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Maharashtra News: चंद्रपुर में 20 करोड़ वर्ष पुराने ग्लोसोप्टेरिस पौधे के पत्तों के जीवाश्म पाए गए - Fossils of leaves

महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में लगभग 200 मिलियन (20 करोड़) वर्ष पुराने ग्लोसोप्टेरिस पौधे के पत्तों के जीवाश्म की खोज हुई है. यह खोज पर्यावरणविद् और जीवाश्म शोधकर्ता प्रोफेसर सुरेश चोपाने ने की है. सुरेश चोपाने ने चंद्रपुर जिले के भद्रावती के पास यह शोध किया है.

Fossils found Chandrapur Maharashtra
ग्लोसोप्टेरिस पौधे के पत्तों के जीवाश्म पाए गए
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Published : May 26, 2023, 10:21 AM IST

Updated : May 26, 2023, 2:12 PM IST

चंद्रपुर में ग्लोसोप्टेरिस पौधे के पत्तों के जीवाश्म पाए गए

चंद्रपुर: पर्यावरणविद् और जीवाश्म शोधकर्ता प्रोफेसर सुरेश चोपाने ने चंद्रपुर जिले के भद्रावती के पास ग्लोसोप्टेरिस पौधे के पत्तों के जीवाश्म की खोज की है. सुरेश चोपाने ने 200 मिलियन (20 करोड़) वर्ष पहले के जीवाश्मों की खोज की है. चोपाने के अनुसार जीवाश्म पर्मियन से जुरासिक काल के हैं. जीवाश्म भद्रावती तालुका के चंदनखेड़ा के एक कृषि क्षेत्र में पाया गया इहै. सरकारी भूविज्ञान विभाग के पास क्षेत्र में जीवाश्मों की मौजूदगी का रिकॉर्ड है लेकिन अब तक एकत्र किए गए नमूने अच्छी गुणवत्ता के नहीं थे.

चोपने ने कहा कि वह कुछ वर्षों से इस क्षेत्र की खोज कर रहे हैं और अब उन्हें जीवाश्मों के कुछ अच्छे नमूने मिले हैं. शोधकर्ता चोपने ने पहले चंद्रपुर जिले में कई स्थानों पर डायनासोर, हाथी, स्ट्रोमेटोलाइट, शंख, पेड़ और पत्ती आदि के जीवाश्म खोजे थे. वह जीवाश्मों का संग्रहकर्ता भी है और उसके निजी संग्रहालय में जीवाश्मों और प्रागैतिहासिक काल के औजारों का एक निजी संग्रह है.

चोपने के अनुसार चंद्रपुर जिले में भद्रावती के पास 28 से 19.5 करोड़ वर्ष पूर्व के बीच जुरासिक से लेकर पर्मियन काल तक ग्लासोप्टेरिस प्रजाति के पौधे थे. इससे पहले उन्हें चंद्रपुर जिले में कई जगहों पर डायनासोर, हाथी, स्ट्रोमेटोलाइट, शंख, पेड़ और पत्ती के जीवाश्म मिले हैं. प्रो. चोपाने ने इन्हें अपने घर पर रखा है. चोपेन कई वर्षों से जीवाश्मों की खोज कर रहे हैं. पूर्व में भद्रावती से चंदनखेड़ा मार्ग के किनारे कृषि एवं वनों में कुछ अति प्राचीन साक्ष्य मिले हैं. चोपाने ने भद्रावती और वरोरा क्षेत्र में डायनासोर के जीवाश्मों की खोज की. अब, जुरासिक काल के जीवाश्मों की खोज से नया इतिहास प्रकाश में आया है, जो 200 मिलियन वर्ष से भी पुराने हैं.

ये भी पढ़ें- Garhwal University के वैज्ञानिकों के हाथ लगी बड़ी सफलता, खोज निकाला 5 करोड़ 20 लाख साल पुराना चींटी का जीवाश्म

आपको बता दें 200 मिलियन वर्ष पहले जब पेड़ और विशालकाय डायनासोर जीवित थे. उस समय पृथ्वी पर पैंजिया नामक एक ही महाद्वीप था और भारत का भूभाग वर्तमान ऑस्ट्रेलिया से सटा हुआ था. प्राचीन भारत और चीन के बीच टेथिस नामक एक समुद्र था. अरबों वर्षों में भारत का भूभाग उत्तर की ओर चला गया और चीन के भूभाग से टकरा गया. इसी से हिमालय का निर्माण हुआ. पृथ्वी की ऊपरी परत गति अभी भी उत्तर की ओर बढ़ रही है.

जिले में मिले पौधों के सबसे पुराने जीवाश्म: डायनासोर की उम्र 19 से 23 करोड़ साल पुरानी है. उस दौरान ऐसे पौधे भी थे जिन्हें डायनासोर ने खा लिया था. पहले कोठारी में एक पौधे का जीवाश्म मिला था, लेकिन यह चंदनखेड़ा में पाया गया है.

आयरन ऑक्साइड से बना है जीवाश्म: आम तौर पर चूना पत्थर या मिट्टी से बने जीवाश्म पाए जाते हैं लेकिन यह पत्ती का जीवाश्म आयरन ऑक्साइड का बना होता है. चूंकि पहले यहां समुद्र था, इसलिए इस केमिकल की सघनता, यहां सबसे ज्यादा थी. समय के साथ इस पर इस रसायन की परतें जमती गईं और इसी से इन खनिजों का निर्माण हुआ. आपको बता दें कि चंद्रपुर में डेढ़ करोड़ वर्ष पूर्व के जीवाश्म भी मिले हैं.

चंद्रपुर में ग्लोसोप्टेरिस पौधे के पत्तों के जीवाश्म पाए गए

चंद्रपुर: पर्यावरणविद् और जीवाश्म शोधकर्ता प्रोफेसर सुरेश चोपाने ने चंद्रपुर जिले के भद्रावती के पास ग्लोसोप्टेरिस पौधे के पत्तों के जीवाश्म की खोज की है. सुरेश चोपाने ने 200 मिलियन (20 करोड़) वर्ष पहले के जीवाश्मों की खोज की है. चोपाने के अनुसार जीवाश्म पर्मियन से जुरासिक काल के हैं. जीवाश्म भद्रावती तालुका के चंदनखेड़ा के एक कृषि क्षेत्र में पाया गया इहै. सरकारी भूविज्ञान विभाग के पास क्षेत्र में जीवाश्मों की मौजूदगी का रिकॉर्ड है लेकिन अब तक एकत्र किए गए नमूने अच्छी गुणवत्ता के नहीं थे.

चोपने ने कहा कि वह कुछ वर्षों से इस क्षेत्र की खोज कर रहे हैं और अब उन्हें जीवाश्मों के कुछ अच्छे नमूने मिले हैं. शोधकर्ता चोपने ने पहले चंद्रपुर जिले में कई स्थानों पर डायनासोर, हाथी, स्ट्रोमेटोलाइट, शंख, पेड़ और पत्ती आदि के जीवाश्म खोजे थे. वह जीवाश्मों का संग्रहकर्ता भी है और उसके निजी संग्रहालय में जीवाश्मों और प्रागैतिहासिक काल के औजारों का एक निजी संग्रह है.

चोपने के अनुसार चंद्रपुर जिले में भद्रावती के पास 28 से 19.5 करोड़ वर्ष पूर्व के बीच जुरासिक से लेकर पर्मियन काल तक ग्लासोप्टेरिस प्रजाति के पौधे थे. इससे पहले उन्हें चंद्रपुर जिले में कई जगहों पर डायनासोर, हाथी, स्ट्रोमेटोलाइट, शंख, पेड़ और पत्ती के जीवाश्म मिले हैं. प्रो. चोपाने ने इन्हें अपने घर पर रखा है. चोपेन कई वर्षों से जीवाश्मों की खोज कर रहे हैं. पूर्व में भद्रावती से चंदनखेड़ा मार्ग के किनारे कृषि एवं वनों में कुछ अति प्राचीन साक्ष्य मिले हैं. चोपाने ने भद्रावती और वरोरा क्षेत्र में डायनासोर के जीवाश्मों की खोज की. अब, जुरासिक काल के जीवाश्मों की खोज से नया इतिहास प्रकाश में आया है, जो 200 मिलियन वर्ष से भी पुराने हैं.

ये भी पढ़ें- Garhwal University के वैज्ञानिकों के हाथ लगी बड़ी सफलता, खोज निकाला 5 करोड़ 20 लाख साल पुराना चींटी का जीवाश्म

आपको बता दें 200 मिलियन वर्ष पहले जब पेड़ और विशालकाय डायनासोर जीवित थे. उस समय पृथ्वी पर पैंजिया नामक एक ही महाद्वीप था और भारत का भूभाग वर्तमान ऑस्ट्रेलिया से सटा हुआ था. प्राचीन भारत और चीन के बीच टेथिस नामक एक समुद्र था. अरबों वर्षों में भारत का भूभाग उत्तर की ओर चला गया और चीन के भूभाग से टकरा गया. इसी से हिमालय का निर्माण हुआ. पृथ्वी की ऊपरी परत गति अभी भी उत्तर की ओर बढ़ रही है.

जिले में मिले पौधों के सबसे पुराने जीवाश्म: डायनासोर की उम्र 19 से 23 करोड़ साल पुरानी है. उस दौरान ऐसे पौधे भी थे जिन्हें डायनासोर ने खा लिया था. पहले कोठारी में एक पौधे का जीवाश्म मिला था, लेकिन यह चंदनखेड़ा में पाया गया है.

आयरन ऑक्साइड से बना है जीवाश्म: आम तौर पर चूना पत्थर या मिट्टी से बने जीवाश्म पाए जाते हैं लेकिन यह पत्ती का जीवाश्म आयरन ऑक्साइड का बना होता है. चूंकि पहले यहां समुद्र था, इसलिए इस केमिकल की सघनता, यहां सबसे ज्यादा थी. समय के साथ इस पर इस रसायन की परतें जमती गईं और इसी से इन खनिजों का निर्माण हुआ. आपको बता दें कि चंद्रपुर में डेढ़ करोड़ वर्ष पूर्व के जीवाश्म भी मिले हैं.

Last Updated : May 26, 2023, 2:12 PM IST
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