नई दिल्ली : लोकसभा में शुक्रवार को शोर-शराबे के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 'साधारण बीमा कारोबार (राष्ट्रीयकरण) संशोधन विधेयक, 2021' पेश किया जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों में अधिक निजी भागीदारी को सुगम बनाने का मार्ग प्रशस्त होगा.
विधेयक पेश किये जाने का विरोध करते हुएए आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन ने कहा सदन में व्यवस्था नहीं है और ऐसे में इस विधेयक को लाना सही नहीं है. उन्होंने कहा कि यह विधेयक पूरी तरह बीमा कंपनियों का निजीकरण करने वाला है.
कांग्रेस के के. सुरेश ने भी शोर शराबे के बीच विधेयक पेश किए जाने का विरोध किया.
सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हम हर विषय पर चर्चा चाहते हैं लेकिन सरकार पेगासस पर चर्चा से क्यों बच रही है.
उन्होंने भी विधेयक को वापस लिए जाने की मांग की.
इस पर वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा, मैं भी चाहती हूं कि सदन में व्यवस्था हो और चर्चा हो और यह भी चाहती हूं कि सदस्य इस तरह के विधेयक के महत्व को समझें.
उन्होंने कहा कि लेकिन जो आशंकाएं जताई गयी हैं, वे बेबुनियाद हैं. सीतारमण ने कहा, हम इस विधेयक के माध्यम से बीमा कंपनियों का निजीकरण नहीं करने जा रहे बल्कि कुछ प्रावधान ला रहे हैं ताकि भारतीय नागरिकों, आम लोगों, निजी क्षेत्र की सहभागिता साधारण बीमा कंपनियों में बढ़े.
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सीतारमण ने कहा कि इन बीमा कंपनियों के तेजी से विकास के लिए संसाधन जरूरी हैं और निजी क्षेत्र से इन्हें धन और तकनीक मिल सकती हैं.
इस विधेयक के माध्यम से साधारण बीमा कारोबार (राष्ट्रीयकरण) अधिनियम में संशोधन किया जा रहा है. यह अधिनियम 1972 में लागू हुआ था और इसमें साधारण बीमा कारोबार के विकास के जरिए अर्थव्यवस्था की जरूरतों को बेहतर तरीके से पूरा करने के लिए भारतीय बीमा कंपनियों और अन्य मौजूदा बीमा कंपनियों के उपक्रमों के शेयरों के अधिग्रहण और हस्तांतरण की अनुमति का प्रावधान किया गया था.
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों में अधिक निजी भागीदारी का उपबंध करने, बीमा पहुंच में वृद्धि करने, सामाजिक संरक्षण एवं पालिसीधारकों के हितों को बेहतर रूप से सुरक्षित करने तथा अर्थव्यवस्था की तीव्र वृद्धि में अंशदान करने के लिए अधिनियम के कुछ उपबंधों का संशोधन करना आवश्यक हो गया था.
इसी के अनुरूप साधारण बीमा कारोबार (राष्ट्रीयकरण) संशोधन विधेयक, 2021 लाया गया है.
इसमें कहा गया है कि विधेयक के माध्यम से अधिनियम की उस अपेक्षा को हटाने का प्रावधान किया गया है जिसमें केंद्र सरकार विनिर्दिष्ट बीमाकर्ता की साम्य पूंजी 51 प्रतिशत से कम नहीं होने की बात कही गई है.
(पीटीआई-भाषा)