कांकेर: शिवनगर के दत्तक ग्रहण केंद्र का वीडियो वायरल होने के बाद से न केवल सियासत गरमा गई, बल्कि शासन प्रशासन ने भी मामले को बड़ी ही गंभीरता से लिया. विभाग की शिकायत के बाद सोमवार को आरोपी प्रोग्राम मैनेजर सीमा द्विवेदी गिरफ्तार कर ली गईं. इतना ही नहीं मारपीट के मामले के साक्ष्य छुपाने को लेकर महिला एवं बाल विकास विभाग संचालक ने कार्रवाई करते हुए तत्कालीन महिला एवं बाल विकास अधिकारी चन्द्र शेखर मिश्रा को सस्पेंड कर दिया. साथ ही बाल संरक्षण अधिकारी रीना लारिया को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया है. रीना लारिया को एक दिन के भीतर जवाब देना होगा.
"आज दत्तक ग्रहण एजेंसी जो कि शिवनगर, कांकेर में स्थित है. वहां पर एक बच्ची के साथ समन्वयक सीमा द्विवेदी की ओर से मारपीट करने का मामला सामने आया था. इसके आधार पर महिला एवं बाल विकास के अधिकारी ने थाने में लिखित आवेदन दिया. लिखित आवेदन के आधार पर अपचारी के विरुद्ध 323, 75 जेजे एक्ट और एससी एसटी एक्ट की धाराओं के तहत अपराध पंचीबद्ध किया गया है. आरोपी की गिरफ्तारी की गई है और अग्रिम विवेचना कार्रवाई जारी है." -दिव्यांग पटेल, एसपी कांकेर
"यह मामला बहुत ही वीभत्स है. ऐसी महिला के खिलाफ एफआईआर दर्ज होना चाहिए और उस महिला के ऊपर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए." -किरणमई नायक, अध्यक्ष, राज्य महिला आयोग
अब तक क्या क्या हुआ: बच्चों से मारपीट का वीडियो वायरल होने के बाद कलेक्टर प्रियंका शुक्ला ने आरोपी सीमा द्विवेदी के खिलाफ FIR के निर्देश दिए. कांकेर विधायक और संसदीय सचिव शिशुपाल शोरी ने भी बच्चों से मारपीट के मामले को गंभीर बताते हुए संबंधित एनजीओ और मारपीट करने वाली महिला पर कार्रवाई की बात कही थी.
गृहमंत्री ने लिया संज्ञान: दत्तक केंद्र में बच्ची के साथ क्रूर व्यवहार पर गृहमंत्री ने ताम्रध्वज साहू ने गहरा दुख व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि "घटना काफी निंदनीय है. वायरल वीडियो देखकर काफी दुख हुआ. इस मामले में विभाग पर चर्चा कर कलेक्टर से बात कर मामले में जल्द से जल्द कार्रवाई का आदेश दिया जाएगा. आने वाले समय में इस तरह की घटनाएं ना हो ये भी सुनिश्चित किया जाएगा."
जानिए क्या है पूरा मामला: दत्तक ग्रहण केंद्र का एक वीडियो वायरल हुआ था. इस वायरल वीडियो में अडोप्शन सेंटर में मैनेजर सीमा द्विवेदी मासूम बच्चियों को बुरी तरह पीटती नजर आ रही हैं. बताया जा रहा है कि महिला मैनेजर का बच्चों के साथ इसी तरह का व्यवहार रहता था. महिला मैनेजर की इस बर्बरता का जिसने भी विरोध किया उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. सालभर के अंदर ही 8 कर्मचारियों को बाहर कर दिया गया. मामले की शिकायत महिला बाल विकास विभाग में भी की गई थी. आरोप है कि जिले के महिला बाल विकास अधिकारी सीएस मिश्रा ने इस गंभीर मामले में कार्रवाई करने की बजाय 50 हजार रुपए की राशि लेकर मामला दबा दिया था. मामले में किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं होने से प्रोग्राम मैनेजर का हौसला बुलंद होते गया और मासूम बच्चों पर उसका अत्याचार बढ़ता गया.