श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के बेटे और आतंकी वित्तपोषण मामले में आरोपी बिट्टा कराटे की पत्नी सहित चार कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि सभी चारों कर्मचारियों को संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत बर्खास्त किया गया है जिसमें सरकार को बिना किसी जांच के अपने कर्मचारी को निष्कासित करने की शक्ति प्राप्त है.
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J&K govt sacks four Govt employees, including the wife of Bitta Karate who is facing terror charges and is an accused in the matter of killing of Kashmiri pandits. The four have been dismissed from services for terror links: Govt Sources pic.twitter.com/wlv5PPgxho
— ANI (@ANI) August 13, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) August 13, 2022
अधिकारियों ने बताया कि फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे इस समय आतंकवाद वित्तपोषण मामले में न्यायिक हिरासत में है. उसकी पत्नी अस्सबाह-उल-अर्जमंद खान जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक सेवा में अधिकारी थी और ग्रामीण विकास निदेशालय में कार्यरत थी. उन्होंने बताया कि सैयद अब्दुल मुईद उद्योग एवं वाणिज्य विभाग में सूचना प्रौद्योगिकी प्रबंधक था. वह पाकिस्तान से संचालित आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिद्दीन के सरगना सैयद सलाहुद्दीन का बेटा है. अधिकारियों ने बताया कि अन्य बर्खास्त कर्मियों में वैज्ञानिक डॉ.मुहीत अहमद भट्ट और कश्मीर विश्वविद्यालय में वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक माजिद हुसैन कादरी शामिल हैं.
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सैयद अब्दुल मोईद यूनाइटेड जिहाद काउंसिल (यूजीसी) के प्रमुख मुहम्मद यूसुफ शाह उर्फ सैयद सलाहुद्दीन के बेटे हैं, जबकि असाबीह उल अर्जुमंद खान जेकेएलएफ नेता और पूर्व आतंकवादी फारूक अहमद डार उर्फ 'बीता कराटे' की पत्नी हैं. अर्जुमंद एक जेकेएएस अधिकारी थे. प्रशासन द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि सूचना, रिकॉर्ड और पहचान योग्य सामग्री की जांच के लिए गठित समिति ने सरकारी आदेश संख्या 738-जेके दिनांक 30 जुलाई, 2020 (जीएडी) के तहत कर्मचारियों को बर्खास्त करने की सिफारिश की थी.
बयान में कहा गया है कि डॉ. मोहित अहमद बट कश्मीर विश्वविद्यालय में पाकिस्तान और उसकी कठपुतलियों के कार्यक्रम और एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए छात्रों को कट्टरपंथी बनाकर अलगाववाद और उग्रवाद के एजेंडे को बढ़ावा देने में शामिल पाए गए. इस बीच, कश्मीर विश्वविद्यालय में एक वरिष्ठ सहायक प्रोफेसर माजिद हुसैन कादरी का लश्कर-ए-तैयबा सहित आतंकवादी संगठनों के साथ एक लंबा संबंध है. उन पर पहले पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था. आतंकवाद से जुड़े विभिन्न मामलों से संबंधित धारा 302, 307, और 427, 7/27 आरपीसी के तहत दर्ज कई प्राथमिकी में उसका नाम उल्लेखित है.
इसी तरह, सैयद अब्दुल मोईद, प्रबंधक, आईटी, जेकेईडीआई, सेम्पोरा, पंपोर में जेकेईडीआई परिसर पर तीन आतंकवादी हमलों में शामिल पाया गया है और संस्था में उसकी उपस्थिति से अलगाववादियों की ताकत बढ़ गई है. इस्बाह अल-अर्जुमन्द खान को पासपोर्ट प्राप्त करने के लिए गलत जानकारी प्रदान करने का आरोप है. साथ ही ऐसे सबूत मिले हैं कि उनका पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी और अन्य देश विरोधी विदेशी ताकतों से उनका सीधा संपर्क है. उनपर जम्मू-कश्मीर में भारत विरोधी गतिविधियों के लिए टेरर फंडिंग में भी शामिल रहने का आरोप है.
1990 के दशक में घाटी में कश्मीरी पंडितों की सामूहिक हत्याओं के लिए जिम्मेदार आतंकवादी बिट्टा कराटे ने 2011 में कश्मीर प्रशासनिक सेवा (केएएस) की अधिकारी असबाह अर्जुमंद खान से शादी कर ली. 1999 में कश्मीर विश्वविद्यालय से जन संचार और पत्रकारिता में एमए की डिग्री प्राप्त करने वाली असबाह खान ने 2007 तक कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में एक एडिटर के रूप में काम किया. 2009 में, खान ने कश्मीर प्रशासनिक सेवा (केएएस) परीक्षा उत्तीर्ण की और बाद में सामान्य प्रशासनिक विभाग में तैनात हुई. बाद में असबाह खान ने जर्मनी से Peace and Conflict Studies का एक कोर्स भी किया.
एक इंटरव्यू के दौरान कराटे के एक करीबी ने खुलासा किया था कि नब्बे के दशक की शुरुआत में कई युवा आतंकवाद में सबसे आगे थे और उस समय कश्मीर में शादी के लिए पुरुषों की सबसे अधिक मांग थी. करीबी ने बताया कि उस समय लोग उनका गर्मजोशी से आतंकियों का स्वागत करते थे और उन्हें पूरा सम्मान देते थे. असबाह खान भी बिट्टा की प्रशंसक थी, एक बार उन्होंने कहा था कि अगर वह सरकारी अधिकारी नहीं होती तब भी वह बिट्टा से शादी कर लेती.