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G20 Summit: अफ़्रीकी संघ को शामिल करने से G20 दुनिया की वास्तविकताओं को और अधिक करेगा प्रतिबिंबित

नई दिल्ली में हुए जी20 शिखर सम्मेलन को सभी जी20 देश सफल बता रहे हैं. खासकर अफ्रीकी यूनियन को जी20 देशों में शामिल करने के लिए भारत द्वारा किए गए प्रस्ताव की भी सराहना हो रही है. लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि अफ्रीकी यूनियन के शामिल होने से क्या फायदा होगा. इस मुद्दे पर पढ़ें ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता चंद्रकला चौधरी की रिपोर्ट...

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 12, 2023, 10:27 PM IST

Join African Union in G20
जी20 में अफ्रीकी यूनियन में शामिल

नई दिल्ली: अफ्रीकी संघ को G20 ब्लॉक के स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करने की भारत की निरंतर वकालत ने निश्चित रूप से G20 शिखर सम्मेलन के सफल समापन के साथ देश के बढ़ते वैश्विक कद को दिखाया है. अफ्रीकी संघ, जो 55 देशों का प्रतिनिधित्व करता है, उसको भारत द्वारा शामिल किए जाने के प्रस्ताव के तीन महीने बाद शनिवार को जी20 के नए सदस्य के रूप में शामिल किया गया.

अब सवाल यह है कि G20 में अफ़्रीकी संघ का शामिल होना भारत और दुनिया के लिए क्या मायने रखता है और इसकी सदस्यता से अफ़्रीकी संघ को क्या फ़ायदा होगा? ईटीवी भारत से बात करते हुए, ऑब्जर्वर रिसर्च ऑर्गनाइजेशन, ओआरएफ में अध्ययन के अध्यक्ष हर्ष पंत ने कहा कि जी20 में एयू की स्थायी सदस्यता निश्चित रूप से भारत की बड़ी उपलब्धि रही है और इसने दिखाया है कि एक देश के रूप में भारत अपनी बात पर चलता है.

पंत ने कहा कि यह दर्शाता है कि बहुपक्षीय संस्थाएं आज विकासशील दुनिया की आवाज को नजरअंदाज नहीं कर सकती हैं. यदि बहुपक्षीय संस्थानों की कोई विश्वसनीयता है तो वैश्विक दक्षिण की आवाज़ को बहुपक्षीय शासन एजेंडे के केंद्र में होना चाहिए. G20 में AU को समान सदस्य के रूप में रखने से G20 का चरित्र बदल जाता है. उन्होंने कहा कि यह जी20 को आज विश्व की वास्तविकताओं को और अधिक प्रतिबिंबित करता है.

प्रोफेसर पंत ने कहा कि जी20 अब जिस तरह से आगे बढ़ेगा, वह बहुत अलग एजेंडे के साथ होगा, क्योंकि मेज पर एक अलग आवाज होगी, जो वैश्विक दक्षिण की आवाज का अधिक प्रभावी ढंग से प्रतिनिधित्व करेगी, जो कि अफ्रीकी संघ है. उन्होंने कहा कि अफ्रीकी संघ के शामिल होने से जी20 के चरित्र में बुनियादी बदलाव आया है. इसके साथ ही, वैश्विक बातचीत के केंद्र में होने से, वैश्विक शासन के एजेंडे को अधिक मजबूती से आकार देने में सक्षम होने से अफ्रीका को लाभ होता है, अफ्रीका को अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.

विशेषज्ञ ने कहा कि जी20 के विस्तार ने रास्ता दिखाया है कि अगर वैश्विक चुनौतियों से अधिक प्रभावी ढंग से निपटना है तो इसका कोई भी हितधारक तम्बू के बाहर नहीं हो सकता है. यह ध्यान रखना उचित है कि एयू को जी20 के स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करने का विचार शुरुआत में जनवरी 2023 में वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन में किया गया था.

हालांकि, इस विचार को इस साल जून में अमल में लाया गया, जब पीएम मोदी ने जी20 देशों के नेताओं को पत्र लिखकर जी20 नेतृत्व शिखर सम्मेलन में अफ्रीकी संघ को पूर्ण सदस्यता देने का आग्रह किया. भारत अफ्रीकी संघ को वैश्विक पटल पर लाने और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित वैश्विक और बहुपक्षीय संस्थानों में खुद को स्थापित करने में मदद करने के लिए 55 सदस्य देशों के क्षेत्रीय ब्लॉक को आवाज देने में सबसे आगे रहा है.

अफ्रीकी संघ का समावेश ऐसे समय में हुआ है जब वैश्विक मतभेदों में वृद्धि हुई है और प्रमुख सदस्यों की अनुपस्थिति ने सैद्धांतिक मुद्दों पर आम सहमति तक पहुंचने की सफलता को खतरे में डाल दिया है. भारत ने G20 नेताओं के शिखर सम्मेलन की सफलतापूर्वक मेजबानी की, पूरी दुनिया ने संयुक्त G20 दिल्ली घोषणा पर आम सहमति बनाकर इस तरह के ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने के लिए प्रधान मंत्री मोदी के नेतृत्व की सराहना की.

नई दिल्ली: अफ्रीकी संघ को G20 ब्लॉक के स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करने की भारत की निरंतर वकालत ने निश्चित रूप से G20 शिखर सम्मेलन के सफल समापन के साथ देश के बढ़ते वैश्विक कद को दिखाया है. अफ्रीकी संघ, जो 55 देशों का प्रतिनिधित्व करता है, उसको भारत द्वारा शामिल किए जाने के प्रस्ताव के तीन महीने बाद शनिवार को जी20 के नए सदस्य के रूप में शामिल किया गया.

अब सवाल यह है कि G20 में अफ़्रीकी संघ का शामिल होना भारत और दुनिया के लिए क्या मायने रखता है और इसकी सदस्यता से अफ़्रीकी संघ को क्या फ़ायदा होगा? ईटीवी भारत से बात करते हुए, ऑब्जर्वर रिसर्च ऑर्गनाइजेशन, ओआरएफ में अध्ययन के अध्यक्ष हर्ष पंत ने कहा कि जी20 में एयू की स्थायी सदस्यता निश्चित रूप से भारत की बड़ी उपलब्धि रही है और इसने दिखाया है कि एक देश के रूप में भारत अपनी बात पर चलता है.

पंत ने कहा कि यह दर्शाता है कि बहुपक्षीय संस्थाएं आज विकासशील दुनिया की आवाज को नजरअंदाज नहीं कर सकती हैं. यदि बहुपक्षीय संस्थानों की कोई विश्वसनीयता है तो वैश्विक दक्षिण की आवाज़ को बहुपक्षीय शासन एजेंडे के केंद्र में होना चाहिए. G20 में AU को समान सदस्य के रूप में रखने से G20 का चरित्र बदल जाता है. उन्होंने कहा कि यह जी20 को आज विश्व की वास्तविकताओं को और अधिक प्रतिबिंबित करता है.

प्रोफेसर पंत ने कहा कि जी20 अब जिस तरह से आगे बढ़ेगा, वह बहुत अलग एजेंडे के साथ होगा, क्योंकि मेज पर एक अलग आवाज होगी, जो वैश्विक दक्षिण की आवाज का अधिक प्रभावी ढंग से प्रतिनिधित्व करेगी, जो कि अफ्रीकी संघ है. उन्होंने कहा कि अफ्रीकी संघ के शामिल होने से जी20 के चरित्र में बुनियादी बदलाव आया है. इसके साथ ही, वैश्विक बातचीत के केंद्र में होने से, वैश्विक शासन के एजेंडे को अधिक मजबूती से आकार देने में सक्षम होने से अफ्रीका को लाभ होता है, अफ्रीका को अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.

विशेषज्ञ ने कहा कि जी20 के विस्तार ने रास्ता दिखाया है कि अगर वैश्विक चुनौतियों से अधिक प्रभावी ढंग से निपटना है तो इसका कोई भी हितधारक तम्बू के बाहर नहीं हो सकता है. यह ध्यान रखना उचित है कि एयू को जी20 के स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करने का विचार शुरुआत में जनवरी 2023 में वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन में किया गया था.

हालांकि, इस विचार को इस साल जून में अमल में लाया गया, जब पीएम मोदी ने जी20 देशों के नेताओं को पत्र लिखकर जी20 नेतृत्व शिखर सम्मेलन में अफ्रीकी संघ को पूर्ण सदस्यता देने का आग्रह किया. भारत अफ्रीकी संघ को वैश्विक पटल पर लाने और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित वैश्विक और बहुपक्षीय संस्थानों में खुद को स्थापित करने में मदद करने के लिए 55 सदस्य देशों के क्षेत्रीय ब्लॉक को आवाज देने में सबसे आगे रहा है.

अफ्रीकी संघ का समावेश ऐसे समय में हुआ है जब वैश्विक मतभेदों में वृद्धि हुई है और प्रमुख सदस्यों की अनुपस्थिति ने सैद्धांतिक मुद्दों पर आम सहमति तक पहुंचने की सफलता को खतरे में डाल दिया है. भारत ने G20 नेताओं के शिखर सम्मेलन की सफलतापूर्वक मेजबानी की, पूरी दुनिया ने संयुक्त G20 दिल्ली घोषणा पर आम सहमति बनाकर इस तरह के ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने के लिए प्रधान मंत्री मोदी के नेतृत्व की सराहना की.

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