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PMGKAY के विस्तार और उत्पाद शुल्क में कटौती से वित्त मंत्रालय परेशान

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Published : Jun 24, 2022, 1:35 PM IST

Updated : Jun 24, 2022, 5:03 PM IST

सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 में खाद्य सब्सिडी के लिए 2.07 लाख करोड़ रुपये का बजट रखा है, जो वित्त वर्ष 2021-22 के लिए संशोधित 2.86 लाख करोड़ रुपये से कम है. सितंबर तक पीएमजीकेएवाई के बढ़ाने से सब्सिडी बिल लगभग ₹ 2.87 लाख करोड़ तक होने की उम्मीद है. यदि इसे और छह महीने तक के लिए बढ़ाया जाएगा तो वित्त वर्ष 2022-23 में 80,000 करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं, जिससे खाद्य सब्सिडी बिल लगभग 3.7 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचा जाएगी.

वित्त मंत्रालय , Finance ministry on free food scheme
वित्त मंत्रालय , Finance ministry on free food scheme

नई दिल्ली : वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने सितंबर से आगे मुफ्त भोजन राशन योजना का विस्तार करने या सरकार की वित्तीय स्थिति के परिणामों की चेतावनी देते हुए कोई टैक्स में बड़ी कटौती करने के खिलाफ अपना तर्क दिया है. बता दें कि केंद्र सरकार ने मार्च 2022 में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) को छह महीने के लिए बढ़ाकर सितंबर तक कर दिया था.

सरकार ने वित्त वर्ष 2022-2023 में खाद्य सब्सिडी के लिए 2.07 लाख करोड़ रुपये का बजट रखा है, जो वित्त वर्ष 2021-22 के लिए संशोधित 2.86 लाख करोड़ रुपये से कम है. सितंबर 22 तक पीएमजीकेएवाई के विस्तार से सब्सिडी बिल बढ़कर लगभग ₹ 2.87 लाख करोड़ होने की उम्मीद है. इस योजना को और छह महीने तक बढ़ाने से वित्त वर्ष 2022-23 में 80,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च हो सकते हैं, जिससे खाद्य सब्सिडी बढ़कर लगभग 3.7 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी.

विभाग ने जानकारों के अनुसार सरकार द्वारा भविष्य में किसी तरह की कर में कटौती या खाद्य सब्सिडी विस्तार करने से वित्तीय गणित गड़बड़ा सकते हैं. खासकर पीएमजीकेएवाई को उसके मौजूदा विस्तार के बाद खाद्य सुरक्षा और वित्तीय आधार पर जारी रखना अनुचित होगा. अधिकारी ने कहा कि मुफ्त राशन विस्तार, उर्वरक सब्सिडी में वृद्धि, रसोई गैस पर सब्सिडी को फिर से शुरू करने, पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कमी और खाद्य तेलों और विभिन्न इनपुट पर सीमा शुल्क में कटौती जैसे हाल के फैसलों ने एक गंभीर वित्तीय स्थिति उत्पन्न कर दी है. मुद्रास्फीति के दबाव को कम करने के लिए पिछले महीने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कमी से लगभग 1 लाख करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होने की उम्मीद है.

सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सकल घरेलू उत्पाद के 6.4% के राजकोषीय घाटे का बजट रखा है. फिच रेटिंग्स को उम्मीद है कि उच्च सब्सिडी और शुल्क में कटौती के कारण राजस्व की हानि के कारण राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 6.8% होगा. बीते मंगलवार को जारी मई माह के मासिक आर्थिक समीक्षा में, वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग ने कहा कि राजस्व व्यय थामना विकासोन्मुख पूंजीगत व्यय की रक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है, साथ ही लेकिन राजकोषीय घाटा को बढ़ने से रोकना होगा क्योंकि उच्च राजकोषीय घाटा चालू खाते के घाटे को बढ़ा सकता है.

लॉकडाउन के दौरान PMGKAY की शुरुआत: PMGKAY एक मुफ्त खाद्यान्न योजना है जिसे सरकार द्वारा मार्च 2020 में कोविड महामारी को रोकने के लिए लगाए गए पहले राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान शुरू किया गया था. इसके तहत 5 किलो मुफ्त चावल या गेहूं और 1 किलो साबुत चना लाभार्थियों को दिया जाता है. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत पहले से उपलब्ध कराए गए सब्सिडी वाले राशन के अलावा प्रति माह 810 मिलियन से अधिक लोगों को वितरित किया जा रहा है.

विभाग के अनुसार राजकोषीय घाटा के अलावा यह कदम देश की खाद्य सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी उचित नहीं था. पांच लोगों के एक पात्र परिवार को 50 किलो से अधिक अनाज मिलता है - 25 किलो अनाज 2 या 3 रुपये प्रति किलो के मामूली मूल्य पर और शेष 25 किलो अनाज मुफ्त दिया जाता है. जब कोई महामारी नहीं है तो यह आवश्यकता से अधिक होगी. व्यय विभाग ने स्पष्ट कहा है कि खाद्य सब्सिडी में बढ़ोतरी न की जाए और न ही टैक्स में कटौती की जाए वरना फाइनेंसियल गणित गड़बड़ा जाएगा.

उत्पाद शुल्क में कटौती: 21 मई को केंद्र ने महंगाई को थामने के लिए पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में ₹8 और ₹6 प्रति लीटर क्रमश: की कमी की और प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के लगभग 9 करोड़ लाभार्थियों को 12 सिलेंडर तक के लिए ₹200 प्रति गैस सिलेंडर की सब्सिडी देने की घोषणा की. उसके बाद खाद्य तेल पर शुल्क में कटौती की गई. इन घोषणाओं के आधार पर वित्त मंत्रालय का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में लगभग ₹1 लाख करोड़ से अधिक के राजस्व का नुकसान होगा. वित्त वर्ष 2022-23 में 1.05 लाख करोड़ के बजट प्रावधान के मुकाबले उर्वरक सब्सिडी बिल 2.15 लाख करोड़ रुपये तक रहने का अनुमान है. साथ ही जानकारों ने चेताया है कि भू-राजनीतिक कारकों के कारण वैश्विक कीमतों में वृद्धि जारी रहने पर उर्वरक सब्सिडी बिल और भी ज्यादा हो सकता है.

यह भी पढ़ें-निजी कंपनियों को पेट्रोल पर 20-25, डीजल पर 14-18 रुपये लीटर का नुकसान, सरकार को पत्र लिखा

नई दिल्ली : वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने सितंबर से आगे मुफ्त भोजन राशन योजना का विस्तार करने या सरकार की वित्तीय स्थिति के परिणामों की चेतावनी देते हुए कोई टैक्स में बड़ी कटौती करने के खिलाफ अपना तर्क दिया है. बता दें कि केंद्र सरकार ने मार्च 2022 में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) को छह महीने के लिए बढ़ाकर सितंबर तक कर दिया था.

सरकार ने वित्त वर्ष 2022-2023 में खाद्य सब्सिडी के लिए 2.07 लाख करोड़ रुपये का बजट रखा है, जो वित्त वर्ष 2021-22 के लिए संशोधित 2.86 लाख करोड़ रुपये से कम है. सितंबर 22 तक पीएमजीकेएवाई के विस्तार से सब्सिडी बिल बढ़कर लगभग ₹ 2.87 लाख करोड़ होने की उम्मीद है. इस योजना को और छह महीने तक बढ़ाने से वित्त वर्ष 2022-23 में 80,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च हो सकते हैं, जिससे खाद्य सब्सिडी बढ़कर लगभग 3.7 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी.

विभाग ने जानकारों के अनुसार सरकार द्वारा भविष्य में किसी तरह की कर में कटौती या खाद्य सब्सिडी विस्तार करने से वित्तीय गणित गड़बड़ा सकते हैं. खासकर पीएमजीकेएवाई को उसके मौजूदा विस्तार के बाद खाद्य सुरक्षा और वित्तीय आधार पर जारी रखना अनुचित होगा. अधिकारी ने कहा कि मुफ्त राशन विस्तार, उर्वरक सब्सिडी में वृद्धि, रसोई गैस पर सब्सिडी को फिर से शुरू करने, पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कमी और खाद्य तेलों और विभिन्न इनपुट पर सीमा शुल्क में कटौती जैसे हाल के फैसलों ने एक गंभीर वित्तीय स्थिति उत्पन्न कर दी है. मुद्रास्फीति के दबाव को कम करने के लिए पिछले महीने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कमी से लगभग 1 लाख करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होने की उम्मीद है.

सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सकल घरेलू उत्पाद के 6.4% के राजकोषीय घाटे का बजट रखा है. फिच रेटिंग्स को उम्मीद है कि उच्च सब्सिडी और शुल्क में कटौती के कारण राजस्व की हानि के कारण राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 6.8% होगा. बीते मंगलवार को जारी मई माह के मासिक आर्थिक समीक्षा में, वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग ने कहा कि राजस्व व्यय थामना विकासोन्मुख पूंजीगत व्यय की रक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है, साथ ही लेकिन राजकोषीय घाटा को बढ़ने से रोकना होगा क्योंकि उच्च राजकोषीय घाटा चालू खाते के घाटे को बढ़ा सकता है.

लॉकडाउन के दौरान PMGKAY की शुरुआत: PMGKAY एक मुफ्त खाद्यान्न योजना है जिसे सरकार द्वारा मार्च 2020 में कोविड महामारी को रोकने के लिए लगाए गए पहले राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान शुरू किया गया था. इसके तहत 5 किलो मुफ्त चावल या गेहूं और 1 किलो साबुत चना लाभार्थियों को दिया जाता है. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत पहले से उपलब्ध कराए गए सब्सिडी वाले राशन के अलावा प्रति माह 810 मिलियन से अधिक लोगों को वितरित किया जा रहा है.

विभाग के अनुसार राजकोषीय घाटा के अलावा यह कदम देश की खाद्य सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी उचित नहीं था. पांच लोगों के एक पात्र परिवार को 50 किलो से अधिक अनाज मिलता है - 25 किलो अनाज 2 या 3 रुपये प्रति किलो के मामूली मूल्य पर और शेष 25 किलो अनाज मुफ्त दिया जाता है. जब कोई महामारी नहीं है तो यह आवश्यकता से अधिक होगी. व्यय विभाग ने स्पष्ट कहा है कि खाद्य सब्सिडी में बढ़ोतरी न की जाए और न ही टैक्स में कटौती की जाए वरना फाइनेंसियल गणित गड़बड़ा जाएगा.

उत्पाद शुल्क में कटौती: 21 मई को केंद्र ने महंगाई को थामने के लिए पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में ₹8 और ₹6 प्रति लीटर क्रमश: की कमी की और प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के लगभग 9 करोड़ लाभार्थियों को 12 सिलेंडर तक के लिए ₹200 प्रति गैस सिलेंडर की सब्सिडी देने की घोषणा की. उसके बाद खाद्य तेल पर शुल्क में कटौती की गई. इन घोषणाओं के आधार पर वित्त मंत्रालय का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में लगभग ₹1 लाख करोड़ से अधिक के राजस्व का नुकसान होगा. वित्त वर्ष 2022-23 में 1.05 लाख करोड़ के बजट प्रावधान के मुकाबले उर्वरक सब्सिडी बिल 2.15 लाख करोड़ रुपये तक रहने का अनुमान है. साथ ही जानकारों ने चेताया है कि भू-राजनीतिक कारकों के कारण वैश्विक कीमतों में वृद्धि जारी रहने पर उर्वरक सब्सिडी बिल और भी ज्यादा हो सकता है.

यह भी पढ़ें-निजी कंपनियों को पेट्रोल पर 20-25, डीजल पर 14-18 रुपये लीटर का नुकसान, सरकार को पत्र लिखा

Last Updated : Jun 24, 2022, 5:03 PM IST
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