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MP: दांत पीले...इसलिए युवाओं की नहीं हो रही शादी, फ्लोराइड का दंश झेल रहे हजारों ग्रामीण

छिंदवाड़ा में एक ऐसा गांव है जहां दूषित पानी की वजह से ज्यादातर लोग अब कुंवारे हीं उम्रदराज हो रहे हैं. दरअसल यहां के पानी में फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा है. इसी वजह से सभी घरों में कोई न कोई किसी न किसी बीमारी से ग्रसित है.

chhindwara villagers suffering from fluoride water
छिंदवाड़ा के ग्रामीण फ्लोराइड के पानी से बेहाल
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Published : May 25, 2023, 8:49 AM IST

Updated : May 25, 2023, 11:03 AM IST

फ्लोराइड का दंश झेल रहे छिंदवाड़ा के ग्रामीण

छिंदवाड़ा। कहा जाता है जल ही जीवन है, मगर यही जल अगर दूषित हो जाए तो इसे मौत का कारण बनने में देर नहीं लगती है. प्रशासन की अनदेखी की चलते ग्रामीण इस धीमे जहर को पीने के लिए मजबूर हैं. हम बात कर रहे हैं छिंदवाड़ा के सिंगोड़ी गांव की, जहां पर फ्लोराइड वाले पानी ने कई लोगों के घरों को उजाड़ दिया तो कईयों के घर तक नहीं बसे. अभी तक ये सिलसिला यहां जारी है.

17 मिग्रा प्रति लीटर ही फ्लोराइड की मात्रा: इस गांव की आबादी लगभग 10 हजार है. यहां बड़े-बड़े नेताओं से लेकर रसूखदार तक हैं, इसके बावजूद यहां साफ पानी पीने को नहीं मिलता. गांव के पानी में फ्लोराइड की मात्रा इतनी अधिक है कि लोगों की हड्डिया गल चुकी हैं. गांव के हर परिवार में कोई न कोई फ्लोरोसिस बीमारी से पीड़ित मिल जाएगा. किसी के दांत पीले हैं तो कोई कमजोर हड्डियों वाला है, किसी के पेट-घुटने में दर्द तो कई जन्मजात बीमारी से घिरे हुए हैं. चर्मरोगी तो मानों हर घर में सदस्य हैं. यहां तक की कई परिवारों में तो पानी के कारण मौत भी हो चुकी है. जनपद पंचायत के सदस्य योगेश यादव ने बताया कि "गांव के लोग जो पानी पीते हैं उसमें 17 मिलीग्राम प्रति लीटर फ्लोराइड की मात्रा है जो बहुत खतरनाक है."

फिल्टर प्लांट का मिला था बजट: 15 साल पहले जनदर्शन में सिंगोड़ी आए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को गांव के इस बिगड़ते हालात की लोगों ने आपबीती सुनाई. इसके बाद सीएम शिवराज ने साफ पानी के लिए फिल्टर प्लांट लगाने को लेकर 1 करोड़ 62 लाख 78 हजार रुपए भी दिए, लेकिन उनके अधिकारियों ने इसमें भी बंदरबाट कर ली. अधिकारियों ने सिर्फ शो पीस का फिल्टर प्लांट गांव में बना दिया, जिससे साफ पानी की सप्लाई बिलकुल भी नहीं होती है.

  1. जल संकट से जूझ रहा MP का आदिवासी गांव, 10 फीट गहरे कुएं में उतरकर मटमैला पानी निकाल रहे ग्रामीण
  2. Bhopal Gas Tragedy: सरकारों के दावे फेल, आज 38 साल बाद भी दूषित पानी पीने को मजबूर हैं रहवासी

गांव में अधिकतर युवा कुंवारे: ग्रामीणों ने बताया कि "गांव में पीने का साफ पानी नहीं है जिसकी वजह से अधिकतर युवाओं के दांत पीले होकर खराब हो रहे हैं. इसकी वजह से युवाओं के हाथ पीले नहीं हो रहे हैं. यानी कि अधिकतर लोग अब इस गांव में अपने बच्चों की शादी नहीं करना चाहते हैं. इस वजह से कई युवाओं की उम्र शादी के पड़ाव को पार कर रही है. आलम तो ये है कि गांव में कोई रिश्ता नहीं करना चाहता, जिसकी वजह से कई लोग कुंवारे ही हैं. गांव की भीषण समस्या से हर कोई वाकिफ है चाहे अधिकारी हों या स्थानीय नेता. लेकिन जब मामले को सुलझाने की बात आती है तो चोर-चोर मौसेर भाई बन जाते हैं. इस दौरान गांव वालों को फिर से आश्वासन का लंबा भाषण मिलता है और पीने के लिए फिर से दूषित पानी."

कितना खतरनाक है फ्लोराइड: अधिक मात्रा में फ्लोराइड के सेवन से डेंटल और स्केलेटल फ्लोरोसिस होने की प्रबल संभावना रहती है. अधिक दिनों तक इसके सेवन से यह गंभीर से खतरनाक रूप भी ले सकता है. अगर पेयजल में फ्लोराइड की मात्रा 0.5 मिग्रा प्रति लीटर से कम हो तो दांत कमजोर होने लगते हैं. अगर यह 0.5 से 1.5 मिग्रा प्रति लीटर हो तो दांतों के लिए ठीक रहता है. 1.5 मिग्रा प्रति लीटर से 4 मिग्रा प्रति लीटर के बीच अगर ये हो जाए तो डेंटल फ्लोरोसिस होने लगता है. 4 से 10 मिग्रा प्रति लीटर की मात्रा डेंटल और स्केलेटल फ्लोरोसिस का खतरा उत्पन्न कर देती है. जब यह 10 मिग्रा प्रति लीटर से अधिक हो जाए तो हड्डियां मुड़ने लगती हैं. हालांकि फ्लोरोसिस का खतरा सिर्फ पानी में इसकी मात्रा अधिक होने से नहीं होता, बल्कि यह खान-पान की आदतों पर भी निर्भर करता है.

फ्लोराइड का दंश झेल रहे छिंदवाड़ा के ग्रामीण

छिंदवाड़ा। कहा जाता है जल ही जीवन है, मगर यही जल अगर दूषित हो जाए तो इसे मौत का कारण बनने में देर नहीं लगती है. प्रशासन की अनदेखी की चलते ग्रामीण इस धीमे जहर को पीने के लिए मजबूर हैं. हम बात कर रहे हैं छिंदवाड़ा के सिंगोड़ी गांव की, जहां पर फ्लोराइड वाले पानी ने कई लोगों के घरों को उजाड़ दिया तो कईयों के घर तक नहीं बसे. अभी तक ये सिलसिला यहां जारी है.

17 मिग्रा प्रति लीटर ही फ्लोराइड की मात्रा: इस गांव की आबादी लगभग 10 हजार है. यहां बड़े-बड़े नेताओं से लेकर रसूखदार तक हैं, इसके बावजूद यहां साफ पानी पीने को नहीं मिलता. गांव के पानी में फ्लोराइड की मात्रा इतनी अधिक है कि लोगों की हड्डिया गल चुकी हैं. गांव के हर परिवार में कोई न कोई फ्लोरोसिस बीमारी से पीड़ित मिल जाएगा. किसी के दांत पीले हैं तो कोई कमजोर हड्डियों वाला है, किसी के पेट-घुटने में दर्द तो कई जन्मजात बीमारी से घिरे हुए हैं. चर्मरोगी तो मानों हर घर में सदस्य हैं. यहां तक की कई परिवारों में तो पानी के कारण मौत भी हो चुकी है. जनपद पंचायत के सदस्य योगेश यादव ने बताया कि "गांव के लोग जो पानी पीते हैं उसमें 17 मिलीग्राम प्रति लीटर फ्लोराइड की मात्रा है जो बहुत खतरनाक है."

फिल्टर प्लांट का मिला था बजट: 15 साल पहले जनदर्शन में सिंगोड़ी आए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को गांव के इस बिगड़ते हालात की लोगों ने आपबीती सुनाई. इसके बाद सीएम शिवराज ने साफ पानी के लिए फिल्टर प्लांट लगाने को लेकर 1 करोड़ 62 लाख 78 हजार रुपए भी दिए, लेकिन उनके अधिकारियों ने इसमें भी बंदरबाट कर ली. अधिकारियों ने सिर्फ शो पीस का फिल्टर प्लांट गांव में बना दिया, जिससे साफ पानी की सप्लाई बिलकुल भी नहीं होती है.

  1. जल संकट से जूझ रहा MP का आदिवासी गांव, 10 फीट गहरे कुएं में उतरकर मटमैला पानी निकाल रहे ग्रामीण
  2. Bhopal Gas Tragedy: सरकारों के दावे फेल, आज 38 साल बाद भी दूषित पानी पीने को मजबूर हैं रहवासी

गांव में अधिकतर युवा कुंवारे: ग्रामीणों ने बताया कि "गांव में पीने का साफ पानी नहीं है जिसकी वजह से अधिकतर युवाओं के दांत पीले होकर खराब हो रहे हैं. इसकी वजह से युवाओं के हाथ पीले नहीं हो रहे हैं. यानी कि अधिकतर लोग अब इस गांव में अपने बच्चों की शादी नहीं करना चाहते हैं. इस वजह से कई युवाओं की उम्र शादी के पड़ाव को पार कर रही है. आलम तो ये है कि गांव में कोई रिश्ता नहीं करना चाहता, जिसकी वजह से कई लोग कुंवारे ही हैं. गांव की भीषण समस्या से हर कोई वाकिफ है चाहे अधिकारी हों या स्थानीय नेता. लेकिन जब मामले को सुलझाने की बात आती है तो चोर-चोर मौसेर भाई बन जाते हैं. इस दौरान गांव वालों को फिर से आश्वासन का लंबा भाषण मिलता है और पीने के लिए फिर से दूषित पानी."

कितना खतरनाक है फ्लोराइड: अधिक मात्रा में फ्लोराइड के सेवन से डेंटल और स्केलेटल फ्लोरोसिस होने की प्रबल संभावना रहती है. अधिक दिनों तक इसके सेवन से यह गंभीर से खतरनाक रूप भी ले सकता है. अगर पेयजल में फ्लोराइड की मात्रा 0.5 मिग्रा प्रति लीटर से कम हो तो दांत कमजोर होने लगते हैं. अगर यह 0.5 से 1.5 मिग्रा प्रति लीटर हो तो दांतों के लिए ठीक रहता है. 1.5 मिग्रा प्रति लीटर से 4 मिग्रा प्रति लीटर के बीच अगर ये हो जाए तो डेंटल फ्लोरोसिस होने लगता है. 4 से 10 मिग्रा प्रति लीटर की मात्रा डेंटल और स्केलेटल फ्लोरोसिस का खतरा उत्पन्न कर देती है. जब यह 10 मिग्रा प्रति लीटर से अधिक हो जाए तो हड्डियां मुड़ने लगती हैं. हालांकि फ्लोरोसिस का खतरा सिर्फ पानी में इसकी मात्रा अधिक होने से नहीं होता, बल्कि यह खान-पान की आदतों पर भी निर्भर करता है.

Last Updated : May 25, 2023, 11:03 AM IST
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