ETV Bharat / bharat

जबरन सेवानिवृत्ति बड़ी आउटसोर्सिंग के लिए एक चाल : सीटू महासचिव

आज के दौर में जबरन सेवानिवृत्ति का खौफ लगभग सभी सरकारी कर्मचारियों के मन में हावी है. केंद्र सरकार ऐसे लोगो को हटाना चाहती है जो काम के लायक नहीं हैं. जबरन सेवानिवृत्ति को लेकर सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन के महासचिव और पूर्व राज्यसभा सांसद तपन सेन ने सरकार को घेरा.

forcible retirement is a tactic for bigger outsourcing
जबरन सेवानिवृत्ति पर सरकार को घेरा
author img

By

Published : Nov 5, 2020, 10:53 PM IST

Updated : Nov 6, 2020, 6:59 PM IST

नई दिल्ली: सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) ने गुरुवार को कर्मचारियों की "जबरन सेवानिवृत्ति" की नीति अपनाने के लिए केंद्र सरकार की तीखी आलोचना की है. इस मामले पर ईटीवी भारत से बात करते हुए सीटू महासचिव और पूर्व राज्यसभा सांसद तपन सेन ने कहा कि पूरे ट्रेड यूनियन आंदोलन ने सरकार की इस घोर पहल का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि यह बड़ी आउटसोर्सिंग के लिए एक चाल है.

देखें रिपोर्ट

जबरन सेवानिवृत्ति पर सरकार को घेरा

पूर्व राज्यसभा सांसद तपन सेन ने कहा कि यह केवल केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों तक सीमित नहीं है. विभिन्न राज्य सरकार (विशेष रूप से भाजपा शासित राज्य) भी एक ही नीति अपना रहे हैं. केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र में जिनकी सेवा की स्थिति अलग-अलग परिभाषित की जाती है. सेन ने कहा कि मंत्रालय प्रबंधन को निर्देश दे रहा है कि कर्मचारियों की सेवा शर्त में इस प्रावधान को शामिल किया जाए ताकि प्रबंधन लोगों को जबरन सेवानिवृत्त कर सके. सेन ने कहा कि यह बहुत ही अत्याचारी कदम है और इसकी कोई जरूरत भी नहीं है.

दो साल से खाली पड़े पदों को किया जा रहा खत्म

हमला बोलते हुए सीटू महासचिव और पूर्व राज्यसभा सांसद तपन सेन ने कहा कि केंद्र, राज्य सरकार और सार्वजनिक क्षेत्रों में कई रिक्तियां हैं, जो विभागों के काम को प्रभावित करती हैं. उन्होंने आगे कहा कि यहां तक कि रेलवे में भी विशेष रूप से सुरक्षा से संबंधित क्षेत्रों में भारी रिक्तियां हैं और इसके साथ ही रेलवे ने उन रिक्तियों को समाप्त करने का निर्णय लिया है जो दो साल से खाली पड़ींं हैं. उन्होंने कहा कि सरकार की कोशिश है कि सरकारी विभागों में भी बड़ी आउटसोर्सिंग के लिए एक आधार बनाया जाए. उन्होंने कहा कि "मुख्य रूप से सरकारी विभागों का भी पिछले दरवाजे के माध्यम से निजीकरण किया जा रहा है और उस प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए सरकार ने निराधार तरीके से भयानक सेवानिवृत्ति के नृशंस उपाय के माध्यम से सरकारी तैनाती को कम करने की पहल की है.

केंद्र सरकार के अक्षम और भ्रष्ट अधिकारियों को हटाने के अभियान का हिस्सा थी जबरन सेवानिवृत्ति

यहां यह उल्लेख किया जा सकता है कि कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने एक आदेश में सरकारी नौकरों को समय से पहले रिटायर करने की अनुमति दी है, भले ही वे 50 से 55 आयु वर्ग के हों या 30 साल की सेवा पूरी कर चुके हों. यह पहल केंद्र सरकार के 'अक्षम' और 'भ्रष्ट' अधिकारियों को हटाने के अभियान का हिस्सा थी. उन्होंने कहा कि इस आदेश में यह भी कहा गया है कि यदि कोई सरकारी कर्मचारी अप्रभावी पाया जाता है तो उसे सेवानिवृत्त होने की उम्मीद की जाती है यदि उसे उस मामले से एक वर्ष की अवधि के भीतर सेवानिवृत्ति के बाद सेवानिवृत्त होने की उम्मीद है.

पढ़ें: बिहार के भाइयों और बहनों के नाम पीएम मोदी का पत्र

लोकतांत्रिक प्रणाली के लिए खतरनाक है यह

सेन ने कहा कि, हालांकि कुछ अधिकारियों को किसी विशेष व्यक्ति की जबरन सेवानिवृत्ति के लिए फोन करने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी. सीटू महासचिव और पूर्व राज्यसभा सांसद तपन सेन ने कहा कि विशेष कर्मचारी की ओर से बचाव की कोई गुंजाइश नहीं है. जबकि मूल सेवा शर्त यह मांग करती है कि किसी भी कर्मचारी के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई उसे आत्मरक्षा के लिए मौका दिए बिना नहीं की जा सकती. यह केवल कार्यकर्ताओं और कर्मचारियों के लिए ही नहीं बल्कि देश की पूरी लोकतांत्रिक प्रणाली के लिए खतरनाक है.

नई दिल्ली: सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) ने गुरुवार को कर्मचारियों की "जबरन सेवानिवृत्ति" की नीति अपनाने के लिए केंद्र सरकार की तीखी आलोचना की है. इस मामले पर ईटीवी भारत से बात करते हुए सीटू महासचिव और पूर्व राज्यसभा सांसद तपन सेन ने कहा कि पूरे ट्रेड यूनियन आंदोलन ने सरकार की इस घोर पहल का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि यह बड़ी आउटसोर्सिंग के लिए एक चाल है.

देखें रिपोर्ट

जबरन सेवानिवृत्ति पर सरकार को घेरा

पूर्व राज्यसभा सांसद तपन सेन ने कहा कि यह केवल केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों तक सीमित नहीं है. विभिन्न राज्य सरकार (विशेष रूप से भाजपा शासित राज्य) भी एक ही नीति अपना रहे हैं. केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र में जिनकी सेवा की स्थिति अलग-अलग परिभाषित की जाती है. सेन ने कहा कि मंत्रालय प्रबंधन को निर्देश दे रहा है कि कर्मचारियों की सेवा शर्त में इस प्रावधान को शामिल किया जाए ताकि प्रबंधन लोगों को जबरन सेवानिवृत्त कर सके. सेन ने कहा कि यह बहुत ही अत्याचारी कदम है और इसकी कोई जरूरत भी नहीं है.

दो साल से खाली पड़े पदों को किया जा रहा खत्म

हमला बोलते हुए सीटू महासचिव और पूर्व राज्यसभा सांसद तपन सेन ने कहा कि केंद्र, राज्य सरकार और सार्वजनिक क्षेत्रों में कई रिक्तियां हैं, जो विभागों के काम को प्रभावित करती हैं. उन्होंने आगे कहा कि यहां तक कि रेलवे में भी विशेष रूप से सुरक्षा से संबंधित क्षेत्रों में भारी रिक्तियां हैं और इसके साथ ही रेलवे ने उन रिक्तियों को समाप्त करने का निर्णय लिया है जो दो साल से खाली पड़ींं हैं. उन्होंने कहा कि सरकार की कोशिश है कि सरकारी विभागों में भी बड़ी आउटसोर्सिंग के लिए एक आधार बनाया जाए. उन्होंने कहा कि "मुख्य रूप से सरकारी विभागों का भी पिछले दरवाजे के माध्यम से निजीकरण किया जा रहा है और उस प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए सरकार ने निराधार तरीके से भयानक सेवानिवृत्ति के नृशंस उपाय के माध्यम से सरकारी तैनाती को कम करने की पहल की है.

केंद्र सरकार के अक्षम और भ्रष्ट अधिकारियों को हटाने के अभियान का हिस्सा थी जबरन सेवानिवृत्ति

यहां यह उल्लेख किया जा सकता है कि कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने एक आदेश में सरकारी नौकरों को समय से पहले रिटायर करने की अनुमति दी है, भले ही वे 50 से 55 आयु वर्ग के हों या 30 साल की सेवा पूरी कर चुके हों. यह पहल केंद्र सरकार के 'अक्षम' और 'भ्रष्ट' अधिकारियों को हटाने के अभियान का हिस्सा थी. उन्होंने कहा कि इस आदेश में यह भी कहा गया है कि यदि कोई सरकारी कर्मचारी अप्रभावी पाया जाता है तो उसे सेवानिवृत्त होने की उम्मीद की जाती है यदि उसे उस मामले से एक वर्ष की अवधि के भीतर सेवानिवृत्ति के बाद सेवानिवृत्त होने की उम्मीद है.

पढ़ें: बिहार के भाइयों और बहनों के नाम पीएम मोदी का पत्र

लोकतांत्रिक प्रणाली के लिए खतरनाक है यह

सेन ने कहा कि, हालांकि कुछ अधिकारियों को किसी विशेष व्यक्ति की जबरन सेवानिवृत्ति के लिए फोन करने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी. सीटू महासचिव और पूर्व राज्यसभा सांसद तपन सेन ने कहा कि विशेष कर्मचारी की ओर से बचाव की कोई गुंजाइश नहीं है. जबकि मूल सेवा शर्त यह मांग करती है कि किसी भी कर्मचारी के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई उसे आत्मरक्षा के लिए मौका दिए बिना नहीं की जा सकती. यह केवल कार्यकर्ताओं और कर्मचारियों के लिए ही नहीं बल्कि देश की पूरी लोकतांत्रिक प्रणाली के लिए खतरनाक है.

Last Updated : Nov 6, 2020, 6:59 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.