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सीतारमण बोलीं- आत्मनिर्भर भारत का मकसद रोजगार, दुनिया से अलग-थलग करना या संरक्षण देना नहीं

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वाशिंगटन में कहा कि आत्मनिर्भर भारत का गलत आशय निकाला जाता है. भारत को कुशल और अर्द्धकुशल कामगारों के लिए रोजगार के अवसरों के सृजन के लिहाज से जीडीपी में अपनी विनिर्माण साझेदारी बढ़ानी चाहिए.

Finance Minister Nirmala Sitharaman Annual Meeting of the Monetary Fund and the World BankEtv Bharat
‘आत्मनिर्भर भारत’ जीडीपी में विनिर्माण हिस्सेदारी बढ़ाने की स्वीकार्यता है: सीतारमणEtv Bharat
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Published : Oct 12, 2022, 6:30 AM IST

Updated : Oct 12, 2022, 7:05 AM IST

वाशिंगटन: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को यहां कहा कि आत्मनिर्भर भारत न तो 'पृथकतावाद' है और ना ही 'संरक्षणवाद', बल्कि यह इस तथ्य की स्वीकार्यता है कि भारत को जीडीपी में अपनी विनिर्माण हिस्सेदारी बढ़ानी चाहिए. सीतारमण ने यहां प्रतिष्ठित ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूट में लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में व्यापक तौर पर औद्योगिकीकरण नहीं हुआ क्योंकि इसके लिए अवसंरचना और संपर्क की कमी थी.

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की महत्वाकांक्षी आत्मनिर्भर भारत परियोजना का उल्लेख करते हुए कहा, 'हमने पिछले आठ साल में इस बात पर ध्यान केंद्रित किया है.' उन्होंने कहा कि ‘आत्मनिर्भर’ भारत का गलत आशय निकाला जाता है जबकि वास्तव में यह इस तथ्य की स्वीकार्यता है कि भारत को कुशल और अर्द्धकुशल कामगारों के लिए रोजगार के अवसरों के सृजन के लिहाज से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में अपनी विनिर्माण साझेदारी बढ़ानी चाहिए.

'वैश्विक प्रभाव' की जिम्मेदारी लेनी चाहिए : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विभिन्न देशों पर प्रतिबंध लगाने के खिलाफ पश्चिम जगत को आगाह करते हुए मंगलवार को कहा कि निकट भविष्य में विकसित देशों को अपने राजनीतिक और आर्थिक नीतिगत फैसलों के 'वैश्विक प्रभाव' की जिम्मेदारी लेनी चाहिए. सीतारमण अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक की वार्षिक बैठक में भाग लेने के लिए के लिए मंगलवार को यहां पहुंचीं.

इस बैठक के दौरान वर्तमान वैश्विक आर्थिक स्थिति पर चर्चा की जाएगी. वित्त मंत्री अपनी यात्रा के दौरान अमेरिकी वित्त मंत्री जेनेट येलेन के साथ द्विपक्षीय बैठक भी करेंगी. ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूट थिंक-टैंक में अपने पहले से लिखे भाषण में उन्होंने कहा, 'यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग की पहले से कहीं अधिक आवश्यकता है.'

ये भी पढ़ें- जयशंकर ने ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री से की मुलाकात; शांतिपूर्ण हिंद-प्रशांत के महत्व पर दिया जोर

सीतारमण ने कहा, 'निकट भविष्य में, विकसित देशों को अपने राजनीतिक और आर्थिक नीतिगत फैसलों के वैश्विक प्रभाव के लिए जिम्मेदारी लेनी चाहिए और उन राष्ट्रों पर प्रतिबंध लगाने के बजाय जो केवल अपने लोगों के लिए अपने नैतिक और लोकतांत्रिक दायित्वों को पूरा कर रहे हैं, सुरक्षा तंत्र को मजबूत किया जाना चाहिए.' सीतारमण की इस टिप्पणी का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिमी देश रूस से अपनी तेल खरीद को कम करने की कोशिश कर रहे हैं और यहां तक ​​कि अन्य देशों के ऐसा जारी रखने पर प्रतिबंध की चेतावनी भी दे रहे हैं.

(पीटीआई-भाषा)

वाशिंगटन: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को यहां कहा कि आत्मनिर्भर भारत न तो 'पृथकतावाद' है और ना ही 'संरक्षणवाद', बल्कि यह इस तथ्य की स्वीकार्यता है कि भारत को जीडीपी में अपनी विनिर्माण हिस्सेदारी बढ़ानी चाहिए. सीतारमण ने यहां प्रतिष्ठित ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूट में लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में व्यापक तौर पर औद्योगिकीकरण नहीं हुआ क्योंकि इसके लिए अवसंरचना और संपर्क की कमी थी.

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की महत्वाकांक्षी आत्मनिर्भर भारत परियोजना का उल्लेख करते हुए कहा, 'हमने पिछले आठ साल में इस बात पर ध्यान केंद्रित किया है.' उन्होंने कहा कि ‘आत्मनिर्भर’ भारत का गलत आशय निकाला जाता है जबकि वास्तव में यह इस तथ्य की स्वीकार्यता है कि भारत को कुशल और अर्द्धकुशल कामगारों के लिए रोजगार के अवसरों के सृजन के लिहाज से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में अपनी विनिर्माण साझेदारी बढ़ानी चाहिए.

'वैश्विक प्रभाव' की जिम्मेदारी लेनी चाहिए : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विभिन्न देशों पर प्रतिबंध लगाने के खिलाफ पश्चिम जगत को आगाह करते हुए मंगलवार को कहा कि निकट भविष्य में विकसित देशों को अपने राजनीतिक और आर्थिक नीतिगत फैसलों के 'वैश्विक प्रभाव' की जिम्मेदारी लेनी चाहिए. सीतारमण अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक की वार्षिक बैठक में भाग लेने के लिए के लिए मंगलवार को यहां पहुंचीं.

इस बैठक के दौरान वर्तमान वैश्विक आर्थिक स्थिति पर चर्चा की जाएगी. वित्त मंत्री अपनी यात्रा के दौरान अमेरिकी वित्त मंत्री जेनेट येलेन के साथ द्विपक्षीय बैठक भी करेंगी. ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूट थिंक-टैंक में अपने पहले से लिखे भाषण में उन्होंने कहा, 'यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग की पहले से कहीं अधिक आवश्यकता है.'

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सीतारमण ने कहा, 'निकट भविष्य में, विकसित देशों को अपने राजनीतिक और आर्थिक नीतिगत फैसलों के वैश्विक प्रभाव के लिए जिम्मेदारी लेनी चाहिए और उन राष्ट्रों पर प्रतिबंध लगाने के बजाय जो केवल अपने लोगों के लिए अपने नैतिक और लोकतांत्रिक दायित्वों को पूरा कर रहे हैं, सुरक्षा तंत्र को मजबूत किया जाना चाहिए.' सीतारमण की इस टिप्पणी का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिमी देश रूस से अपनी तेल खरीद को कम करने की कोशिश कर रहे हैं और यहां तक ​​कि अन्य देशों के ऐसा जारी रखने पर प्रतिबंध की चेतावनी भी दे रहे हैं.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Oct 12, 2022, 7:05 AM IST
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