नई दिल्ली : राज्य सभा की कार्यवाही हालांकि आठ मार्च तक के लिए स्थगित कर दी गई है, लेकिन संसद के ऊपरी सदन में कामकाज की दृष्टि से बजट सत्र का पहला हिस्सा काफी प्रोडक्टिव रहा है. शुक्रवार (12 फरवरी) को सत्र के पहले हिस्से का समापन हो गया. दो हफ्ते तक चली सदन की कार्यवाही के दौरान 99 प्रतिशत प्रोडक्टिविटी थी. हालांकि, बजट सत्र का पहला हिस्सा सोमवार को समाप्त होना था, लेकिन शुक्रवार को सदन की कार्यवाही शाम तीन बजे तक बढ़ा दी गई थी. इससे पहले आज (शनिवार) होने वाली कार्यवाही को स्थगित करने का फैसला किया गया. बहरहाल, बजट सत्र के दूसरे हिस्से के लिए राज्य सभा की कार्यवाही आठ मार्च से फिर शुरू होगी.
राज्य सभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने 8 मार्च तक कार्यवाही स्थगित करने से पहले कहा कि मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि सत्र का यह हिस्सा 99 प्रतिशत प्रोडक्टिविटी के साथ काफी प्रोडक्टिव रहा है.
उन्होंने कहा कि पिछले हफ्ते के मुकाबले इस सप्ताह सदन की प्रोडक्टिविटी 82 प्रतिशत की की तुलना में 113 प्रतिशत रही. दूसरे हफ्ते सदन की कार्यवाही 45 घंटे 4 मिनट तक चली, जबकि शोर-शराबे के कारण केवल आधे घंटे का काम प्रभावित हुआ. हालांकि, इस व्यवधान की भरपाई के लिए सदस्यों ने सदन में अपना अतिरिक्त समय भी दिया.
इस सत्र के दौरान बंदरगाहों से संबंधित महत्वपूर्ण विधेशक पोर्ट बिल पेश किए गए, धन्यवाद प्रस्ताव और बजट पर भी चर्चा हुई. बजट सत्र की शुरुआत में संसद के संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण के प्रस्ताव पर धन्यवाद प्रस्ताव पर सदन ने 15 घंटे तक बहस की.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को बहस का जवाब दिया. सदन के 100 सदस्यों ने इन दोनों विषयों पर बात की. नायडू ने कहा कि पहले सप्ताह के दौरान 4 घंटे 24 मिनट का नुकसान हुआ और इसकी भरपाई करने के लिए सदस्यों ने दूसरे सप्ताह के दौरान 3 घंटे 54 मिनट का अतिरिक्त समय दिया.
एक अप्रैल से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए बजट पर चर्चा से सम्बंधित वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के जवाब के बाद शुक्रवार को तीन सप्ताह के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई.
बहरहाल, इस अवकाश के दौरान संसदीय समितियां विभिन्न मंत्रालयों के लिए बजट आवंटन की जांच करेंगी. संसद बजट सत्र के दूसरे भाग के लिए 8 मार्च को बैठक करेगी. इसमें बजट पर चर्चा के अलावा कई अहम मुद्दों पर बहस होगी.
सदन ने विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद के अलावा मीर मोहम्मद फैयाज, शमशेर सिंह मन्हास और नजीर अहमद लवे को विदाई दी.
विदाई भाषण में राज्य सभा के सभापति ने आजाद के बारे में कहा कि वह पिछले कुछ दशकों से देश के सार्वजनिक जीवन में एक पवित्रता की आवाज रहे हैं, जिन्होंने सरकार और विपक्ष दोनों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. उन्होंने एक सदस्य के रूप में इस सदन की 28 वर्ष तक सेवा की है और वह इस सदन के दिग्गजों में से एक है. 9 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन से आजाद को विदाई देते हुए बहुत भावुक हो गए थे.