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Economic Survey 2023 : वैश्विक आर्थिक कारकों, विकसित देशों में मंदी की आशंका से एफपीआई ने बिकवाली की

संसद में पेश वित्त वर्ष 2022-23 की आर्थिक समीक्षा (Economic Survey 2023) में कहा गया है कि वैश्विक आर्थिक कारकों, विकसित देशों में मंदी की आशंका से एफपीआई ने बिकवाली की. एफपीआई ने शेयर बाजार से 11,421 करोड़ रुपये और बॉन्ड बाजार से 12,400 करोड़ रुपये निकाले.

Economic Survey 2023
एफपीआई ने बिकवाली की
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Published : Jan 31, 2023, 5:46 PM IST

नई दिल्ली : मुद्रास्फीतिक दबाव, विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों के नीतिगत दर बढ़ाये जाने और विकसित अर्थव्यवस्थाओं में मंदी की आशंका जैसे वैश्विक आर्थिक कारणों से एफपीआई (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों) पर दबाव पड़ा और उन्होंने घरेलू बाजार में बिकवाली की. संसद में पेश वित्त वर्ष 2022-23 की आर्थिक समीक्षा (Economic Survey 2023) में यह भी कहा गया है कि निवेशक घरेलू शेयर बाजार में लाभ की स्थिति में है.

समीक्षा के अनुसार, उक्त कारणों से एफपीआई ने चालू वित्त वर्ष में घरेलू पूंजी बाजार से 16,153 करोड़ रुपये निकाले. जबकि एक साल पहले इसी अवधि में 5,578 करोड़ रुपये निकाले गये थे. इक्विटी शेयर और बॉन्ड खंडों में शुद्ध रूप से निकासी हुई है.

एफपीआई ने शेयर बाजार से 11,421 करोड़ रुपये और बॉन्ड बाजार से 12,400 करोड़ रुपये निकाले. दूसरी तरफ, उन्होंने आलोच्य अवधि में स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वॉलेन्ट्री रिटेंशन रूट-वीआरआर) के जरिये शुद्ध रूप से 8,662 करोड़ रुपये लगाये. वीआरआर रिजर्व बैंक की तरफ से पेश एक चैनल है जिससे विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक देश के बॉन्ड बाजार में निवेश करते हैं.

हालांकि, भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूत वृहत आर्थिक बुनियाद और समय-समय पर बाजार में जोखिम लेने की क्षमता में सुधार से पूंजी निकासी के बावजूद एफपीआई के अधीन संपत्ति बढ़ी है. एफपीआई के अधीन कुल संपत्तियां नवंबर, 2022 के अंत तक 3.4 प्रतिशत बढ़कर 54 लाख करोड़ रुपये रहीं, जो 2021 में इसी अवधि में 52.2 लाख करोड़ रुपये थीं.

एफपीआई की निकासी के बावजूद घरेलू शेयर बाजार से 2022 में अप्रैल-दिसंबर के दौरान सकारात्मक रिटर्न दिया. इसका कारण घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) का निवेश है. वास्तव में घरेलू संस्थागत निवेशकों के निवेश ने एफपीआई की निकासी को हल्का करने में मदद की. इससे घरेलू शेयर बाजार में अपेक्षाकृत कम उतार-चढ़ाव रहा.

घरेलू शेयर बाजार का प्रदर्शन मजबूत रहा. प्रमुख सूचकांक एनएसई निफ्टी ने 31 मार्च, 2022 की स्थिति के अनुसार, 2022 में अप्रैल-दिसंबर के दौरान 3.7 प्रतिशत जबकि बीएसई सेंसेक्स ने 3.9 प्रतिशत का रिटर्न दिया. बड़े उभरते बाजार वाली अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले भी भारत का प्रदर्शन इस दौरान अच्छा रहा. वैश्विक स्तर पर अनिश्चितताओं की वजह से वैश्विक शेयर बाजारों में गिरावट आई. समीक्षा के अनुसार, 'घरेलू संस्थागत निवेशकों का शुद्ध प्रवाह और म्यूचुअल फंड का शुद्ध निवेश 2022-23 में नवंबर तक देखा गया.'

म्यूचुअल फंड उद्योग में 2022 में नवंबर तक 70,000 करोड़ रुपये का शुद्ध पूंजी प्रवाह हुआ जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 2.5 लाख करोड़ रुपये था.

पढ़ें- Economic survey 2023: वित्त मंत्री ने पेश किया आर्थिक सर्वे, विकास दर 6 से 6.8% रहने का अनुमान

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : मुद्रास्फीतिक दबाव, विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों के नीतिगत दर बढ़ाये जाने और विकसित अर्थव्यवस्थाओं में मंदी की आशंका जैसे वैश्विक आर्थिक कारणों से एफपीआई (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों) पर दबाव पड़ा और उन्होंने घरेलू बाजार में बिकवाली की. संसद में पेश वित्त वर्ष 2022-23 की आर्थिक समीक्षा (Economic Survey 2023) में यह भी कहा गया है कि निवेशक घरेलू शेयर बाजार में लाभ की स्थिति में है.

समीक्षा के अनुसार, उक्त कारणों से एफपीआई ने चालू वित्त वर्ष में घरेलू पूंजी बाजार से 16,153 करोड़ रुपये निकाले. जबकि एक साल पहले इसी अवधि में 5,578 करोड़ रुपये निकाले गये थे. इक्विटी शेयर और बॉन्ड खंडों में शुद्ध रूप से निकासी हुई है.

एफपीआई ने शेयर बाजार से 11,421 करोड़ रुपये और बॉन्ड बाजार से 12,400 करोड़ रुपये निकाले. दूसरी तरफ, उन्होंने आलोच्य अवधि में स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वॉलेन्ट्री रिटेंशन रूट-वीआरआर) के जरिये शुद्ध रूप से 8,662 करोड़ रुपये लगाये. वीआरआर रिजर्व बैंक की तरफ से पेश एक चैनल है जिससे विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक देश के बॉन्ड बाजार में निवेश करते हैं.

हालांकि, भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूत वृहत आर्थिक बुनियाद और समय-समय पर बाजार में जोखिम लेने की क्षमता में सुधार से पूंजी निकासी के बावजूद एफपीआई के अधीन संपत्ति बढ़ी है. एफपीआई के अधीन कुल संपत्तियां नवंबर, 2022 के अंत तक 3.4 प्रतिशत बढ़कर 54 लाख करोड़ रुपये रहीं, जो 2021 में इसी अवधि में 52.2 लाख करोड़ रुपये थीं.

एफपीआई की निकासी के बावजूद घरेलू शेयर बाजार से 2022 में अप्रैल-दिसंबर के दौरान सकारात्मक रिटर्न दिया. इसका कारण घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) का निवेश है. वास्तव में घरेलू संस्थागत निवेशकों के निवेश ने एफपीआई की निकासी को हल्का करने में मदद की. इससे घरेलू शेयर बाजार में अपेक्षाकृत कम उतार-चढ़ाव रहा.

घरेलू शेयर बाजार का प्रदर्शन मजबूत रहा. प्रमुख सूचकांक एनएसई निफ्टी ने 31 मार्च, 2022 की स्थिति के अनुसार, 2022 में अप्रैल-दिसंबर के दौरान 3.7 प्रतिशत जबकि बीएसई सेंसेक्स ने 3.9 प्रतिशत का रिटर्न दिया. बड़े उभरते बाजार वाली अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले भी भारत का प्रदर्शन इस दौरान अच्छा रहा. वैश्विक स्तर पर अनिश्चितताओं की वजह से वैश्विक शेयर बाजारों में गिरावट आई. समीक्षा के अनुसार, 'घरेलू संस्थागत निवेशकों का शुद्ध प्रवाह और म्यूचुअल फंड का शुद्ध निवेश 2022-23 में नवंबर तक देखा गया.'

म्यूचुअल फंड उद्योग में 2022 में नवंबर तक 70,000 करोड़ रुपये का शुद्ध पूंजी प्रवाह हुआ जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 2.5 लाख करोड़ रुपये था.

पढ़ें- Economic survey 2023: वित्त मंत्री ने पेश किया आर्थिक सर्वे, विकास दर 6 से 6.8% रहने का अनुमान

(पीटीआई-भाषा)

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