ETV Bharat / bharat

तमिलनाडु में उस जगह पर पहुंचे फारूक, जहां उनके पिता को रखा गया था नजरबंद - Sheikh Abdullah

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला इन दिनों तमिलनाडु के दौरे पर हैं, जहां वह कोडाइकनाल भी गये. कोडाइकनाल ही वह जगह है जहां उनके पिता शेर शेख अब्दुल्ला को नजरबंद रखा गया था. इस दौरान उन्होंने कश्मीर और देश की राजनीति पर भी बातचीत की.

Farooq Abdullah in Tamil Nadu
फारूक अब्दुल्ला
author img

By

Published : Jan 5, 2023, 11:45 AM IST

कोडाइकनाल (तमिलनाडु) : जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने तमिलनाडु के कोडाइकनाल का दौरा किया और लगभग चार दशकों में अपनी पहली यात्रा में, वह उसी गेस्ट हाउस में रुके थे, जहां उनके पिता स्वर्गीय शेख अब्दुल्ला ने जेल में अपने दिन बिताए थे. बीते दिनों को याद करते हुए जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला भावुक हो गये. वह प्रसिद्ध हिल रिसॉर्ट के निजी दौरे पर थे.

पहाड़ों की राजकुमारी के नाम से मशहूर कोडाई कनाल फारूक के परिवार और कश्मीर के राजनीतिक इतिहास से जुड़ी है. यहीं पर कश्मीर के शेर शेख अब्दुल्ला को 1953 में और फिर 1965 में दो बार हिरासत में लिया गया था. वे 14 साल तक नजरबंद रहे. मंगलवार को यहां पहुंचने पर वह सरकारी गेस्ट हाउस में ठहरे जहां दिवंगत शेख अब्दुल्ला ने जेल में अपने दिन बिताए थे. कोह नूर शेख अब्दुल्ला गेस्ट हाउस के नाम पर, इसमें जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल और मौलाना आजाद के साथ देश की स्वतंत्रता में शेख के योगदान का विवरण देने वाली एक पट्टिका है. इसमें 1947 में पाकिस्तानी आक्रमणकारियों के खिलाफ संघर्ष और कश्मीर के भारत में विलय में शेख की भूमिका का भी उल्लेख है.

पढ़ें: वॉटर विजन 2047 : पीएम मोदी ने कहा, जल संरक्षण के लिए जन भागीदारी जरूरी

बुधवार को मीडिया के साथ अपनी यादें साझा करते हुए फारूक ने कहा कि यह वह जगह है जहां मेरे पिता कई सालों तक कैद में रहे. मैं 84 में यहां आया था. तब मुख्यमंत्री रामचंद्रन (एमजीआर) और मदर टेरेसा वहां थे और यह घर उन्हें समर्पित था. उन्होंने कहा कि मैं बस यहां आना चाहता था और उन्हें फिर से देखना चाहता था. उनकी यात्रा लगभग पांच दशकों के बाद हो रही है और शांत फारूक अब्दुल्ला ने पुलिसकर्मियों के साथ सुरक्षा के बारे में विस्तार से बात की और उनके साथ एक ग्रुप फोटो लिया.

कश्मीर में राजनीतिक स्थिति के बारे में बात करते हुए उन्होंने इस आरोप को दोहराया कि धारा 370 निरस्त होने के बाद भी आतंकवाद बेरोकटोक जारी रहा. उनके अनुसार, विशेष दर्जे को समाप्त करने से आतंकवाद को समाप्त करने में मदद नहीं मिली, इसके विपरीत यह बढ़ गया है. नए साल के दिन राजौरी जिले में आईईडी विस्फोट, जिसमें एक बच्चे की मौत हो गई और पांच अन्य घायल हो गए, स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि आतंकवाद खत्म नहीं हुआ है.

पढ़ें: कश्मीर मूल का एजाज अहमद अहंगर आतंकवादी घोषित

नेकां नेता ने कहा कि हालांकि भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र ने 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को हटा दिया, लेकिन सीमावर्ती राज्य में आतंकी हमलों का कोई अंत नहीं हुआ है. यह स्पष्ट है कि केवल एक संयुक्त विपक्ष ही इसे सुनिश्चित कर सकता है. उन्होंने कहा कि मैं भगवान नहीं हूं. मैं अकेला कुछ नहीं कर सकता. न ही मैं कोई भविष्यवक्ता हूं. लेकिन, अगर विपक्ष एकजुट है और चुनाव लड़ता है, तो बदलाव आएगा. बदलाब इस बात पर निर्भर करता है कि विपक्ष वास्तव में एकजुट है या नहीं.

भारत जोड़ो यात्रा शुरू करने का श्रेय कांग्रेस नेता राहुल गांधी को देते हुए, जिसमें उन्होंने भी भाग लिया, फारूक ने कहा कि मैंने यात्रा में हिस्सा लिया युवा इसमें शामिल हो रहे हैं और जब मैंने यह देखा तो मुझे बहुत खुशी हुई. इस देश को बचाना होगा क्योंकि हम विविध हैं. मैं तमिल नहीं बोल सकता और आप कश्मीरी नहीं बोल सकते. मेरा खाना अलग है और आपका खाना अलग है. आपकी संस्कृति अलग है और मेरी अलग है. लेकिन हममें एकता है और हमें इसकी रक्षा करनी है. भारत सबका है और हम सब भारत के हैं. सिर्फ एक रंग और एक धर्म से काम नहीं चलेगा. एक भाषा... आप उसे कैसे स्वीकार करेंगे? यह एक विविध राष्ट्र है.

पढ़ें: कर्नाटक में सड़क दुर्घटना में छह तीर्थयात्रियों की मौत, 16 घायल

कोडाइकनाल (तमिलनाडु) : जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने तमिलनाडु के कोडाइकनाल का दौरा किया और लगभग चार दशकों में अपनी पहली यात्रा में, वह उसी गेस्ट हाउस में रुके थे, जहां उनके पिता स्वर्गीय शेख अब्दुल्ला ने जेल में अपने दिन बिताए थे. बीते दिनों को याद करते हुए जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला भावुक हो गये. वह प्रसिद्ध हिल रिसॉर्ट के निजी दौरे पर थे.

पहाड़ों की राजकुमारी के नाम से मशहूर कोडाई कनाल फारूक के परिवार और कश्मीर के राजनीतिक इतिहास से जुड़ी है. यहीं पर कश्मीर के शेर शेख अब्दुल्ला को 1953 में और फिर 1965 में दो बार हिरासत में लिया गया था. वे 14 साल तक नजरबंद रहे. मंगलवार को यहां पहुंचने पर वह सरकारी गेस्ट हाउस में ठहरे जहां दिवंगत शेख अब्दुल्ला ने जेल में अपने दिन बिताए थे. कोह नूर शेख अब्दुल्ला गेस्ट हाउस के नाम पर, इसमें जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल और मौलाना आजाद के साथ देश की स्वतंत्रता में शेख के योगदान का विवरण देने वाली एक पट्टिका है. इसमें 1947 में पाकिस्तानी आक्रमणकारियों के खिलाफ संघर्ष और कश्मीर के भारत में विलय में शेख की भूमिका का भी उल्लेख है.

पढ़ें: वॉटर विजन 2047 : पीएम मोदी ने कहा, जल संरक्षण के लिए जन भागीदारी जरूरी

बुधवार को मीडिया के साथ अपनी यादें साझा करते हुए फारूक ने कहा कि यह वह जगह है जहां मेरे पिता कई सालों तक कैद में रहे. मैं 84 में यहां आया था. तब मुख्यमंत्री रामचंद्रन (एमजीआर) और मदर टेरेसा वहां थे और यह घर उन्हें समर्पित था. उन्होंने कहा कि मैं बस यहां आना चाहता था और उन्हें फिर से देखना चाहता था. उनकी यात्रा लगभग पांच दशकों के बाद हो रही है और शांत फारूक अब्दुल्ला ने पुलिसकर्मियों के साथ सुरक्षा के बारे में विस्तार से बात की और उनके साथ एक ग्रुप फोटो लिया.

कश्मीर में राजनीतिक स्थिति के बारे में बात करते हुए उन्होंने इस आरोप को दोहराया कि धारा 370 निरस्त होने के बाद भी आतंकवाद बेरोकटोक जारी रहा. उनके अनुसार, विशेष दर्जे को समाप्त करने से आतंकवाद को समाप्त करने में मदद नहीं मिली, इसके विपरीत यह बढ़ गया है. नए साल के दिन राजौरी जिले में आईईडी विस्फोट, जिसमें एक बच्चे की मौत हो गई और पांच अन्य घायल हो गए, स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि आतंकवाद खत्म नहीं हुआ है.

पढ़ें: कश्मीर मूल का एजाज अहमद अहंगर आतंकवादी घोषित

नेकां नेता ने कहा कि हालांकि भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र ने 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को हटा दिया, लेकिन सीमावर्ती राज्य में आतंकी हमलों का कोई अंत नहीं हुआ है. यह स्पष्ट है कि केवल एक संयुक्त विपक्ष ही इसे सुनिश्चित कर सकता है. उन्होंने कहा कि मैं भगवान नहीं हूं. मैं अकेला कुछ नहीं कर सकता. न ही मैं कोई भविष्यवक्ता हूं. लेकिन, अगर विपक्ष एकजुट है और चुनाव लड़ता है, तो बदलाव आएगा. बदलाब इस बात पर निर्भर करता है कि विपक्ष वास्तव में एकजुट है या नहीं.

भारत जोड़ो यात्रा शुरू करने का श्रेय कांग्रेस नेता राहुल गांधी को देते हुए, जिसमें उन्होंने भी भाग लिया, फारूक ने कहा कि मैंने यात्रा में हिस्सा लिया युवा इसमें शामिल हो रहे हैं और जब मैंने यह देखा तो मुझे बहुत खुशी हुई. इस देश को बचाना होगा क्योंकि हम विविध हैं. मैं तमिल नहीं बोल सकता और आप कश्मीरी नहीं बोल सकते. मेरा खाना अलग है और आपका खाना अलग है. आपकी संस्कृति अलग है और मेरी अलग है. लेकिन हममें एकता है और हमें इसकी रक्षा करनी है. भारत सबका है और हम सब भारत के हैं. सिर्फ एक रंग और एक धर्म से काम नहीं चलेगा. एक भाषा... आप उसे कैसे स्वीकार करेंगे? यह एक विविध राष्ट्र है.

पढ़ें: कर्नाटक में सड़क दुर्घटना में छह तीर्थयात्रियों की मौत, 16 घायल

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.