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अगस्त क्रांति दिवस : स्वतंत्रता सेनानी शिवराज सिंह को राष्ट्रपति ने भेजा सम्मान पत्र

भारत से ब्रिटिश साम्राज्य को समाप्त करने के उद्देश्य से 9 अगस्त, 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया गया, इसलिए यह दिन अगस्त क्रांति दिवस के रूप में जाना जाता है. इस मौके पर हल्द्वानी के अमरावती कॉलोनी निवासी 98 वर्षीय शिवराज सिंह को उप जिलाधिकारी और तहसीलदार ने सम्मानित किया. राष्ट्रपति

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Published : Aug 9, 2021, 7:09 PM IST

हल्द्वानी : 9 अगस्त, 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन की नींव रखी गई थी. इसीलिए इतिहास में 9 अगस्त के दिन को अगस्त क्रांति दिवस के रूप में जाना जाता है. इस मौके पर राज्य और केंद्र सरकार पहली बार स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित करने का काम कर रही है. इसी कड़ी में नैनीताल जनपद के स्वतंत्रता सेनानी 98 वर्षीय शिवराज सिंह को उप जिलाधिकारी और तहसीलदार ने सम्मानित किया.

उप जिलाधिकारी मनीष कुमार और तहसीलदार नितेश डांगर ने 98 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी को माला पहनाकर और शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया. इस दौरान एसडीएम ने बताया कि राष्ट्रपति द्वारा एक सम्मान पत्र भी भेजा गया है.

स्वतंत्रता सेनानी का किया गया सम्मान.

दी जाएगी हर संभव मदद

उन्होंने कहा कि शासन के निर्देश के आदेश के बाद शिवराज सिंह को सम्मानित करने का कार्यक्रम किया गया है. उप जिलाधिकारी ने बताया कि स्वतंत्रता सेनानी शिवराज सिंह को हर संभव मदद दी जाएगी. उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है, शिवराज सिंह अभी स्वस्थ हैं.

पढ़ें- आज ही हुआ था भारत छोड़ो आंदोलन का शंखनाद

बता दें, शिवराज सिंह का जन्म 1927 को अल्मोड़ा जनपद के छोटे से गांव लमगड़ा में हुआ था. 1942 में अल्मोड़ा में शिवराज सिंह हाई स्कूल की पढ़ाई कर रहे थे. उस दौरान उनकी उम्र 16 साल थी. इतनी छोटी उम्र में शिवराज सिंह आजादी के आंदोलन में कूड़ पड़े. उस वक्त अंग्रेजों ने उनको सजा के तौर पर 19 कोड़े लगाए, जबकि सजा का प्रावधान 10 कोड़े थे. नाबालिग होने के चलते अंग्रेजों ने उनको जेल में बंद नहीं किया.

हल्द्वानी : 9 अगस्त, 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन की नींव रखी गई थी. इसीलिए इतिहास में 9 अगस्त के दिन को अगस्त क्रांति दिवस के रूप में जाना जाता है. इस मौके पर राज्य और केंद्र सरकार पहली बार स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित करने का काम कर रही है. इसी कड़ी में नैनीताल जनपद के स्वतंत्रता सेनानी 98 वर्षीय शिवराज सिंह को उप जिलाधिकारी और तहसीलदार ने सम्मानित किया.

उप जिलाधिकारी मनीष कुमार और तहसीलदार नितेश डांगर ने 98 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी को माला पहनाकर और शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया. इस दौरान एसडीएम ने बताया कि राष्ट्रपति द्वारा एक सम्मान पत्र भी भेजा गया है.

स्वतंत्रता सेनानी का किया गया सम्मान.

दी जाएगी हर संभव मदद

उन्होंने कहा कि शासन के निर्देश के आदेश के बाद शिवराज सिंह को सम्मानित करने का कार्यक्रम किया गया है. उप जिलाधिकारी ने बताया कि स्वतंत्रता सेनानी शिवराज सिंह को हर संभव मदद दी जाएगी. उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है, शिवराज सिंह अभी स्वस्थ हैं.

पढ़ें- आज ही हुआ था भारत छोड़ो आंदोलन का शंखनाद

बता दें, शिवराज सिंह का जन्म 1927 को अल्मोड़ा जनपद के छोटे से गांव लमगड़ा में हुआ था. 1942 में अल्मोड़ा में शिवराज सिंह हाई स्कूल की पढ़ाई कर रहे थे. उस दौरान उनकी उम्र 16 साल थी. इतनी छोटी उम्र में शिवराज सिंह आजादी के आंदोलन में कूड़ पड़े. उस वक्त अंग्रेजों ने उनको सजा के तौर पर 19 कोड़े लगाए, जबकि सजा का प्रावधान 10 कोड़े थे. नाबालिग होने के चलते अंग्रेजों ने उनको जेल में बंद नहीं किया.

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