नई दिल्ली : चीन का उच्च प्रौद्योगिकी वाला एक अनुसंधान जहाज मंगलवार को श्रीलंका के दक्षिणी बंदरगाह हंबनटोटा पहुंचा. कुछ दिनों पहले कोलंबो ने भारत की चिंताओं को देखते हुए बीजिंग से इस जहाज का बंदरगाह पर आगमन टालने का अनुरोध किया था. चीन का बैलिस्टिक मिसाइल और उपग्रह निगरानी जहाज ‘युआन वांग 5’ स्थानीय समयानुसार सुबह आठ बजकर 20 मिनट पर दक्षिणी बंदरगाह हंबनटोटा पहुंचा. यह जहाज 22 अगस्त तक यहां रुकेगा.
यह पोत समुद्र तल की मैपिंग की क्षमता वाला एक शोध पोत है. जो चीनी नौसेना के पनडुब्बी रोधी अभियानों के लिए महत्वपूर्ण है. जहाज हिंद महासागर क्षेत्र के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में उपग्रह अनुसंधान कर सकता है, जिससे भारत के लिए सुरक्षा चिंताएं पैदा हो सकती हैं. कोलंबो से लगभग 250 किमी दूर स्थित हंबनटोटा बंदरगाह उच्च ब्याज चीनी ऋण के साथ बनाया गया था. श्रीलंकाई सरकार ने चीन से लिए गए कर्ज को चुकाने के लिए संघर्ष किया जिसके बाद बंदरगाह को 99 साल के पट्टे पर चीनियों को सौंप दिया गया.
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भारत को चिंता कि चीन कर सकता है जासूसी : नई दिल्ली इस आशंका से चिंतित है कि जहाज के ट्रैकिंग सिस्टम श्रीलंकाई बंदरगाह के रास्ते में भारतीय प्रतिष्ठानों पर जासूसी करने का प्रयास कर सकते हैं. भारत ने पारंपरिक रूप से हिंद महासागर में चीनी सैन्य जहाजों के बारे में कड़ा रुख अपनाया है और अतीत में श्रीलंका के साथ इस तरह की यात्राओं का विरोध किया है. 2014 में कोलंबो द्वारा अपने एक बंदरगाह में एक चीनी परमाणु संचालित पनडुब्बी को डॉक करने की अनुमति देने के बाद भारत और श्रीलंका के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए थे.
श्रीलंका अपना बंदरगाह दे चुका है चीन को पट्टे पर: भारत की चिंताओं को विशेष रूप से हंबनटोटा बंदरगाह पर केंद्रित किया गया है. 2017 में, कोलंबो ने दक्षिणी बंदरगाह को 99 साल के लिए चाइना मर्चेंट पोर्ट होल्डिंग्स को पट्टे पर दिया. यह इसलिए क्योंकि श्रीलंका ने चीन से लिया अपना कर्ज चुकाने में असमर्थता जताई थी.
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चीनी जासूसी शिप युआन वांग-5 को स्पेस और सैटेलाइट ट्रैकिंग में महारत हासिल है. चीन युआन वांग क्लास शिप के जरिए सैटेलाइट, रॉकेट और इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल यानी ICBM की लॉन्चिंग को ट्रैक करता है. अमेरिकी रक्षा विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, इस शिप को PLA की स्ट्रैटजिक सपोर्ट फोर्स यानी SSF ऑपरेट करती है. SSF थिएटर कमांड लेवल का आर्गेनाइजेशन है. यह PLA को स्पेस, साइबर, इलेक्ट्रॉनिक, इंफॉर्मेशन, कम्युनिकेशन और साइकोलॉजिकल वारफेयर मिशन में मदद करती है.