नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सामान्य छूट अधिसूचना के माध्यम से राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति 2021 के तहत सूचीबद्ध सभी दुर्लभ रोगों के उपचार के लिए आयातित सभी दवाओं और विशेष चिकित्सा उद्देश्यों के लिए खाद्य पर बुनियादी सीमा शुल्क से पूर्ण छूट दी है. यह छूट व्यक्तिगत उपयोग के लिए आयातित दवाओं और विशेष चिकित्सा उद्देश्यों के लिए खाद्य पर दी गई है. इस छूट का लाभ उठाने के लिए, व्यक्तिगत आयातक को केंद्रीय या राज्य निदेशक स्वास्थ्य सेवा या जिला चिकित्सा अधिकारी या जिले के सिविल सर्जन से एक प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा.
दवाओं पर आम तौर पर 10% का मूल सीमा शुल्क लगता है, जबकि जीवन रक्षक दवाओं की कुछ श्रेणियों और टीके आदि पर 5% या शून्य सीमा शुल्क लगेगा. मंत्रालय ने बताया कि स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी या ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के उपचार के लिए निर्दिष्ट दवाओं को पहले ही छूट प्रदान की जा चुकी है. मंत्रालय ने कहा कि सरकार अन्य दुर्लभ बीमारियों के उपचार में उपयोग की जाने वाली दवाओं के लिए सीमा शुल्क राहत की मांग करने वाले कई आवेदन प्राप्त हो रहे हैं. इन बीमारियों का इलाज महंगा है. इनकी दवाओं को आयात करने की जरूरत है.
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यह अनुमान लगाया गया है कि 10 किलो वजन वाले बच्चे के लिए, कुछ दुर्लभ बीमारियों के इलाज की वार्षिक लागत ₹10 लाख से ₹1 करोड़ प्रति वर्ष से अधिक हो सकती है. मंत्रालय ने बताया कि उपचार आजीवन चलता है और दवा की खुराक और लागत, उम्र और वजन के साथ बढ़ती जा रही है. मंत्रालय ने दावा किया कि इस छूट के परिणामस्वरूप लागत में काफी बचत होगी. रोगियों को बहुत ही जरूरी राहत मिलेगी. सरकार ने विभिन्न तरह के कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाले पेम्ब्रोलिज़ुमाब (कीट्रूडा) को भी बुनियादी सीमा शुल्क से पूरी तरह मुक्त कर दिया है.
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