नई दिल्ली : निजी क्षेत्र की कंपनियों को खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के क्षेत्र में निवेश करने के लिए केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय लगातार प्रोत्साहित कर रहा है. केंद्र सरकार की कोशिश है कि प्राइवेट सेक्टर बढ़ चढ़कर खाद्य संस्करण क्षेत्र में निवेश करे, ताकि किसानों की आय दोगुनी हो, मूल्य वर्धन को बढ़ावा मिले.
निजी क्षेत्र की कंपनियों की भागीदारी से खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने 2016 में ही प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना लागू किया था. प्राइवेट सेक्टर उद्यमी खाद्य प्रसंस्करण से जुड़े उद्योग को शुरू करे उसके लिये केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय सब्सिडी के तौर पर आर्थिक सहायता भी प्रदान कर रहा है. 792 निजी क्षेत्र की कंपनियों को खाद्य प्रसंस्करण से जुड़े उद्योग शुरू करने के लिए स्वीकृति मिल गई है. केंद्र सरकार की तरफ से इन प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों को 5791.71 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता भी दी गई है. जिसका मुख्य उद्देश्य है खाद्य प्रसंस्करण से जुड़े बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर यथा प्राथमिक प्रसंस्करण व्यवस्था, संघ्रण केंद्र खोलना आदि शामिल है.
निजी क्षेत्र की कंपनियों की ज्यादा से ज्यादा भागीदारी के लिये सरकार इस वर्ष तीन मुख्य बिंदु पर कार्य कर रही है. सरकार ने उत्पादन से जुड़े हुए प्रोडक्शन लिंकड इन्सेटिव स्कीम शुरू किया, जिसके लिये 10900 करोड़ की राशि का प्रावधान किया गया है. इसका मुख्य उद्देश्य यह है की भारतीय उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रांड के रूप में ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहित किया जा सके.
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निजी क्षेत्र के सुक्ष्म खाद्य व्यापारियों, स्वयं सहायता समूह, किसान, उत्पादक संघ व सहकारिता संस्थान द्वारा खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के केंद्र प्रायोजित योजना 'PM Formalisation of Micro Food Processing Enterprises Scheme' के लिये वित्तीय, तकनीकी व व्यापारिक सहयोग प्रदान किया जा रहा है, ताकि दो लाख सुक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाई, जो एक जिला एक उत्पाद पर आधारित हो, स्थापित किया जा सके. इसके लिये पांच सालों में 10 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.
ऑपरेशन ग्रीन स्कीम को टमाटर, प्याज, आलू से बढ़ाकर 22 तुरंत खराब होने वाले उत्पादों को भी इसमें शामिल किया गया, ताकि मुल्यवृद्धि व इनके निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके.