शिवमोग्गा : कर्नाटक में मंकी फीवर (monkey fever) का पहला मामला सामने आया है. शिमोग्गा जिले में 57 साल की महिला क्यसनौर फॉरेस्ट डिजीज (Kyasanur Forest Disease) से पीड़ित पाई गई है. केएफडी को ही सामान्य लोग मंकी फीवर के रूप में जानते हैं. पिछले साल कर्नाटक के ही सागर तालुका में अरालागोदु गांव के 26 लोगों की मौत मंकी फीवर के कारण हुई थी.
बुखार से पीड़ित महिला को डॉक्टरों ने केएफडी टेस्ट कराने की सलाह दी थी. महिला को तीर्थहल्ली जेसी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. बता दें, मंकी फीवर के कारण दो साल पहले हुई मौत के बाद कर्नाटक स्वास्थ्य विभाग की ओर से केएफडी वैक्सीन मुहैया कराई गई थी. मंकी फीवर से बचाव का टीका लगने के कारण गत दो वर्षों से मंकी फीवर का मामला सामने नहीं आया था.
गौरतलब है कि केएफडी दक्षिण एशिया में टिक-जनित वायरल रक्तस्रावी बुखार (tick-borne viral hemorrhagic fever endemic) है. वायरस परजीवी टिक्स से फैलता है जो बंदरों को पकड़ता है और टिक काटने के कारण यह मनुष्यों में भी फैलता है. केएफडी संक्रमण, के कारण तेज बुखार और शरीर में दर्द से शुरू होता है. इसके परिणामस्वरूप रक्तस्राव होता है, जैसा डेंगू में भी होता है. मंकी फीवर की मृत्यु दर 5 से 10 प्रतिशत के बीच है.
यह भी पढ़ें- कर्नाटक : मुख्यमंत्री के सुरक्षा गार्डों पर ड्रग्स तस्करी के लगे आरोप