैंक अकाउंट में हैकर्स ने सेंध लगा दी तो कई लोगों ने फर्जी ओटीपी और ऑनलाइन बैंकिंग के दौरान पैसे गंवाए.
अक्सर छोटी रकम गंवाने वाले कानूनी पचड़े से बचने के लिए शिकायत नहीं करते हैं. दर्ज आंकड़े हकीकत में हुई घटनाओं से काफी कम है. इसका अनुमान इससे लगा सकते हैं कि गृह मंत्रालय के पोर्टल cybercrime.gov.in के माध्यम से जनवरी 2020 से जनवरी 2021 यानी एक साल के बीच दो लाख लोगों ने वित्तीय धोखाधड़ी की शिकायत की थी, उनमें से जांच के बाद सिर्फ 5,000 मामलों में केस दर्ज किया गया था.
सिक्युरिटी रिसर्च फर्म नॉर्टन लाइफलॉक की अप्रैल 2021 में जारी रिपोर्ट के अनुसार, पिछले एक साल में देश में लगभग 2.7 करोड़ की पर्सनल जानकारी (अकाउंट नंबर, पासवर्ड, ओटीपी, फोन नंबर) चोरी हुई. हैकर्स पासवर्ड और पर्सनल डिटेल के आधार पर आपके बैंक अकाउंट में सेंध लगा सकते हैं. अधिकतर लोग साइबर वित्तीय धोखाधड़ी होने पर यह सोचकर चुप ही रह जाते हैं कि ऐसी स्थिति में कुछ भी नहीं किया जा सकता है. मगर ऐसा नहीं हैं ऑनलाइन धोखाधड़ी के शिकार होने पर आपको पूरी राशि वापस मिल सकती है.
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यदि आपके बैंक खाते में अनधिकृत लेन-देन हो, तो अपने नुकसान को सीमित करने के लिए तुरंत अपने बैंक को रिपोर्ट करें।#BeAware #BeSecure#rbikehtahai #StaySafehttps://t.co/mKPAIp5rA3 https://t.co/Y3dqxucGDH pic.twitter.com/wuLnDAluI5
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यदि आपके बैंक खाते में अनधिकृत लेन-देन हो, तो अपने नुकसान को सीमित करने के लिए तुरंत अपने बैंक को रिपोर्ट करें।#BeAware #BeSecure#rbikehtahai #StaySafehttps://t.co/mKPAIp5rA3 https://t.co/Y3dqxucGDH pic.twitter.com/wuLnDAluI5
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के दिशा-निर्देशों के अनुसार, अगर कोई भी अनधिकृत लेन-देन होता है तो उसके बाद भी आपका पूरा पैसा वापस मिल सकता है. इसके लिए सतर्कता जरूरी है. आरबीआई के मुताबिक, ऐसे किसी भी अवैध ट्रांजेक्शन की जानकारी बैंक को देकर आप नुकसान से बच सकते हैं. जब आप कार्ड या ऑनलाइन पेमेंट करते हैं तो उसके बाद अकाउंट से संबंधित फोन नंबर पर मैसेज आता है. उसमें ऑनलाइन कंप्लेन का लिंक और फोन नंबर भी होता है.
नियम के मुताबिक, ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी होने के तीन दिन के भीतर आप ट्रांजेक्शन के बारे में बैंक को सूचना दें. बैंकों के पास बीमा पॉलिसी होती है, जिससे वह ऑनलाइन धोखाधड़ी में गंवाई गई रकम को क्लेम करता है. उपभोक्ता की शिकायत मिलते ही बैंक धोखाधड़ी का विवरण सीधे बीमा कंपनी को भेज देता है. बीमा कंपनी के पैसे से ग्राहक के नुकसान की भरपाई की जाती है. अगर उपभोक्ता ने तीन दिन के भीतर बैंक को फ्रॉड की सूचना नहीं देते हैं तो 4 से 7 दिनों के भीतर शिकायत जरूर कर दें. ऐसे हालात में 25,000 रुपये तक का नुकसान वहन करना होगा.
ऑनलाइन फ्रॉड होने के बाद कहां हो जाती है चूक
Microsoft 2021 ग्लोबल टेक सपोर्ट स्कैम रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, भारत में ऑनलाइन ठगी के शिकार 73 प्रतिशत लोगों ने स्कैमर या ठगी करने वाले से बात की थी और उनके झांसे में आकर रुपये गंवा दिए. इनमें 31 प्रतिशत लोग घटना के बाद ठगों से रुपये वापसी को लेकर उलझते रहे. जब कोई शख्स ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार होता है तो बैंक को सूचना नहीं देते हैं. सर्वे में यह सामने आया कि ठगी के बाद लोग ठगने वाले गिरोह या कंपनी से उलझने में समय बर्बाद कर देते हैं.
तो क्या करें
फोन या मेल पर आए अनजाने लिंक को कभी क्लिक नहीं करें
सार्वजनिक कंप्यूटर और वाई-फाई से कभी फाइनैंशल ट्रांजेक्शन नहीं करें
अगर आपको किसी भी लेन-देन के दौरान शंका होती है तो ट्रांजेक्शन रोक दें
अगर ठगी का शिकार हो जाते हैं तो बैंक को तुरंत ट्रांसजेक्शन डिटेल के साथ सूचना दें
गृह मंत्रालय के पोर्टल cybercrime.gov.in पर जाकर कंप्लेन रजिस्टर जरूर करें