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बक्सर: गंगा नदी में फिर दिखने लगीं लाशें, चार शव बहते दिखे

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Published : May 4, 2022, 10:35 PM IST

बक्सर के रामरेखा घाट पर चार शव (Four dead bodies at Ramrekha Ghat in Buxar) मिलने से दहशत फैल गई. बहकर आए शव में तीन पुरुष और एक महिला की लाश है. ये सभ देखकर लोगों को कोरोनाकाल का भयावह मंजर याद आ गया. पढ़ें पूरी खबर..

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बक्सर: बिहार के बक्सर में गंगा नदी में चार शव मिलने से हड़कंप (Four Dead Bodies found in Ganga River in Buxar) मच गया. शहर के रामरेखा घाट पर एक साथ 4 लाशें मिलने की सूचना पर प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर आम लोगों में दहशत फैल गई. आनन-फानन में एसडीएम धीरेंद्र मिश्रा ने लाशों का निस्तारण करने के लिए नगर परिषद के अधिकारियों को आदेश दिया. लेकिन घंटों समय बीत जाने के बाद भी नगर परिषद के अधिकारियों और कर्मचारियों ने संज्ञान नहीं लिया. इस तरह एक साथ लाशें मिलने से लोगों को कोरोनाकाल का भयावह मंजर याद आ गया.

ये भी पढ़ें- BUXAR NEWS: गंगा में शव मिलने के साइड इफेक्ट्स, कमाई बंद होने से भुखमरी की कगार पर मछुआरे

बक्सर में गंगा किनारे मिले चार शव: बक्सर का रामरेखा घाट (Ramrekha Ghat of Buxar) पर हो रहे घाट निर्माण में मजदूर के तौर पर काम कर रहे सत्येंद्र मेहता और अजय कुमार सिंह ने बताया कि वो वहां काम कर रहे थे तभी किसी ने यह बताया कि गंगा में शव बह रहा है, जिसके बाद उन्होंने देखा तो एक नहीं बल्कि चार शव गंगा के किनारे बह रहे थे. जिनमें तीन पुरुष और एक महिला का शव है.

''ये शव किसका है और कहां से आया है हमें इसकी कोई जानकारी नहीं है, लेकिन नदी में 4 शव बहते मिले हैं. हम तो यहां पर घाट निर्माण में मजदूरी का काम करते हैं. हम लोग यहां पर सुबह से हैं, लेकिन इस पर अभी ध्यान गया है. इन चार शवों में तीन पुरुष और एक महिला का शव है.''- सत्येंद्र मेहता, मजदूर

''कुछ लोग अंधविश्वास में शवों को गंगा में बहा देते हैं. उनका ऐसा मानना है कि कुष्ठ रोगियों और किसी अन्य प्रकार की बीमारी से मृत लोगों को गंगा में प्रवाहित कर देना चाहिए, लेकिन लोग यह नहीं सोचते कि जीवनदायिनी गंगा ऐसा करने से कितनी प्रदूषित हो जाएगी. लोगों को चाहिए कि यदि वह शवों का अंतिम संस्कार करने में सक्षम नहीं है तो उन्हें कहीं दफन कर दें और अगर उन्हें माता गंगा में आस्था है तो वह गंगाजल की बूंदे ले जाकर वहां अर्पित कर दे. गंगा में लाशें बहाना कतई उचित नहीं है.''-अमरनाथ पांडेय उर्फ लाला बाबा, पुजारी, रामरेखा घाट गंगा आरती सेवा ट्रस्ट

एसडीएम की पहल पर लाशों को हटाया गया: मामले में नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी प्रेम स्वरूपम से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वह पटना में किसी मीटिंग में व्यस्त हैं, लेकिन नगर परिषद के पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वो लाशों का निस्तारण कराए. आलम यह है कि घंटों बाद भी जब नगर परिषद का कोई अधिकारी रामरेखा घाट नही पहुंचे तो एसडीएम की पहल पर उन लाशों को हटाया गया.

याद आया कोरोनाकाल का खौफनाक मंजर: गौरतलब है कि कोरोना की दूसरी लहर में जिले के चौसा प्रखंड अंतर्गत महादेवा घाट से 10 मई 2021 को एक साथ सैकड़ों लाशें गंगा नदी में तैरती हुई मिली थी. जिसे आवारा कुत्ते अपना निवाला बना रहे थे, एक बार फिर बक्सर चर्चा में है. एक साथ 4 इंसानों की लाशों को लेकर कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई है. भारत सरकार के द्वारा गंगा की स्वच्छता पर अब तक 20 अरब से ज्यादा की राशि खर्च की जा चुकी है. उसके बाद भी साफ सफाई के नाम पर चारों तरफ मवेशियों और इंसानों की लाशें पड़ी हुई मिलती है. अधिकारी बड़े-बड़े दावे करने में लगे हुए हैं. लेकिन गंगा में फिर से बहती लाशें यह बताने के लिए काफी है कि हम गंगा की स्वच्छता को लेकर कितना गम्भीर हैं.


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बक्सर: बिहार के बक्सर में गंगा नदी में चार शव मिलने से हड़कंप (Four Dead Bodies found in Ganga River in Buxar) मच गया. शहर के रामरेखा घाट पर एक साथ 4 लाशें मिलने की सूचना पर प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर आम लोगों में दहशत फैल गई. आनन-फानन में एसडीएम धीरेंद्र मिश्रा ने लाशों का निस्तारण करने के लिए नगर परिषद के अधिकारियों को आदेश दिया. लेकिन घंटों समय बीत जाने के बाद भी नगर परिषद के अधिकारियों और कर्मचारियों ने संज्ञान नहीं लिया. इस तरह एक साथ लाशें मिलने से लोगों को कोरोनाकाल का भयावह मंजर याद आ गया.

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बक्सर में गंगा किनारे मिले चार शव: बक्सर का रामरेखा घाट (Ramrekha Ghat of Buxar) पर हो रहे घाट निर्माण में मजदूर के तौर पर काम कर रहे सत्येंद्र मेहता और अजय कुमार सिंह ने बताया कि वो वहां काम कर रहे थे तभी किसी ने यह बताया कि गंगा में शव बह रहा है, जिसके बाद उन्होंने देखा तो एक नहीं बल्कि चार शव गंगा के किनारे बह रहे थे. जिनमें तीन पुरुष और एक महिला का शव है.

''ये शव किसका है और कहां से आया है हमें इसकी कोई जानकारी नहीं है, लेकिन नदी में 4 शव बहते मिले हैं. हम तो यहां पर घाट निर्माण में मजदूरी का काम करते हैं. हम लोग यहां पर सुबह से हैं, लेकिन इस पर अभी ध्यान गया है. इन चार शवों में तीन पुरुष और एक महिला का शव है.''- सत्येंद्र मेहता, मजदूर

''कुछ लोग अंधविश्वास में शवों को गंगा में बहा देते हैं. उनका ऐसा मानना है कि कुष्ठ रोगियों और किसी अन्य प्रकार की बीमारी से मृत लोगों को गंगा में प्रवाहित कर देना चाहिए, लेकिन लोग यह नहीं सोचते कि जीवनदायिनी गंगा ऐसा करने से कितनी प्रदूषित हो जाएगी. लोगों को चाहिए कि यदि वह शवों का अंतिम संस्कार करने में सक्षम नहीं है तो उन्हें कहीं दफन कर दें और अगर उन्हें माता गंगा में आस्था है तो वह गंगाजल की बूंदे ले जाकर वहां अर्पित कर दे. गंगा में लाशें बहाना कतई उचित नहीं है.''-अमरनाथ पांडेय उर्फ लाला बाबा, पुजारी, रामरेखा घाट गंगा आरती सेवा ट्रस्ट

एसडीएम की पहल पर लाशों को हटाया गया: मामले में नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी प्रेम स्वरूपम से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वह पटना में किसी मीटिंग में व्यस्त हैं, लेकिन नगर परिषद के पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वो लाशों का निस्तारण कराए. आलम यह है कि घंटों बाद भी जब नगर परिषद का कोई अधिकारी रामरेखा घाट नही पहुंचे तो एसडीएम की पहल पर उन लाशों को हटाया गया.

याद आया कोरोनाकाल का खौफनाक मंजर: गौरतलब है कि कोरोना की दूसरी लहर में जिले के चौसा प्रखंड अंतर्गत महादेवा घाट से 10 मई 2021 को एक साथ सैकड़ों लाशें गंगा नदी में तैरती हुई मिली थी. जिसे आवारा कुत्ते अपना निवाला बना रहे थे, एक बार फिर बक्सर चर्चा में है. एक साथ 4 इंसानों की लाशों को लेकर कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई है. भारत सरकार के द्वारा गंगा की स्वच्छता पर अब तक 20 अरब से ज्यादा की राशि खर्च की जा चुकी है. उसके बाद भी साफ सफाई के नाम पर चारों तरफ मवेशियों और इंसानों की लाशें पड़ी हुई मिलती है. अधिकारी बड़े-बड़े दावे करने में लगे हुए हैं. लेकिन गंगा में फिर से बहती लाशें यह बताने के लिए काफी है कि हम गंगा की स्वच्छता को लेकर कितना गम्भीर हैं.


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