नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) को निर्देश दिया है कि वो जॉनसन एंड जॉनसन के उत्पाद ORSL की बिक्री ओर वितरण पर रोक लगाने की मांग पर कानून के मुताबिक फैसला करे. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वे FSSAI को अपनी मांग से अवगत कराएं.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील गुरिंदर सिंह ने कहा कि ORSL, ओरल रिहाइड्रेशन साल्ट (ORS) का संकेत है, लेकिन इसका फॉर्मूला ORS की तरह नहीं है. उन्होंने मांग की कि ORSL के लेबल पर यह लिखा जाए कि यह ORS नहीं है. कोर्ट ने पूछा कि क्या आपने सरकार के समक्ष ये बात रखी हैं तब गुरिंदर सिंह ने कहा कि नहीं. तब कोर्ट ने कहा कि आप सीधे कोर्ट चले आए. सरकार के पास इससे निपटने के लिए पूरी मशीनरी है. आप पहले उचित प्राधिकार के पास जाइए.
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याचिका जेएनयू की असिस्टेंट प्रोफेसर रूपा सिंह ने दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि अगर कोई पेय शुद्ध रूप से फलों के रस पर आधारित पेय या गैर कार्बोनेटेड पानी-आधारित पेय है तो इसे ORSL नाम से बेचकर ORS के रुप में ग्राहकों को भ्रमित किया जा रहा है.
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याचिका में कहा गया था कि ORS डायरिया के इलाज के लिए ड्रग्स एंड कॉस्टमेटिक रुल्स 1945 की अनुसूची के वर्ग 27 के तहत एक दवा है. ORS में सोडियम, ग्लूकोज और ऑस्मोलैरिटी होता है.
याचिका में कहा गया था कि ORSL नाम के जरिये आम ग्राहकों को ORS का भ्रम होता है. जॉनसन एंड जॉनसन नामक कंपनी उक्त ब्रांड के तहत तीन अलग-अलग उत्पाद बाजार में बेचती है. ये कंपनी ORSL, ORSL प्लस और ORSL रिहाइड्रेट बेचती है, लेकिन इन तीनों में से किसी भी उत्पाद में WHO के ORS फॉर्मूले का उपयोग नहीं किया जाता है. याचिका में मांग की गई थी कि खाद्य और सुरक्षा मानक के तहत इन उत्पादों को स्कूल से 50 मीटर के दायरे में बेचने पर रोक लगाई जाए.