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ट्रिब्यूनल का कार्यकाल चार साल तय करने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने किया रद्द

विभिन्न ट्रिब्यूनल के सदस्यों के लिए चार साल का कार्यकाल तय करने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है.

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Published : Jul 14, 2021, 11:49 AM IST

Updated : Jul 14, 2021, 12:40 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में विभिन्न ट्रिब्यूनल के सदस्यों के लिए चार साल का कार्यकाल तय करने के भारत संघ (यूओआई) के फैसले को रद्द कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दो-एक के बहुमत से ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स आर्डिनेंस-2021 के प्रावधानों को रद्द कर दिया. जिसमें सदस्यों का कार्यकाल तय किया गया था.

जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस एस रवींद्र भट के बहुमत ने कहा कि इसने पहले के फैसले में दिए गए महत्वपूर्ण निर्देश का उल्लंघन किया है. अध्यादेश को चुनौती देने वाली मद्रास बार एसोसिएशन द्वारा दायर रिट याचिका में अपना फैसला सुनाया है.

वित्त अधिनियम 2017 की धारा 184 और 186 नियुक्ति के तरीके, सेवा की शर्तों, अनुमति के संबंध में केंद्र सरकार को नियम बनाने की शक्ति प्रदान करती है. 5 अप्रैल को राष्ट्रपति द्वारा प्रख्यापित अध्यादेश 2017 और 2020 में केंद्र द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करता है, जिसकी कड़ी आलोचना हुई थी.

रोजर मैथ्यू बनाम साउथ इंडियन बैंक लिमिटेड और अन्य के मामले में निर्देश इस आधार पर जारी किया गया कि उन्होंने न्यायिक स्वतंत्रता को प्रभावित किया. उसके बाद केंद्र ने एक और सेट तैयार किया. पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने 2020 ट्रिब्यूनल रूल्स में कई खामियां ढूंढते हुए उन्हें संशोधित करने के निर्देश जारी किए. यह तर्क देते हुए कि ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स अध्यादेश 2021 के कई प्रावधान सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी स्पष्ट निर्देशों के विपरीत हैं.

रिट याचिका में क्या सवाल

1. अध्यादेश ट्रिब्यूनल सदस्यों के रूप में नियुक्ति के लिए न्यूनतम आयु सीमा 50 वर्ष निर्धारित करता है. यह मद्रास बार एसोसिएशन के निर्देशों के विपरीत है.

2. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि सर्च-कम-सेलेक्शन कमेटी में मूल विभाग के सचिव को वोटिंग का अधिकार नहीं दिया जाए.

3. सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनल के अध्यक्षों और सदस्यों को 5 साल का कार्यकाल देने का निर्देश दिया था.

4. सभी नियुक्तियों के लिए दो नामों का पैनल देने वाली खोज-सह-चयन समिति की प्रथा का खंडन करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था.

5. सुप्रीम कोर्ट ने एक अनिवार्य निर्देश दिया था कि केंद्र सरकार को सिफारिशों के 3 महीने के भीतर नियुक्तियां करनी चाहिए

6. सुप्रीम कोर्ट ने 26.11.2017 के बाद की गई सभी नियुक्तियों की पुष्टि करते हुए 5 साल की अवधि दी थी. अध्यादेश इस अवधि को घटाकर 4 वर्ष कर देता है.

यह भी पढ़ें-कांवड़ यात्रा को लेकर यूपी सरकार के निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसका प्रावधान मद्रास बार एसोसिएशन ने ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की थी.

(INPUT-ANI)

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में विभिन्न ट्रिब्यूनल के सदस्यों के लिए चार साल का कार्यकाल तय करने के भारत संघ (यूओआई) के फैसले को रद्द कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दो-एक के बहुमत से ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स आर्डिनेंस-2021 के प्रावधानों को रद्द कर दिया. जिसमें सदस्यों का कार्यकाल तय किया गया था.

जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस एस रवींद्र भट के बहुमत ने कहा कि इसने पहले के फैसले में दिए गए महत्वपूर्ण निर्देश का उल्लंघन किया है. अध्यादेश को चुनौती देने वाली मद्रास बार एसोसिएशन द्वारा दायर रिट याचिका में अपना फैसला सुनाया है.

वित्त अधिनियम 2017 की धारा 184 और 186 नियुक्ति के तरीके, सेवा की शर्तों, अनुमति के संबंध में केंद्र सरकार को नियम बनाने की शक्ति प्रदान करती है. 5 अप्रैल को राष्ट्रपति द्वारा प्रख्यापित अध्यादेश 2017 और 2020 में केंद्र द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करता है, जिसकी कड़ी आलोचना हुई थी.

रोजर मैथ्यू बनाम साउथ इंडियन बैंक लिमिटेड और अन्य के मामले में निर्देश इस आधार पर जारी किया गया कि उन्होंने न्यायिक स्वतंत्रता को प्रभावित किया. उसके बाद केंद्र ने एक और सेट तैयार किया. पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने 2020 ट्रिब्यूनल रूल्स में कई खामियां ढूंढते हुए उन्हें संशोधित करने के निर्देश जारी किए. यह तर्क देते हुए कि ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स अध्यादेश 2021 के कई प्रावधान सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी स्पष्ट निर्देशों के विपरीत हैं.

रिट याचिका में क्या सवाल

1. अध्यादेश ट्रिब्यूनल सदस्यों के रूप में नियुक्ति के लिए न्यूनतम आयु सीमा 50 वर्ष निर्धारित करता है. यह मद्रास बार एसोसिएशन के निर्देशों के विपरीत है.

2. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि सर्च-कम-सेलेक्शन कमेटी में मूल विभाग के सचिव को वोटिंग का अधिकार नहीं दिया जाए.

3. सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनल के अध्यक्षों और सदस्यों को 5 साल का कार्यकाल देने का निर्देश दिया था.

4. सभी नियुक्तियों के लिए दो नामों का पैनल देने वाली खोज-सह-चयन समिति की प्रथा का खंडन करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था.

5. सुप्रीम कोर्ट ने एक अनिवार्य निर्देश दिया था कि केंद्र सरकार को सिफारिशों के 3 महीने के भीतर नियुक्तियां करनी चाहिए

6. सुप्रीम कोर्ट ने 26.11.2017 के बाद की गई सभी नियुक्तियों की पुष्टि करते हुए 5 साल की अवधि दी थी. अध्यादेश इस अवधि को घटाकर 4 वर्ष कर देता है.

यह भी पढ़ें-कांवड़ यात्रा को लेकर यूपी सरकार के निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसका प्रावधान मद्रास बार एसोसिएशन ने ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की थी.

(INPUT-ANI)

Last Updated : Jul 14, 2021, 12:40 PM IST
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