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भारत में विदेशी विवि का कैंपस हो सकेगा स्थापित, समझिए विस्तार से

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने कहा कि विदेशी विश्वविद्यालयों को परिसर स्थापित करने के लिए मंजूरी लेनी होगी. शुरुआती मंजूरी 10 साल के लिए होगी. साथ यह भी बताया गया कि कैंपस रखने वाले विदेशी विश्वविद्यालय केवल फिजिकल मोड में पूर्णकालिक कार्यक्रम चला सकते हैं, न कि ऑनलाइन या दूरस्थ शिक्षा.

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Published : Jan 5, 2023, 2:13 PM IST

Updated : Jan 6, 2023, 2:25 PM IST

नई दिल्ली : विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए भारत में परिसर स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने बृहस्पतिवार को इसका मसौदा नियमन जारी किया जिसमें उन्हें भारत में परिसर स्थापित करने के लिए यूजीसी से मंजूरी लेनी होगी, वहीं दाखिला प्रक्रिया तथा शुल्क ढांचा तय करने की छूट होगी. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने संवाददाताओं से कहा कि विदेशी विश्वविद्यालय केवल परिसर में प्रत्यक्ष कक्षाओं के लिए पूर्णकालिक कार्यक्रम पेश कर सकते हैं, ऑनलाइन माध्यम या दूरस्थ शिक्षा माध्यम से नहीं.

कुमार ने बताया कि विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में परिसर स्थापित करने के लिए यूजीसी से मंजूरी लेनी होगी. कुमार ने यूजीसी (भारत में विदेशी उच्च शिक्षण संस्थानों का परिसर स्थापित करने एवं परिचालन करने) संबंधी नियमन 2023 पर संवाददाताओं से चर्चा के दौरान यह बात कही. उन्होंने कहा कि प्रारंभ में इन्हें 10 साल के लिए मंजूरी दी जायेगी तथा उन्हें दाखिला प्रक्रिया, शुल्क ढांचा तय करने की छूट होगी.

उन्होंने बताया कि कुछ शर्तों को पूरा करने पर इनका नवीनीकरण नौवें वर्ष में किया जायेगा. उनहोंने यह भी स्पष्ट किया कि ये संस्थान ऐसे कार्यक्रम की पेशकश नहीं करेंगे जो भारत के राष्ट्रीय हितों के प्रतकूल हों या उच्च शिक्षा के मानकों के अनुरूप नहीं हों. कुमार ने कहा, "भारत में परिसर स्थापित करने वाले विदेशी विश्वविद्यालयों को अपनी स्वयं की प्रवेश प्रक्रिया तैयार करने की छूट होगी. ये संस्थान शुल्क ढांचा तय कर सकते हैं."

यूजीसी के अध्यक्ष ने बताया कि यूरोप के कुछ देशों के विश्वविद्यालयों ने भारत में परिसर स्थापित करने में रूचि दिखायी है. उन्होंने कहा कि चूंकि विदेशी विश्वविद्यालय भारत सरकार से वित्तपोषित संस्थान नहीं हैं, ऐसे में उनकी दाखिला प्रक्रिया, शुल्क ढांचे के निर्धारण में यूजीसी की भूमिका नहीं होगी. कुमार ने कहा, "विदेशी विश्वविद्यालयों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके भारतीय परिसरों में प्रदान की जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता, उनके मुख्य परिसर में दी जाने वाली शिक्षा के समान ही गुणवत्तापूर्ण हो." उन्होंने कहा कि विदेशी विश्वविद्यालय, भारत में शैक्षणिक संस्थानों के साथ गठजोड़ करके परिसर स्थापित कर सकते हैं.

यूजीसी के अध्यक्ष ने कहा, "विदेश से कोष का आदान-प्रदान विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के तहत होगा." यह पूछे जाने पर कि क्या इन विदेशी विश्वविद्यालयों के परिसरों में आरक्षण नीति लागू होगी, कुमार ने कहा कि दाखिले संबंधी नीति निर्धारण के बारे में निर्णय विदेशी विश्वविद्यलय करेंगे तथा इसमें यूजीसी की भूमिका नहीं होगी. उन्होंने कहा कि मूल्यांकन प्रक्रिया और छात्रों की जरूरतों का आकलन करने के बाद आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों को छात्रवृत्ति की व्यवस्था हो सकती है, जैसा कि विदेशों में विश्वविद्यालयों में होता है.

कुमार ने कहा कि जहां इन विश्वविद्यालयों को दाखिला प्रक्रिया और शुल्क ढांचे पर निर्णय करने की स्वतंत्रता होगी, वहीं आयोग ने फीस को व्यावहारिक एवं पारदर्शी रखने का सुझाव दिया है. उन्होंने कहा कि नयी शिक्षा नीति में यह संकल्पना की गई है कि दुनिया के उत्कृष्ट विश्वविद्यालयों को भारत में परिसर स्थापित करने की सुविधा दी जायेगी. उन्होंने कहा कि इसके लिए एक विधायी ढांचा तैयार किया जायेगा और इन विश्वविद्यालयों को भारत के स्वायत्त संस्थानों के समतुल्य नियमन, प्रशासन, सामग्री आदि की सुविधा होगी.

भारत में परिसर स्थापित करने के लिए दो श्रेणियों में विदेशी संस्थान आवेदन करने के पात्र होंगे. इसमें एक श्रेणी उन संस्थानों की होगी जो सम्पूर्ण रूप से शीर्ष 500 संस्थानों की सूची में होंगे और दूसरे गृह क्षेत्र में उत्कृष्ट दर्जे वाले संस्थान होंगे. विदेशी संस्थानों को भारत और विदेशों से शिक्षकों एवं कर्मचारियों की नियुक्ति की छूट होगी. कुमार ने कहा कि यूजीसी सभी देशों के दूतावासों और जाने-माने विदेशी विश्वविद्यालयों को मसौदा नियमन पर राय पेश करने के लिए पत्र लिखेगी.

विदेशी शैक्षणिक संस्थानों की दो कैटेगरियों को भारत में कैंपस स्थापित करने को लेकर मंजूरी दी गई है. पहली कैटेगरी उन विश्वविद्यालयों के लिए हैं जो दुनिया के टॉप 500 विवि में शामिल हैं, इनमें वैसे विवि भी शामिल होंगे, जिनके पास किसी खास विषय की महारत है. दूसरी कैटेगरी उन विवि के लिए है, जिनका उस देश में बहुत अधिक नाम हो.

यूजीसी एक स्टैंडिंग कमेटी बनाएगी. वह कमेटी कैंपस की स्थापना से लेकर उनके ऑपरेशन पर भी निगरानी रखेगी. कमेटी उन संस्थानों की मेरिट का अध्ययन करेगी. उनकी विश्वसनीयता और उनकी क्षमताओं का अध्ययन करेगी, क्या भारत में उसकी जरूरत है या नहीं, इस पर भी विचार होगा. कमेटी इन्फ्रास्ट्रचर को लेकर भी सुझाव देगी. उसके बाद अनुशंसा करेगी. यह सभी 45 दिनों में करना होगा.

पढ़ें: कश्मीर मूल का एजाज अहमद अहंगर आतंकवादी घोषित

नई दिल्ली : विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए भारत में परिसर स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने बृहस्पतिवार को इसका मसौदा नियमन जारी किया जिसमें उन्हें भारत में परिसर स्थापित करने के लिए यूजीसी से मंजूरी लेनी होगी, वहीं दाखिला प्रक्रिया तथा शुल्क ढांचा तय करने की छूट होगी. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने संवाददाताओं से कहा कि विदेशी विश्वविद्यालय केवल परिसर में प्रत्यक्ष कक्षाओं के लिए पूर्णकालिक कार्यक्रम पेश कर सकते हैं, ऑनलाइन माध्यम या दूरस्थ शिक्षा माध्यम से नहीं.

कुमार ने बताया कि विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में परिसर स्थापित करने के लिए यूजीसी से मंजूरी लेनी होगी. कुमार ने यूजीसी (भारत में विदेशी उच्च शिक्षण संस्थानों का परिसर स्थापित करने एवं परिचालन करने) संबंधी नियमन 2023 पर संवाददाताओं से चर्चा के दौरान यह बात कही. उन्होंने कहा कि प्रारंभ में इन्हें 10 साल के लिए मंजूरी दी जायेगी तथा उन्हें दाखिला प्रक्रिया, शुल्क ढांचा तय करने की छूट होगी.

उन्होंने बताया कि कुछ शर्तों को पूरा करने पर इनका नवीनीकरण नौवें वर्ष में किया जायेगा. उनहोंने यह भी स्पष्ट किया कि ये संस्थान ऐसे कार्यक्रम की पेशकश नहीं करेंगे जो भारत के राष्ट्रीय हितों के प्रतकूल हों या उच्च शिक्षा के मानकों के अनुरूप नहीं हों. कुमार ने कहा, "भारत में परिसर स्थापित करने वाले विदेशी विश्वविद्यालयों को अपनी स्वयं की प्रवेश प्रक्रिया तैयार करने की छूट होगी. ये संस्थान शुल्क ढांचा तय कर सकते हैं."

यूजीसी के अध्यक्ष ने बताया कि यूरोप के कुछ देशों के विश्वविद्यालयों ने भारत में परिसर स्थापित करने में रूचि दिखायी है. उन्होंने कहा कि चूंकि विदेशी विश्वविद्यालय भारत सरकार से वित्तपोषित संस्थान नहीं हैं, ऐसे में उनकी दाखिला प्रक्रिया, शुल्क ढांचे के निर्धारण में यूजीसी की भूमिका नहीं होगी. कुमार ने कहा, "विदेशी विश्वविद्यालयों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके भारतीय परिसरों में प्रदान की जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता, उनके मुख्य परिसर में दी जाने वाली शिक्षा के समान ही गुणवत्तापूर्ण हो." उन्होंने कहा कि विदेशी विश्वविद्यालय, भारत में शैक्षणिक संस्थानों के साथ गठजोड़ करके परिसर स्थापित कर सकते हैं.

यूजीसी के अध्यक्ष ने कहा, "विदेश से कोष का आदान-प्रदान विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के तहत होगा." यह पूछे जाने पर कि क्या इन विदेशी विश्वविद्यालयों के परिसरों में आरक्षण नीति लागू होगी, कुमार ने कहा कि दाखिले संबंधी नीति निर्धारण के बारे में निर्णय विदेशी विश्वविद्यलय करेंगे तथा इसमें यूजीसी की भूमिका नहीं होगी. उन्होंने कहा कि मूल्यांकन प्रक्रिया और छात्रों की जरूरतों का आकलन करने के बाद आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों को छात्रवृत्ति की व्यवस्था हो सकती है, जैसा कि विदेशों में विश्वविद्यालयों में होता है.

कुमार ने कहा कि जहां इन विश्वविद्यालयों को दाखिला प्रक्रिया और शुल्क ढांचे पर निर्णय करने की स्वतंत्रता होगी, वहीं आयोग ने फीस को व्यावहारिक एवं पारदर्शी रखने का सुझाव दिया है. उन्होंने कहा कि नयी शिक्षा नीति में यह संकल्पना की गई है कि दुनिया के उत्कृष्ट विश्वविद्यालयों को भारत में परिसर स्थापित करने की सुविधा दी जायेगी. उन्होंने कहा कि इसके लिए एक विधायी ढांचा तैयार किया जायेगा और इन विश्वविद्यालयों को भारत के स्वायत्त संस्थानों के समतुल्य नियमन, प्रशासन, सामग्री आदि की सुविधा होगी.

भारत में परिसर स्थापित करने के लिए दो श्रेणियों में विदेशी संस्थान आवेदन करने के पात्र होंगे. इसमें एक श्रेणी उन संस्थानों की होगी जो सम्पूर्ण रूप से शीर्ष 500 संस्थानों की सूची में होंगे और दूसरे गृह क्षेत्र में उत्कृष्ट दर्जे वाले संस्थान होंगे. विदेशी संस्थानों को भारत और विदेशों से शिक्षकों एवं कर्मचारियों की नियुक्ति की छूट होगी. कुमार ने कहा कि यूजीसी सभी देशों के दूतावासों और जाने-माने विदेशी विश्वविद्यालयों को मसौदा नियमन पर राय पेश करने के लिए पत्र लिखेगी.

विदेशी शैक्षणिक संस्थानों की दो कैटेगरियों को भारत में कैंपस स्थापित करने को लेकर मंजूरी दी गई है. पहली कैटेगरी उन विश्वविद्यालयों के लिए हैं जो दुनिया के टॉप 500 विवि में शामिल हैं, इनमें वैसे विवि भी शामिल होंगे, जिनके पास किसी खास विषय की महारत है. दूसरी कैटेगरी उन विवि के लिए है, जिनका उस देश में बहुत अधिक नाम हो.

यूजीसी एक स्टैंडिंग कमेटी बनाएगी. वह कमेटी कैंपस की स्थापना से लेकर उनके ऑपरेशन पर भी निगरानी रखेगी. कमेटी उन संस्थानों की मेरिट का अध्ययन करेगी. उनकी विश्वसनीयता और उनकी क्षमताओं का अध्ययन करेगी, क्या भारत में उसकी जरूरत है या नहीं, इस पर भी विचार होगा. कमेटी इन्फ्रास्ट्रचर को लेकर भी सुझाव देगी. उसके बाद अनुशंसा करेगी. यह सभी 45 दिनों में करना होगा.

पढ़ें: कश्मीर मूल का एजाज अहमद अहंगर आतंकवादी घोषित

Last Updated : Jan 6, 2023, 2:25 PM IST
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