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Cong attack BJP on Manipur: कांग्रेस का बीजेपी पर हमला, मणिपुर हिंसा को 4 महीने में ही भूल गई मोदी सरकार - Congress General Secretary Jairam Ramesh

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने मणिपुर को लेकर केंद्र की बीजेपी सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार मणिपुर को भूल गई है.

Four months after ethnic violence Manipur lies forgotten by Centre alleges Cong
मणिपुर को लेकर कांग्रेस का बीजेपी पर हमला, कहा भूल गई मोदी सरकार
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 4, 2023, 11:15 AM IST

नई दिल्ली: कांग्रेस ने मणिपुर में स्थिति से निपटने के तरीकों को लेकर सोमवार को केंद्र पर हमला बोला और आरोप लगाया कि जातीय हिंसा भड़कने के चार महीने बाद मोदी सरकार राज्य को भूल गई है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि पिछले चार महीनों में दुनिया ने देखा है कि प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) सबसे खराब संकट के दौरान मणिपुर में कैसे विफल हुए.

एक्स पर एक पोस्ट में रमेश ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री और उनके ढोल बजाने वाले जी20 के प्रति मगन हैं, जबकि 3 मई को जातीय हिंसा भड़कने के चार महीने बाद, मणिपुर को मोदी सरकार भूल गई है. उन्होंने कहा, 'मुख्यमंत्री (एन बीरेन सिंह) ने यह सुनिश्चित किया है कि मणिपुरी समाज आज पहले से कहीं अधिक विभाजित है. रमेश ने कहा, 'केंद्रीय गृह मंत्री (अमित शाह) हिंसा को समाप्त करने और हथियारों और गोला-बारूद की बरामदगी सुनिश्चित करने में विफल रहे हैं.

इसके बजाय, कई और सशस्त्र समूह संघर्ष में शामिल हो गए हैं. उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री ने मणिपुर का दौरा करने, या सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने, या कोई विश्वसनीय शांति प्रक्रिया शुरू करने से इनकार किया है. कांग्रेस महासचिव ने पूछा, 'क्या उन्होंने कैबिनेट में मणिपुर के अपने सहयोगी से भी मुलाकात की है. ' उन्होंने आरोप लगाया, 'मानवीय त्रासदी के बीच, मणिपुर में संवैधानिक मशीनरी और समुदायों के बीच विश्वास पूरी तरह से टूट गया है.'

उनकी यह टिप्पणी मणिपुर सरकार द्वारा 24 सदस्यों वाले 10 कुकी परिवारों में से अंतिम को इम्फाल के न्यू लैंबुलेन क्षेत्र से स्थानांतरित करने के बाद आई है, जहां वे दशकों से रह रहे थे और चार महीने पहले पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद भी कहीं और नहीं गए थे. एक अधिकारी ने कहा, 'इन परिवारों को शनिवार तड़के इंफाल घाटी के उत्तरी किनारे पर कुकी-बहुल कांगपोकपी जिले में ले जाया गया. क्योंकि वे असुरक्षित लक्ष्य बन गए थे. कुकी परिवारों ने आरोप लगाया कि उन्हें न्यू लाम्बुलेन क्षेत्र में मोटबुंग में उनके आवासों से जबरन बेदखल कर दिया गया.

ये भी पढ़ें- SC on Manipur Violence: मणिपुर हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट का केंद्र को निर्देश, भोजन व दवाओं की आपूर्ति करें सुनिश्चित

अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में जनजातीय एकजुटता मार्च आयोजित किए जाने के बाद मई की शुरुआत में मणिपुर में जातीय झड़पें हुईं, जिसमें 160 से अधिक लोगों की जान चली गई और कई सैकड़ों घायल हो गए. मणिपुर की आबादी में मेइतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं. नागा और कुकी 40 प्रतिशत से कुछ अधिक हैं और पहाड़ी जिलों में रहते हैं.

(पीटीआई)

नई दिल्ली: कांग्रेस ने मणिपुर में स्थिति से निपटने के तरीकों को लेकर सोमवार को केंद्र पर हमला बोला और आरोप लगाया कि जातीय हिंसा भड़कने के चार महीने बाद मोदी सरकार राज्य को भूल गई है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि पिछले चार महीनों में दुनिया ने देखा है कि प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) सबसे खराब संकट के दौरान मणिपुर में कैसे विफल हुए.

एक्स पर एक पोस्ट में रमेश ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री और उनके ढोल बजाने वाले जी20 के प्रति मगन हैं, जबकि 3 मई को जातीय हिंसा भड़कने के चार महीने बाद, मणिपुर को मोदी सरकार भूल गई है. उन्होंने कहा, 'मुख्यमंत्री (एन बीरेन सिंह) ने यह सुनिश्चित किया है कि मणिपुरी समाज आज पहले से कहीं अधिक विभाजित है. रमेश ने कहा, 'केंद्रीय गृह मंत्री (अमित शाह) हिंसा को समाप्त करने और हथियारों और गोला-बारूद की बरामदगी सुनिश्चित करने में विफल रहे हैं.

इसके बजाय, कई और सशस्त्र समूह संघर्ष में शामिल हो गए हैं. उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री ने मणिपुर का दौरा करने, या सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने, या कोई विश्वसनीय शांति प्रक्रिया शुरू करने से इनकार किया है. कांग्रेस महासचिव ने पूछा, 'क्या उन्होंने कैबिनेट में मणिपुर के अपने सहयोगी से भी मुलाकात की है. ' उन्होंने आरोप लगाया, 'मानवीय त्रासदी के बीच, मणिपुर में संवैधानिक मशीनरी और समुदायों के बीच विश्वास पूरी तरह से टूट गया है.'

उनकी यह टिप्पणी मणिपुर सरकार द्वारा 24 सदस्यों वाले 10 कुकी परिवारों में से अंतिम को इम्फाल के न्यू लैंबुलेन क्षेत्र से स्थानांतरित करने के बाद आई है, जहां वे दशकों से रह रहे थे और चार महीने पहले पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद भी कहीं और नहीं गए थे. एक अधिकारी ने कहा, 'इन परिवारों को शनिवार तड़के इंफाल घाटी के उत्तरी किनारे पर कुकी-बहुल कांगपोकपी जिले में ले जाया गया. क्योंकि वे असुरक्षित लक्ष्य बन गए थे. कुकी परिवारों ने आरोप लगाया कि उन्हें न्यू लाम्बुलेन क्षेत्र में मोटबुंग में उनके आवासों से जबरन बेदखल कर दिया गया.

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अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में जनजातीय एकजुटता मार्च आयोजित किए जाने के बाद मई की शुरुआत में मणिपुर में जातीय झड़पें हुईं, जिसमें 160 से अधिक लोगों की जान चली गई और कई सैकड़ों घायल हो गए. मणिपुर की आबादी में मेइतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं. नागा और कुकी 40 प्रतिशत से कुछ अधिक हैं और पहाड़ी जिलों में रहते हैं.

(पीटीआई)

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