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80 करोड़ भारतीयों के लिए मुफ्त राशन आर्थिक संकट और असमानता का संकेत: कांग्रेस

कांग्रेस ने पांच साल तक मुफ्त राशन योजना जारी रखने के केंद्र सरकार के फैसले की आलोचना की है. कांग्रेस ने कहा कि वास्तविकता यह है कि आवश्यक वस्तुओं की ऊंची कीमतों के अनुरूप बड़ी संख्या में लोगों की आय में वृद्धि नहीं हुई है. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता अमित अग्निहोत्री की रिपोर्ट. Free ration, congress slams BJP, congress on Free ration.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 5, 2023, 4:28 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस ने 80 करोड़ भारतीयों के लिए अगले पांच वर्षों तक मुफ्त राशन जारी रखने के पीएम मोदी के आश्वासन की आलोचना करते हुए रविवार को कहा कि यह वास्तव में गहरे आर्थिक संकट और समाज में बढ़ती असमानता को दर्शाता है.

पीएम ने 4 नवंबर को छत्तीसगढ़ में पीएम गरीब कल्याण योजना का जिक्र करते हुए घोषणा की, जो दिसंबर में समाप्त हो रही है. पीएमजीकेवाई को महामारी के प्रभाव से निपटने के लिए 2020 में शुरू किया गया था और बाद में इसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) में विलय कर दिया गया था, जिसे 2013 में पिछली यूपीए सरकार द्वारा पारित किया गया था. एनएफएसए ने 67 प्रतिशत भारतीयों को भोजन का अधिकार दिया और 75 प्रतिशत ग्रामीण और 50 प्रतिशत या शहरी आबादी को कवर किया, जिन्हें सब्सिडी वाला अनाज मिलेगा.

एआईसीसी के छत्तीसगढ़ प्रभारी सचिव चंदन यादव ने ईटीवी भारत से कहा कि 'यदि 50 प्रतिशत से अधिक नागरिकों को मुफ्त राशन देना पड़ता है तो यह वास्तव में समाज में उच्च स्तर के आर्थिक संकट और बढ़ती असमानता को इंगित करता है. इस मुद्दे को राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान उठाया था. वास्तविकता यह है कि आवश्यक वस्तुओं की ऊंची कीमतों के अनुरूप बड़ी संख्या में लोगों की आय में वृद्धि नहीं हुई है. इसके अलावा देश में अब तक की सबसे ज्यादा बेरोजगारी है.'

उन्होंने कहा कि 'पीएम गरीब कल्याण योजना और कुछ नहीं बल्कि पिछली यूपीए सरकार द्वारा 2013 में पारित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम है, जिसके तहत गरीबों को मुफ्त राशन देना अनिवार्य है. जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब वे लगातार एनएफएसए का विरोध करते थे. लेकिन अब वह उसी एनएफएसए को अलग नाम से इस्तेमाल कर रहे हैं.'

वर्तमान में, लाभार्थियों को एनएफएसए के तहत खाद्यान्न के लिए 1 से 3 रुपये प्रति किलोग्राम का मामूली शुल्क देना पड़ता है. एनएफएसए के अनुसार लाभार्थियों को प्रति माह प्रति व्यक्ति पांच किलो अनाज दिया जाता है और अंत्योदय अन्न योजना के तहत लाभार्थियों को प्रति परिवार 35 किलो अनाज दिया जाता है.

एआईसीसी पदाधिकारी ने कहा कि हालांकि केंद्र अपने कोटे से पांच किलो मुफ्त राशन को लेकर लोगों को भ्रमित करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार अपनी योजना के तहत लाभार्थियों को 35 किलो सब्सिडी वाला चावल उपलब्ध कराना जारी रखेगी.

उन्होंने यह भी कहा कि आचार संहिता के दौरान भी राज्य सरकार ने प्रतिबद्धता के तहत एक नवंबर से किसानों से प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान और प्रति एकड़ 10 क्विंटल मक्का एमएसपी पर खरीदना शुरू कर दिया है.

यादव ने कहा कि 'ऐसा खरीफ सीजन में किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया था. राहुल गांधी ने हाल ही में राज्य में किसानों से मुलाकात और बातचीत की और हम उनके उत्थान के लिए प्रतिबद्ध हैं.'

एआईसीसी पदाधिकारी के अनुसार, कांग्रेस को किसानों की चिंता थी और उसने पहले ग्रामीण गरीबों की देखभाल के लिए मनरेगा ग्रामीण नौकरियां पारित की थीं. यादव ने कहा कि 'मोदी सरकार ने पहले तो यह कहकर मनरेगा का मज़ाक उड़ाया कि इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है, लेकिन बाद में जब उन्हें महामारी के दौरान गांवों में इसके महत्व का एहसास हुआ तो उन्होंने इसे अपना लिया. हमारे नेता किसानों की समस्याओं को सीधे तौर पर समझने के लिए बुआई के मौसम और कटाई के मौसम के दौरान किसानों के साथ काम करते हैं, जबकि भाजपा ने खाद्य उत्पादकों के खिलाफ तीन विवादास्पद कानून लाए हैं.'

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नई दिल्ली : कांग्रेस ने 80 करोड़ भारतीयों के लिए अगले पांच वर्षों तक मुफ्त राशन जारी रखने के पीएम मोदी के आश्वासन की आलोचना करते हुए रविवार को कहा कि यह वास्तव में गहरे आर्थिक संकट और समाज में बढ़ती असमानता को दर्शाता है.

पीएम ने 4 नवंबर को छत्तीसगढ़ में पीएम गरीब कल्याण योजना का जिक्र करते हुए घोषणा की, जो दिसंबर में समाप्त हो रही है. पीएमजीकेवाई को महामारी के प्रभाव से निपटने के लिए 2020 में शुरू किया गया था और बाद में इसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) में विलय कर दिया गया था, जिसे 2013 में पिछली यूपीए सरकार द्वारा पारित किया गया था. एनएफएसए ने 67 प्रतिशत भारतीयों को भोजन का अधिकार दिया और 75 प्रतिशत ग्रामीण और 50 प्रतिशत या शहरी आबादी को कवर किया, जिन्हें सब्सिडी वाला अनाज मिलेगा.

एआईसीसी के छत्तीसगढ़ प्रभारी सचिव चंदन यादव ने ईटीवी भारत से कहा कि 'यदि 50 प्रतिशत से अधिक नागरिकों को मुफ्त राशन देना पड़ता है तो यह वास्तव में समाज में उच्च स्तर के आर्थिक संकट और बढ़ती असमानता को इंगित करता है. इस मुद्दे को राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान उठाया था. वास्तविकता यह है कि आवश्यक वस्तुओं की ऊंची कीमतों के अनुरूप बड़ी संख्या में लोगों की आय में वृद्धि नहीं हुई है. इसके अलावा देश में अब तक की सबसे ज्यादा बेरोजगारी है.'

उन्होंने कहा कि 'पीएम गरीब कल्याण योजना और कुछ नहीं बल्कि पिछली यूपीए सरकार द्वारा 2013 में पारित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम है, जिसके तहत गरीबों को मुफ्त राशन देना अनिवार्य है. जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब वे लगातार एनएफएसए का विरोध करते थे. लेकिन अब वह उसी एनएफएसए को अलग नाम से इस्तेमाल कर रहे हैं.'

वर्तमान में, लाभार्थियों को एनएफएसए के तहत खाद्यान्न के लिए 1 से 3 रुपये प्रति किलोग्राम का मामूली शुल्क देना पड़ता है. एनएफएसए के अनुसार लाभार्थियों को प्रति माह प्रति व्यक्ति पांच किलो अनाज दिया जाता है और अंत्योदय अन्न योजना के तहत लाभार्थियों को प्रति परिवार 35 किलो अनाज दिया जाता है.

एआईसीसी पदाधिकारी ने कहा कि हालांकि केंद्र अपने कोटे से पांच किलो मुफ्त राशन को लेकर लोगों को भ्रमित करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार अपनी योजना के तहत लाभार्थियों को 35 किलो सब्सिडी वाला चावल उपलब्ध कराना जारी रखेगी.

उन्होंने यह भी कहा कि आचार संहिता के दौरान भी राज्य सरकार ने प्रतिबद्धता के तहत एक नवंबर से किसानों से प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान और प्रति एकड़ 10 क्विंटल मक्का एमएसपी पर खरीदना शुरू कर दिया है.

यादव ने कहा कि 'ऐसा खरीफ सीजन में किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया था. राहुल गांधी ने हाल ही में राज्य में किसानों से मुलाकात और बातचीत की और हम उनके उत्थान के लिए प्रतिबद्ध हैं.'

एआईसीसी पदाधिकारी के अनुसार, कांग्रेस को किसानों की चिंता थी और उसने पहले ग्रामीण गरीबों की देखभाल के लिए मनरेगा ग्रामीण नौकरियां पारित की थीं. यादव ने कहा कि 'मोदी सरकार ने पहले तो यह कहकर मनरेगा का मज़ाक उड़ाया कि इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है, लेकिन बाद में जब उन्हें महामारी के दौरान गांवों में इसके महत्व का एहसास हुआ तो उन्होंने इसे अपना लिया. हमारे नेता किसानों की समस्याओं को सीधे तौर पर समझने के लिए बुआई के मौसम और कटाई के मौसम के दौरान किसानों के साथ काम करते हैं, जबकि भाजपा ने खाद्य उत्पादकों के खिलाफ तीन विवादास्पद कानून लाए हैं.'

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