चेन्नई : तमिलनाडु सरकार ने बृहस्पतिवार को केंद्र पर पलटवार करते हुए ईंधन पर लगाए गए उपकर और अधिभार को कम करने की मांग को दोहराया. राज्य सरकार ने कहा कि उपकर और अधिभार को मूल कर दरों के साथ मिलाना चाहिए, ताकि राज्यों को केंद्रीय करों से उनका सही हिस्सा मिल सके. इससे पहले बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने कहा था कि केंद्र ने नवंबर, 2021 को ईंधन की कीमतों का बोझ कम करने के लिए उत्पाद शुल्क कम किया था, कुछ राज्यों ने कर कम किया, लेकिन कुछ ने यह लाभ प्रदान नहीं किया.
मोदी ने मुख्यमंत्रियों के साथ अपनी बैठक में कहा था कि महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल, झारखंड और तमिलनाडु ने उनके अनुरोध पर ध्यान नहीं दिया और जनता पर बोझ बना हुआ है. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन (Tamil Nadu Chief Minister M K Stalin) ने कहा कि लोगों को इस मुद्दे के पीछे के तथ्य के बारे में पता है और उनकी सरकार ने पहले ही पेट्रोल पर कर में तीन रुपये प्रति लीटर की कटौती की है.
स्टालिन ने तमिलनाडु विधानसभा में कहा कि 2014 के बाद जब भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट हुई राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने ग्राहकों को लाभ नहीं दिया, बल्कि अतिरिक्त राजस्व अर्जित कर उसे अपने पास ही रखा. उन्होंने कहा कि पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले उत्पाद शुल्क को राज्यों के साथ साझा किया जाता है, लेकिन इसे कम कर दिया गया, जिससे राज्यों का राजस्व प्रभावित हो रहा है.
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मुख्यमंत्री ने कहा, 'दूसरी ओर उपकर और अधिभार, जिन्हें राज्य सरकारों के साथ साझा नहीं किया जाता, को अत्यधिक बढ़ा दिया गया है. इस तरह लोगों पर बोझ पड़ रहा है और केंद्र सरकार इससे अर्जित राजस्व का लाभ ले रही है.' तमिलनाडु के वित्त और मानव संसाधन प्रबंधन मंत्री पलानीवेल त्यागराजन (state Finance Minister Palanivel Thiagarajan) ने कहा कि ईंधन की कीमतों पर केंद्र के अत्यधिक कर जारी है और राज्य के लिए कर को और कम करना न तो 'उचित' है और न ही 'व्यवहार्य' है. उन्होंने कहा कि पिछले सात वर्षों में पेट्रोल पर लेवी में काफी वृद्धि हुई है, जिससे केंद्र सरकार का राजस्व कई गुना बढ़ा, लेकिन राज्यों के राजस्व में कोई वृद्धि नहीं हुई.
(PTI)