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खाद्य सचिव की राज्यों से अपील, 'राशन तय कीमत पर ही बेचें, मदद को केंद्र तत्पर'

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Published : Apr 16, 2021, 5:36 PM IST

केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत सभी लाभार्थियाें काे तय कीमत पर ही राशन मुहैया कराने की अपील की है. उन्हाेंने कहा कि यह योजना गरीबों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही है. ऐसे में कोई भी राज्य सरकार केंद्र की ओर से तय कीमतों से अधिक मूल्य पर राशन की बिक्री न करें.

सुधांशु पांडे
सुधांशु पांडे

नई दिल्ली : केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने कहा है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना (NFSA) के तहत चावल 3 रुपये, गेहूं 2 रुपये व मोटे अनाज 1 रुपये प्रति किलों के हिसाब से दिए जा रहे हैं. इस मूल्य पर हरेक लाभार्थी प्रतिमाह 5 किलो खाद्यान्न प्राप्त कर सकता है.

दो लाख रुपये की सब्सिडी वहन कर रहा केंद्र
उन्होंने कहा कि योजना का उद्देश्य यह है कि देश में हर NFSA लाभार्थी को एक ही कीमत पर राशन दिलाया जाए. यह योजना गरीबों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही है. उन्होंने कहा कि इस योजना के लिए केंद्र सरकार 2 लाख करोड़ रुपये का सब्सिडी वहन करती है.

केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने कहा, तय कीमत पर ही राशन मुहैया कराएं

राज्यों की मदद के लिए तत्पर है केंद्र
उन्हाेंने सभी राज्य सरकारों से आग्रह किया है कि इसी कीमत पर राशन मुहैया करायें. कुछ राज्य सरकारें अपने खर्च पर मौजूदा कीमत से भी कम मूल्य पर चावल, गेहूं, मोटा अनाज राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के लाभार्थियों को देती है. सुधांशु पांडे ने अपील की और कहा कि कोई भी राज्य सरकार ज्यादा कीमत पर राशन की बिक्री न करे. केंद्र सरकार राज्यों की हर संभव मदद कर रही है.

पीडीएस सिस्टम से मिलता है अनाज
बता दें कि इस योजना के तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के जरिये बाजार कीमत से काफी सस्ते दर पर लक्षित वर्ग को चावल, गेहूं, मोटा अनाज सरकार द्वारा मुहैया कराया जाता है.

लाभ पाने में मणिपुर के ग्रामीण क्षेत्र आगे
जानकारी के अनुसार, ग्रामीण इलाकों की 75 प्रतिशत आबादी व शहरी क्षेत्रों की 50% आबादी इस योजना के तहत कवर की जाती है. ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें तो मणिपुर में सबसे अधिक कवरेज 88.56 % है. दूसरे नंबर पर झारखंड (86.48%) है. तीसरे नंबर पर बिहार (85.12%) है. इस लिहाज से चौथे नंबर पर छत्तीसगढ़ (84.25%) है. अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में सबसे कम 24.95% फीसदी है.

इसे भी पढ़ें : खाद्य तेल में लगी आग, अनाज, दाल समेत आवश्यक वस्तुओं की महंगाई से बढ़ी मुश्किलें

शहरी मामले में उत्तर प्रदेश और बिहार की स्थिति
वहीं इस मामले में शहरी क्षेत्रों की बात करें तो मणिपुर में इसका अनुपात 85.75% है. बिहार में 74.53% है. उत्तर प्रदेश 64.43 %, मध्य प्रदेश में 62.61% है.

लाभ पाने के लिए ऐसी है प्रक्रिया
बता दें कि खाद्य सुरक्षा सूची में नाम जुड़वाने के लिए लाभार्थियों को एप्लीकेशन लिखकर संबंधित SDM के यहां देना पड़ता है. ग्रामीण क्षेत्रों से प्राप्त आवेदन बीडीओ व शहरी क्षेत्र के आवेदन संबंधित निकाय को भेजा जाता है. इस प्रक्रिया के बाद अधिकारी जांच कराते हैं कि आवेदक खाद्य सुरक्षा का पात्र है या नहीं. अधिकारी अपनी रिपोर्ट SDM के पास भेजते हैं. इस पर आखिरी निर्णय SDM लेते हैं.

नई दिल्ली : केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने कहा है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना (NFSA) के तहत चावल 3 रुपये, गेहूं 2 रुपये व मोटे अनाज 1 रुपये प्रति किलों के हिसाब से दिए जा रहे हैं. इस मूल्य पर हरेक लाभार्थी प्रतिमाह 5 किलो खाद्यान्न प्राप्त कर सकता है.

दो लाख रुपये की सब्सिडी वहन कर रहा केंद्र
उन्होंने कहा कि योजना का उद्देश्य यह है कि देश में हर NFSA लाभार्थी को एक ही कीमत पर राशन दिलाया जाए. यह योजना गरीबों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही है. उन्होंने कहा कि इस योजना के लिए केंद्र सरकार 2 लाख करोड़ रुपये का सब्सिडी वहन करती है.

केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने कहा, तय कीमत पर ही राशन मुहैया कराएं

राज्यों की मदद के लिए तत्पर है केंद्र
उन्हाेंने सभी राज्य सरकारों से आग्रह किया है कि इसी कीमत पर राशन मुहैया करायें. कुछ राज्य सरकारें अपने खर्च पर मौजूदा कीमत से भी कम मूल्य पर चावल, गेहूं, मोटा अनाज राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के लाभार्थियों को देती है. सुधांशु पांडे ने अपील की और कहा कि कोई भी राज्य सरकार ज्यादा कीमत पर राशन की बिक्री न करे. केंद्र सरकार राज्यों की हर संभव मदद कर रही है.

पीडीएस सिस्टम से मिलता है अनाज
बता दें कि इस योजना के तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के जरिये बाजार कीमत से काफी सस्ते दर पर लक्षित वर्ग को चावल, गेहूं, मोटा अनाज सरकार द्वारा मुहैया कराया जाता है.

लाभ पाने में मणिपुर के ग्रामीण क्षेत्र आगे
जानकारी के अनुसार, ग्रामीण इलाकों की 75 प्रतिशत आबादी व शहरी क्षेत्रों की 50% आबादी इस योजना के तहत कवर की जाती है. ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें तो मणिपुर में सबसे अधिक कवरेज 88.56 % है. दूसरे नंबर पर झारखंड (86.48%) है. तीसरे नंबर पर बिहार (85.12%) है. इस लिहाज से चौथे नंबर पर छत्तीसगढ़ (84.25%) है. अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में सबसे कम 24.95% फीसदी है.

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शहरी मामले में उत्तर प्रदेश और बिहार की स्थिति
वहीं इस मामले में शहरी क्षेत्रों की बात करें तो मणिपुर में इसका अनुपात 85.75% है. बिहार में 74.53% है. उत्तर प्रदेश 64.43 %, मध्य प्रदेश में 62.61% है.

लाभ पाने के लिए ऐसी है प्रक्रिया
बता दें कि खाद्य सुरक्षा सूची में नाम जुड़वाने के लिए लाभार्थियों को एप्लीकेशन लिखकर संबंधित SDM के यहां देना पड़ता है. ग्रामीण क्षेत्रों से प्राप्त आवेदन बीडीओ व शहरी क्षेत्र के आवेदन संबंधित निकाय को भेजा जाता है. इस प्रक्रिया के बाद अधिकारी जांच कराते हैं कि आवेदक खाद्य सुरक्षा का पात्र है या नहीं. अधिकारी अपनी रिपोर्ट SDM के पास भेजते हैं. इस पर आखिरी निर्णय SDM लेते हैं.

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