नागपुर : महाराष्ट्र के नागपुर जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां दूषित रक्त चढ़ाने से थैलेसीमिया से पीड़ित चार बच्चे एचआईवी से संक्रमित हो गए, जिनमें से एक की मौत भी हो गई. दरअसल, यहां के जरीपटका इलाके के एक निजी अस्पताल में थैलेसीमिया से पीड़ित चार बच्चों को दूषित रक्त चढ़ा दिया गया था, बाद में बच्चे एचआईवी से संक्रमित पाए गए. डॉक्टर विक्की रघवानी ने बताया कि इनमें से एक बच्चे की मौत भी हो गई है.
इस संबंध में अब स्वास्थ्य विभाग ने सख्त कार्रवाई करने को है. साथ ही स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने भी मामले में जांच के आदेश दिए हैं और कहा है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. बता दें, थैलेसीमिया के मरीजों को हर 15-20 दिन पर खून चढ़ाने की आवश्यकता होती है और ऐसे लोगों को यहां के ब्लड बैंक से नि:शुल्क रक्त की आपूर्ति की जाती है. ईटीवी भारत से बात करते हुए डॉ विक्की रघवानी ने बताया कि दूषित रक्त चढ़ाए जाने के बाद एचआईवी संक्रमण से एक बच्चे की मौत हो गई.
इस घटना के बाद अभिभावकों में भारी आक्रोश है. वहीं अब उन बच्चों के माता पिता भी चिंतित हैं जिनके बच्चों को दूषित रक्त चढ़ाया गया है. अभिभावकों का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में एचआईवी की कोई दवा नहीं है. अगर हमें टेस्टेड रक्त मिलता तो हमारे बच्चों पर आज यह संकट नहीं होता. एचआईवी की यहां दवाएं उपलब्ध नहीं हैं और इसकी दवाएं काफी महंगी भी होती हैं.
यह भी पढ़ें- डॉक्टर की लापरवाही से काटनी पड़ी हथेली, देना होगा इतने लाख मुआवजा
क्या है थैलेसीमिया- यह एक अनुवांशिक रक्त रोग है जो माता या पिता की जींस में गड़बड़ी के कारण होता है. इसमें रोगी को बार-बार रक्त चढ़ाने की आवश्कता होती है. इसमें शरीर पर्याप्त मात्रा में हीमोग्लोबिन नहीं बना पाता है जिसके चलते शरीर की लाल रक्त कोशिकाएं ठीक से काम नहीं करती हैं और वे थोड़े समय के लिए रहती हैं. लाल रक्त कोशिकाएं शरीर में सभी कोशिकाओं तक ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करती हैं.