ETV Bharat / bharat

मानव जाति के लिए खतरा बन रहा है समुद्री प्रदूषण

जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ZSI) के पूर्व निदेशक, शोधकर्ता के वेंकटरमन के अनुसार बढ़ते समुद्री प्रदूषण से मानव जाति के लिए खतरा पैदा हो रहा है. यदि इस खतरे से निपटने के लिए तैयारी नहीं की गई, तो यह मानव जाति के लिए एक बड़ा खतरा बन जाएगा.

कॉन्सेप्ट इमेज
कॉन्सेप्ट इमेज
author img

By

Published : Feb 2, 2021, 11:03 AM IST

चेन्नई : जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ZSI) के पूर्व निदेशक, शोधकर्ता के वेंकटरमन के अनुसार बढ़ते समुद्री प्रदूषण से मानव जाति के लिए खतरा पैदा हो रहा है. समुद्र का पृथ्वी पर 71 फीसदी हिस्सा है, जिससे 70 फीसदी ऑक्सीजन का उत्पादन होता है, जो सूर्य के नीचे सभी प्राणियों की सांस लेने के लिए जरूरी है. समुद्र, कई प्रकार की दुर्लभ प्रजातियों का एक जल अभयारण्य है, जो अब प्रदूषण के खतरे का सामना कर रहा है, जो न केवल समुद्री जीवों के जीवन को बल्कि मानव जीवन को भी खतरे में डाल देगा.

तमिलनाडु के तटीय क्षेत्रों में हो रहे परिवर्तन खतरे की घंटी बजा रहा है और हमें खतरे से आगाह कर रहा है.

तटीय क्षेत्रों में परिवर्तन

मछुआरों को खुद भारी मात्रा में धूल और कचरे को समुद्र के किनारों में तैरते हुए देखना एक सामान्य अनुभव बन गया है.

उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों से कचरा और अपशिष्ट पदार्थों को हमारे राज्य के तटों पर फेंक दिया जाता है, जिसे हवाएं समुद्री जल में ले जाती हैं.

मछुआरों के अनुसार भारी बारिश के मौसम के दौरान पानी कचरे को समुद्र में ले जाता है. इसमें बड़ी मात्रा में कचरा और अपशिष्ट होता है. हालांकि, अपशिष्ट पदार्थ गहरे समुद्र में गायब हो जातें हैं और लहरों की लहरों से दूर चले जाते हैं.

खतरा बन रहा है समुद्री प्रदूषण

हालांकि इस बार भारी मात्रा में कचरा समुद्र की सतह के पानी पर मौजूद है, जिससे समुद्री प्रजातियों के अस्तित्व को खतरा है और इससे मछुआरों की मोटर नौकाओं में तकनीकी खराबी पैदा हो गई है.

जान को खतरा

समुद्री जल में जमा होने वाले अपशिष्ट पदार्थों से सभी हितधारकों के लिए पैदा होने वाले खतरों के बारे में नचिकिप्पम के एथिराज ने कहा कि समुद्री जल में कचरे के बढ़ते ढेर के साथ, मशीनीकृत नावों के उलटने का जोखिम होता है. नाव उलटने की घटनाएं तत्काल अतीत में कई बार हुई हैं.

इसलिए, समुद्र के पानी पर कचरा जमा करना कुछ ऐसा है, जैसे हमारे सिर पर तलवार लटकी हुई है. हमारे जीवन की कोई गारंटी नहीं है. हर बार जब हम मछली पकड़ने के लिए निकलते हैं, तो हम अपनी जान हथेली पर लिए होते हैं.

इस सबंध में दक्षिण भारत मछुआरा संघ के अध्यक्ष के भारती ने कहा कि बढ़ते कचरे की ऐसी घटनाएं तूफान के समय काफी आम हैं.

बरसात के दिनों में बहुत सारे पौधे और लताएं समुद्र में अपना रास्ता तलाशती हैं. कभी-कभी, प्लास्टिक और कचरे की मात्रा समुद्री जल में तैरती रहती है.

पढ़ें - ग्राम न्यायालय स्थापित करने के लिए गंभीर नहीं हैं राज्य सरकारें

हालांकि, वे मछली पकड़ने के हमारे नियमित काम को प्रभावित नहीं करते, लेकिन पिछले एक सप्ताह की तरह समुद्र में कचरे और डंप किए गए पदार्थों की असामान्य मात्रा पहले कभी नहीं देखी गई है.

परिणामस्वरूप, हमारा व्यवसाय काफी हद तक प्रभावित हुआ है. सरकार और मत्स्य विभाग के अधिकारियों को एक अभूतपूर्व तीव्रता की इस समस्या की जांच शुरू करनी चाहिए.

चेंगलपट्टू में ईनजम्पक्कम से संबंधित एक अन्य मछुआरे गोरिलिंगम ने शिकायत की कि समुद्री जल में तैरते अपशिष्ट पदार्थ हमारी नौकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं. हम मछलियों को पकड़ने के लिए समुद्र में जाते हैं, और जाल को भर कर लाते लेकिन उसमें मछलियां नहीं बल्कि कचरा होता है.

जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ZSI) के पूर्व निदेशक शोधकर्ता के वेंकटरमन ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि इस समस्या के दो कारण हैं.पहली यह कि उत्तरी दिशा की ओर यात्रा करते हुए, नवंबर से मार्च तक समुद्री धाराएं तीव्र होंगी. दूसरी जहाजों के बढ़ते यातायात के कारण, बंगाल की खाड़ी में समुद्री जल में भारी मात्रा में कचरा फेंकने की संभावना बढ़ गई है.

इसलिए, कोस्ट गार्ड को तटीय क्षेत्रों में इस पर अपनी सतर्कता बढ़ानी चाहिए. यदि इस खतरे से निपटने के लिए तैयारी नहीं की गई, तो ह मानव जाति के लिए एक बड़ा खतरा बन जाएगा.

चेन्नई : जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ZSI) के पूर्व निदेशक, शोधकर्ता के वेंकटरमन के अनुसार बढ़ते समुद्री प्रदूषण से मानव जाति के लिए खतरा पैदा हो रहा है. समुद्र का पृथ्वी पर 71 फीसदी हिस्सा है, जिससे 70 फीसदी ऑक्सीजन का उत्पादन होता है, जो सूर्य के नीचे सभी प्राणियों की सांस लेने के लिए जरूरी है. समुद्र, कई प्रकार की दुर्लभ प्रजातियों का एक जल अभयारण्य है, जो अब प्रदूषण के खतरे का सामना कर रहा है, जो न केवल समुद्री जीवों के जीवन को बल्कि मानव जीवन को भी खतरे में डाल देगा.

तमिलनाडु के तटीय क्षेत्रों में हो रहे परिवर्तन खतरे की घंटी बजा रहा है और हमें खतरे से आगाह कर रहा है.

तटीय क्षेत्रों में परिवर्तन

मछुआरों को खुद भारी मात्रा में धूल और कचरे को समुद्र के किनारों में तैरते हुए देखना एक सामान्य अनुभव बन गया है.

उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों से कचरा और अपशिष्ट पदार्थों को हमारे राज्य के तटों पर फेंक दिया जाता है, जिसे हवाएं समुद्री जल में ले जाती हैं.

मछुआरों के अनुसार भारी बारिश के मौसम के दौरान पानी कचरे को समुद्र में ले जाता है. इसमें बड़ी मात्रा में कचरा और अपशिष्ट होता है. हालांकि, अपशिष्ट पदार्थ गहरे समुद्र में गायब हो जातें हैं और लहरों की लहरों से दूर चले जाते हैं.

खतरा बन रहा है समुद्री प्रदूषण

हालांकि इस बार भारी मात्रा में कचरा समुद्र की सतह के पानी पर मौजूद है, जिससे समुद्री प्रजातियों के अस्तित्व को खतरा है और इससे मछुआरों की मोटर नौकाओं में तकनीकी खराबी पैदा हो गई है.

जान को खतरा

समुद्री जल में जमा होने वाले अपशिष्ट पदार्थों से सभी हितधारकों के लिए पैदा होने वाले खतरों के बारे में नचिकिप्पम के एथिराज ने कहा कि समुद्री जल में कचरे के बढ़ते ढेर के साथ, मशीनीकृत नावों के उलटने का जोखिम होता है. नाव उलटने की घटनाएं तत्काल अतीत में कई बार हुई हैं.

इसलिए, समुद्र के पानी पर कचरा जमा करना कुछ ऐसा है, जैसे हमारे सिर पर तलवार लटकी हुई है. हमारे जीवन की कोई गारंटी नहीं है. हर बार जब हम मछली पकड़ने के लिए निकलते हैं, तो हम अपनी जान हथेली पर लिए होते हैं.

इस सबंध में दक्षिण भारत मछुआरा संघ के अध्यक्ष के भारती ने कहा कि बढ़ते कचरे की ऐसी घटनाएं तूफान के समय काफी आम हैं.

बरसात के दिनों में बहुत सारे पौधे और लताएं समुद्र में अपना रास्ता तलाशती हैं. कभी-कभी, प्लास्टिक और कचरे की मात्रा समुद्री जल में तैरती रहती है.

पढ़ें - ग्राम न्यायालय स्थापित करने के लिए गंभीर नहीं हैं राज्य सरकारें

हालांकि, वे मछली पकड़ने के हमारे नियमित काम को प्रभावित नहीं करते, लेकिन पिछले एक सप्ताह की तरह समुद्र में कचरे और डंप किए गए पदार्थों की असामान्य मात्रा पहले कभी नहीं देखी गई है.

परिणामस्वरूप, हमारा व्यवसाय काफी हद तक प्रभावित हुआ है. सरकार और मत्स्य विभाग के अधिकारियों को एक अभूतपूर्व तीव्रता की इस समस्या की जांच शुरू करनी चाहिए.

चेंगलपट्टू में ईनजम्पक्कम से संबंधित एक अन्य मछुआरे गोरिलिंगम ने शिकायत की कि समुद्री जल में तैरते अपशिष्ट पदार्थ हमारी नौकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं. हम मछलियों को पकड़ने के लिए समुद्र में जाते हैं, और जाल को भर कर लाते लेकिन उसमें मछलियां नहीं बल्कि कचरा होता है.

जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ZSI) के पूर्व निदेशक शोधकर्ता के वेंकटरमन ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि इस समस्या के दो कारण हैं.पहली यह कि उत्तरी दिशा की ओर यात्रा करते हुए, नवंबर से मार्च तक समुद्री धाराएं तीव्र होंगी. दूसरी जहाजों के बढ़ते यातायात के कारण, बंगाल की खाड़ी में समुद्री जल में भारी मात्रा में कचरा फेंकने की संभावना बढ़ गई है.

इसलिए, कोस्ट गार्ड को तटीय क्षेत्रों में इस पर अपनी सतर्कता बढ़ानी चाहिए. यदि इस खतरे से निपटने के लिए तैयारी नहीं की गई, तो ह मानव जाति के लिए एक बड़ा खतरा बन जाएगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.