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Strike In Imphal: मणिपुर की इंफाल घाटी में हड़ताल से सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त

मणिपुर के 27 जिलों में आज 24 घंटे की हड़ताल से लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त रहा. इस दौरान स्कूल, कॉलेज, बाजार और व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे.

General strike cripples normal life in Manipur's Imphal Valley
मणिपुर की इंफाल घाटी में आम हड़ताल से सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया
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Published : Aug 5, 2023, 10:46 AM IST

इंफाल: मणिपुर में 27 विधानसभा क्षेत्रों की समन्वय समिति द्वारा शनिवार को बुलाई गई 24 घंटे की आम हड़ताल से इंफाल घाटी में सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ और लगभग सभी इलाकों में बाजार व व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे. हड़ताल के दौरान सार्वजनिक वाहन सड़कों से नदारद रहे और केवल कुछ निजी वाहन ही चलते दिखे. हड़ताल के कारण स्कूल भी बंद रहे. हालांकि, पहाड़ी जिले हड़ताल से काफी हद तक अप्रभावित रहे.

समन्वय समिति ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए विधानसभा का आपातकालीन सत्र आहूत करने की मांग को लेकर यह हड़ताल की है. समिति के संयोजक एल बिनोद ने पहले कहा था कि हड़ताल लोगों की परेशानियों को बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि "सरकार पर दबाव" बनाने के वास्ते है. इस बीच, मणिपुर मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को राज्यपाल अनुसुइया उइके से 21 अगस्त से विधानसभा का सत्र आहूत करने की सिफारिश की। पिछला विधानसभा सत्र मार्च में हुआ था.

ये भी पढ़ें- मणिपुर कैबिनेट ने राज्यपाल से 21 अगस्त को विधानसभा का सत्र बुलाने को कहा

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. राज्य में मेइती समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे अधिकतर पर्वतीय जिलों में रहते हैं.

(पीटीआई-भाषा)

इंफाल: मणिपुर में 27 विधानसभा क्षेत्रों की समन्वय समिति द्वारा शनिवार को बुलाई गई 24 घंटे की आम हड़ताल से इंफाल घाटी में सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ और लगभग सभी इलाकों में बाजार व व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे. हड़ताल के दौरान सार्वजनिक वाहन सड़कों से नदारद रहे और केवल कुछ निजी वाहन ही चलते दिखे. हड़ताल के कारण स्कूल भी बंद रहे. हालांकि, पहाड़ी जिले हड़ताल से काफी हद तक अप्रभावित रहे.

समन्वय समिति ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए विधानसभा का आपातकालीन सत्र आहूत करने की मांग को लेकर यह हड़ताल की है. समिति के संयोजक एल बिनोद ने पहले कहा था कि हड़ताल लोगों की परेशानियों को बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि "सरकार पर दबाव" बनाने के वास्ते है. इस बीच, मणिपुर मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को राज्यपाल अनुसुइया उइके से 21 अगस्त से विधानसभा का सत्र आहूत करने की सिफारिश की। पिछला विधानसभा सत्र मार्च में हुआ था.

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मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. राज्य में मेइती समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे अधिकतर पर्वतीय जिलों में रहते हैं.

(पीटीआई-भाषा)

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