शिमला: पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary) की स्मृतियां देवभूमि हिमाचल में सदा अटल रहेंगी. अटल टनल के रूप में वाजपेयी हमेशा यादों में बने रहेंगे. अटल बिहारी वाजपेयी यूं ही हिमाचल को अपना दूसरा घर (himachal second home of vajpayee) नहीं कहते थे. अटल का शिमला (atal relation with shimla) से भी पुराना नाता रहा और हिमाचल के कुल्लू से भी. वाजपेयी जी का शिमला से पहला नाता 1967 से जुड़ा था. अटल न केवल भाजपा बल्कि कांग्रेस के नेताओं में भी समान रूप से लोकप्रिय थे.
देवभूमि से मिले प्रेम को उन्होंने भी सदैव अपनी स्मृतियों में रखा. यही कारण है कि वह हिमाचल को अपना घर (vajpayee call himachal second home) मानते रहे. पुराने समय की स्मृतियों को संजोकर रखने वाले हिमाचल के वरिष्ठतम मीडिया कर्मी पीसी लोहमी (journalist pc lohmi on atal) के अनुसार वर्ष 1967 में शिमला में जनसंघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक (janasangh meeting in shimla) हुई थी. इस बैठक में भाग लेने अटल बिहारी वाजपेयी के अलावा तत्कालीन जनसंघ के बड़े नेता शिमला पहुंचे थे. अटल को याद करते हुए उन्होंने बताया कि पाकिस्तान के साथ हुए शिमला समझौते (Shimla Agreement with Pakistan) के दौरान भी उन्हें शिमला बुलाया गया था.
शिमला में राजभवन में तो नहीं, मगर जैन धर्मशाला में उनकी बैठक पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल के साथ हुई थी. आपातकाल के बाद भी मोरारजी देसाई की सरकार के समय अटल बिहारी वाजपेयी शिमला आए थे. उस दौरान अटल जी को रिज से जनसभा को संबोधित करना था, लेकिन केंद्र सरकार के एक अन्य मंत्री राजनारायण का भी शिमला आने का प्रोग्राम बन गया.
लिहाजा अटल बिहारी वाजपेयी जी के संबोधन को लेकर काफी समय तक ऊहापोह की स्थिति रही, मगर बाद में अटल ने ही रैली को संबोधित किया. बाबरी मस्जिद विध्वंस (Babri Masjid Demolition) के बाद भी अटल बिहारी वाजपेयी शिमला आए थे. वाजपेयी ने उस समय शिमला के सब्जी मंडी में रैली की थी. इससे पहले अटल बिहारी वाजपेयी ने हिमाचल कांग्रेस के बड़े नेताओं स्व. रामलाल ठाकुर और वीरभद्र सिंह के चुनाव क्षेत्रों जुब्बल कोटखाई तथा रोहड़ू में भी जनसभाओं को संबोधित किया था.
पूर्व विधायक और हिमाचल भाजपा के मुख्य प्रवक्ता रणधीर शर्मा (himachal bjp leader on atal) बताते हैं कि दोनों जगह रैलियों में उमड़ी भीड़ के बाद उन्हें लगा कि भाजपा ऊपरी शिमला के इन दुर्गों को ढहा देगी. मगर जब रैली के बाद अटल जी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस के दो कद्दावर नेताओं के चुनाव क्षेत्र हैं, इस बात को नहीं भूल सकते. वर्ष 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी ने शिमला के रिज से रैली को संबोधित किया था. शिमला के इतिहास की संभवत: यह सबसे बड़ी रैली थी.
पीसी लोहमी कहते हैं कि 1981 में अटल जी एक मर्तबा अचानक शिमला पहुंचे. जानकारी मिलने पर वह उनसे मुलाकात करने बेनमोर चले गए. मुलाकात में कई मसलों पर काफी देर तक चर्चा हुई. इसके बाद वह अटल के साथ शिमला घूमे. ऊपरी शिमला के प्रवास के दौरान उन्होंने स्व. दौलत राम चौहान को पूछा कि आप जुब्बल कोटखाई से चुनाव क्यों नहीं लड़ते, उन्होंने जवाब दिया कि ताउम्र शिमला में रहा, लिहाजा जमानत भी नहीं बचेगी.
एक और प्रसंग को लेकर लोहमी बताते हैं कि ग्वालियर से वाजपेयी चुनाव लड़े. शिमला में लोगों ने पूछा कितने मतों से जीत रहे हो, जवाब था जितने से सिंधिया हारेंगे, लेकिन किस्मत ऐसी थी कि अटल चुनाव हार गए. इसके बाद फिर शिमला आए तो यह पूछने पर आप तो हार गए, उन्होंने कहा कि लोगों ने वोट ही नहीं दिए.
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पीसी लोहमी कहते हैं कि शिमला में अटल ने संघ की कई मर्तबा शाखाएं भी लगाई. शिमला में भाजपा कार्यकर्ता और दीपक भोजनालय के मालिक दीपक कहते हैं कि एक बार अटल जी की रैली के लिए चंदा इकट्ठा करना था, तो शिमला में जिस भी घर में गए, सभी ने खुशी-खुशी चंदा दिया. अटल बिहारी वाजपेयी की शिमला की रिज रैली में उमड़ी भीड़ से सभी हैरान थे. कहा जाता है कि इतनी बड़ी रैली हिमाचल में न पहले हुई और न ही कभी आगे होगी.
साहित्यिक अभिरुचि के स्वामी अटल बिहारी वाजपेयी ने मनाली में कवित पाठ (vajpayee poem with recitation in manali) भी किया था. तीन साल पहले अटल बिहारी वाजपेयी के देहावसान पर हिमाचल की जनता शोक सागर में डूब गई थी. अटल बिहारी वाजपेयी की अंतिम यात्रा में शामिल होने की देश की जनता की बहुत इच्छा थी. इस कारण देशभर में डिस्प्ले स्क्रीन लगाई गई थीं. शिमला में रिज मैदान पर पहाड़ के बुजुर्ग लोग जमीन पर बैठकर अटल स्मृतियों में डूबे दिखाई दिए थे. अटल बिहारी वाजपेयी को शिमला में आदरांजली देने के लिए भाजपा ही नहीं कांग्रेस के सभी नेता भी मौजूद थे.
जब नम हो गईं बच्चों के मामू अटल जी की आंखें
वहीं, अटल बिहारी वाजपेयी के साथ हिमाचल की कई स्मृतियां (memories of atal with himachal) जुड़ी हुई हैं. प्रीणी, कुल्लू व मनाली के बच्चों के लिए वे मामा समान थे. प्रधानमंत्री के तौर जब भी अटल प्रीणी आते, वे बच्चों को मिठाई के लिए पैसे देते थे. अटल बिहारी वाजपेयी हमेशा बच्चों की मिठाई के लिए 11 हजार रुपये देते थे. उस पैसे से बच्चों को जलेबी और पकौड़े खिलाए जाते थे. ये अटल जी की इच्छा थी कि बच्चों को जलेबी और पकौड़े खिलाए जाएं. कारण ये भी था कि अटल जी खुद जलेबी, इमरती और रबड़ी जैसी मिठाइयों के शौकीन थे.
वर्ष 2004 में लोकसभा चुनाव में पराजय के बाद अटल बिहारी वाजपेयी साल 2006 में जब प्रीणी आए, तो उन्होंने स्कूली बच्चों को पांच हजार रुपए दिए. ये पहली दफा था कि अटल ने बच्चों की मिठाई के लिए 11 हजार की बजाय, 5 हजार रुपये दिए. उस समय अटल ने बच्चों को कहा कि अब तुम्हारे मामूजी की नौकरी चली गई है, इसलिए इस बार पैसे कम है. चाहो तो जलेबी खा लो या फिर पकौड़े खा लो. इस पर बच्चे भी भावुक हो गए.
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बच्चों ने कहा कि हमें पैसे नहीं चाहिए, हम तो सिर्फ आपसे प्यार करते हैं. बच्चों का ये जवाब सुनकर अटल की भी आंखें नम हो गईं, लेकिन भावनाओं पर नियंत्रण रखते हुए अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कहा कि नहीं बच्चों, अभी भी मुझे पेंशन मिलती है. हिमाचल के सीएम जयराम ठाकुर (cm jairam on atal bihari) के अनुसार उनकी बेटियों को भी अटल बिहारी वाजपेयी जी का आशीष मिला था. उन्होंने कहा कि राजनीति में ऐसे विराट व्यक्तित्व बहुत कम मिलते हैं. हिमाचल सदा उनकी देश और प्रदेश के प्रति सेवाओं का ऋणी रहेगा.