नई दिल्ली: एक राष्ट्र एक चुनाव के लिए गठित समिति की पहली आधिकारिक बैठक नई दिल्ली में संपन्न हुई. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति की बैठक जोधपुर ऑफिसर्स हॉस्टल बियर इंडिया गेट पर करीब डेढ़ घंटे तक चली. इस बैठक में केद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कानून मंत्री मेघवाल शामिल हुए. बैठक पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अध्यक्षता में हुई बैठक. बताया जा रहा है कि एक राष्ट्र एक चुनाव की संभावना तलाशने के लिए गहन चर्चा की गई.
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#WATCH | Union Home Minister Amit Shah arrives at Jodhpur hostel in Delhi to attend the first official meeting of the committee formed for 'One Nation, One Election' pic.twitter.com/JafzO31CaS
— ANI (@ANI) September 23, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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बताया जा रहा है कि बैठक में सदस्यों ने इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा की और इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए आगे की रणनीति बनाई. सूत्रों के अनुसार, बैठक में त्रिशंकु सदन, अविश्वास प्रस्ताव को अपनाने या एक साथ चुनाव होने की स्थिति में किसी अन्य घटना जैसे परिदृश्यों के संभावित समाधानों पर भी विश्लेषण किया गया. बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि हितधारकों, संवैधानिक विशेषज्ञों और अन्य लोगों के साथ परामर्श कैसे किया जाए.
इससे जुड़े एजेंडों को तय करने पर चर्चा की गई. इस मुहिम को कैसे आगे बढ़ाया जाए. इसे लेकर विचार रखे गए. इस व्यवस्था की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए रूप रेखा तैयार करने पर भी विचार किया गया. बता दें कि एक राष्ट्र एक चुनाव का विचार पिछले कुछ वर्षों में चर्चा में रहा है. मोदी सरकार के कई नेता इस विचार के पक्ष में राय दी है. बीजेपी नेताओं का मानना है कि इससे देश को बड़ा लाभ होगा. खासकर समय और धन की भारी बचत होगी.
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वहीं, दूसरी ओर विपक्षी दलों ने इसे बीजेपी का एजेडा बताया. विपक्षी दलों की ओर से इस विचार के खिलाफ तरत-तरह की बातें कही जा रही है. कहा जा रहा है इस व्यवस्था के लागू होने से छोटे दलों को नुकसान होगा. वहीं, कुछ दलों का कहना है कि लोकतांत्रिक देश में यह संभव नहीं है. इस साल के अंत तक पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. इससे भी महत्वपूर्ण अगले वर्ष लोकसभा चुनाव है. लोकसभा चुनाव प्रक्रया पूरी करने में देशपर भारी आर्थिक बोझ पड़ता है. कई विपक्षी दलों की ओर से कहा गया कि 2019 के लोकसभा चुनावों में करीब 60 हजार करोड़ रुपये खर्च किए गए.