देहरादून (उत्तराखंड): भारतीय सेना में शामिल होने का सपना देखने वाले करोड़ों युवाओं में वह कुछ चुनिंदा युवा ही अपनी मंजिल को हासिल कर पाते हैं. खास कर वो लोग जो धैर्य और कठिन परिश्रम को बनाए रखते हैं. गौरव यादव, देश के करोड़ों युवाओं के लिए ऐसी ही एक मिसाल हैं. गौरव की मेहनत का सिलसिला उनके चारों ओर निराशा के माहौल से शुरू हुआ. यह निराशा असफलताओं की थी. इससे पहले की गौरव के इतिहास को याद किया जाए, उससे पहले उनकी सफलता को जानना बेहद जरूरी है क्योंकि सफलता के आसमान को समझ कर ही निराशा की गहराई को पाटने की कठिन मेहनत को समझा जा सकता है.
शनिवार (9 दिसंबर 2023) को देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी में संपन्न हुई पासिंग आउट परेड के दौरान कई बार गौरव यादव का नाम लिया गया. वैसे आपको बता दें कि अकादमी से आज 343 जेंटलमैन कैडेट्स पास आउट होकर भारतीय सेना में बतौर अफसर शामिल हुए. इनमें गौरव यादव वो जेंटलमैन कैडेट हैं जिन्होंने अपने पूरे प्रशिक्षण के दौरान सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए अकादमी के सर्वश्रेष्ठ जेंटलमैन कैडेट पुरस्कार स्वॉर्ड ऑफ ऑनर और गोल्ड मेडल हासिल किया. वैसे गौरव यादव के लिए यह कोई नई बात नहीं है, क्योंकि इससे पहले जब उन्होंने एनडीए पास आउट किया तो भी वह अपने बैच के प्रेसिडेंट गोल्ड मेडलिस्ट थे. अपने इस प्रदर्शन को बरकरार रखते हुए भारतीय सैन्य अकादमी में भी उन्होंने प्रथम होने का तमगा हासिल किया.
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बड़े भाई ने रुकावटों को रोका: गौरव यादव का सफर बेहद मुश्किल था, इस दौरान पारिवारिक समस्याओं से लेकर परिवार की अपेक्षाओं तक का दबाव गौरव पर रहा. गौरव यादव एक सामान्य किसान परिवार से आते हैं. उनके दादा खेती करते थे और अच्छी पैदावार होने के कारण उनके पिता भी इसी खेती में जुट गए. शिक्षा से पिता का काफी कम नाता रहा. लिहाजा गौरव और उनके बड़े भाई विनीत को अच्छी गाइडेंस मिल पाती, इसकी भी संभावनाएं कम ही रही. हालांकि, इस मामले में गौरव कुछ भाग्यशाली रहे, क्योंकि उनके बड़े भाई विनीत यादव ने इस स्थिति को उनके लिए चुनौती नहीं बनने दिया. गोल्ड मेडलिस्ट गौरव यादव कहते हैं कि भारतीय सैन्य अकादमी में हर कैडेट की तरह उनकी इच्छा भी बेहतर प्रदर्शन कर पास आउट होने की थी, जिसे उन्होंने अच्छी तरह से निभाया है.
स्कूलिंग में ठान लिया था लक्ष्य: स्कूल के समय से ही गौरव सेना में भर्ती होने को लेकर मानसिक रूप से तैयार हो गए थे. इसकी शुरुआत उनके भाई की एनडीए में असफल कोशिश से शुरू हुई. उनके बड़े भाई विनीत यादव एनडीए नहीं निकाल सके तो गौरव ने यह ठान लिया कि अब वह एनडीए निकाल कर ही रहेंगे.
बड़े भाई भी कर रहे हैं देश सेवा: किसी भी सफलता के लिए किसी ऐसे शख्स का साथ होना बेहद जरूरी होता है जो सही समय पर अपने उन सुझावों को दे सके जो सफलता की राह को आसान कर सके. गौरव के लिए इस भूमिका को उनके बड़े भाई विनीत यादव ने निभाया. विनीत फिलहाल भारतीय सेना में नायक के पद पर हैं. इससे पहले विनीत ने भी एनडीए में ज्वाइन करने की इच्छा के साथ परीक्षाएं दी लेकिन वह सफल नहीं हो सके. इसके बाद उन्होंने सेना में बतौर जवान अपनी भूमिका को निभाना सही समझा और सेना में भर्ती हो गए.
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आखिरी अटेम्प्ट में पास किया NDA: विनीत यादव खुद तो एनडीए नहीं निकाल सके. लेकिन उन्होंने अपने छोटे भाई गौरव यादव की काबलियत को समझा और उसे सेना में अफसर के रूप में शामिल होने के लिए मोटिवेट करने लगे. गौरव ने भी इसके लिए तैयारी शुरू कर दी लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी. गौरव एक के बाद एक अटेम्प्ट एनडीए के लिए दे रहे थे और हर बार किसी न किसी वजह से वह इसमें चयनित नहीं हो पाते थे. एक के बाद एक मौके हाथ से निकलते रहे और अब गौरव के पास पांचवां और आखिरी मौका ही एनडीए में शामिल होने का बचा था. इस बार पहले से भी ज्यादा तैयारी के साथ गौरव ने एनडीए की परीक्षा दी और तमाम असफलताओं के बाद आखिरी मौके पर उन्हें सफलता हाथ लग ही गई.
प्रेसिडेंट गोल्ड मेडल किया हासिल: गौरव ने एनडीए ज्वाइन किया और यहां 3 साल के कोर्स में सर्वश्रेष्ठ कैडेट के रूप में प्रेसिडेंट गोल्ड मेडल हासिल किया. इसके बाद वह भारतीय सैन्य अकादमी में 1 साल के प्रशिक्षण के लिए आ गए. यहां भी मानसिक से लेकर शारीरिक प्रशिक्षण में उन्होंने सभी को अपना लोहा मनवाया और इसलिए उन्हें अकादमी में स्वॉर्ड ऑफ ऑनर दिया गया.
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देखता हूं तो छाती चौड़ी हो जाती है: गौरव के भाई विनीत यादव कहते हैं कि जब उन्होंने एनडीए परीक्षा दी तो एक-दो मौके के बाद वह हार मान गए लेकिन उनका भाई गौरव असफलताओं से हार नहीं माना और उसने असफलताओं को हराकर अफसर बनने का सफर पूरा कर लिया. विनीत कहते हैं कि जब असफलताएं सामने आई तो कई बार लगा कि गौरव कोई गलत कदम न उठा ले. कई बार वो नर्वस भी हो गया था लेकिन उसने हार नहीं मानी और आज यह कहते हुए उनकी छाती चौड़ी हो जाती है कि उनका भाई सेना में अफसर बन गया है.