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बंगाल चुनाव बाद हिंसा : अंतिम सुनवाई समाप्त, आदेश सुरक्षित - post poll violence matter

बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद हुई कथित हिंसा मामले की अंतिम सुनवाई समाप्त हो गई है और आदेश को सुरक्षित रख लिया गया है.

बंगाल चुनाव बाद हिंसा
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Published : Aug 3, 2021, 2:58 PM IST

नई दिल्ली : बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद हुई कथित हिंसा मामले की अंतिम सुनवाई समाप्त हो गई है और आदेश को सुरक्षित रख लिया गया है.

बता दें कि इसके पहले इस मामले की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं ने सोमवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की जांच समिति की सिफारिशों के अनुसार बलात्कार और हत्या जैसे गंभीर अपराधों की जांच सीबीआई को सौंपने का अनुरोध किया.

अदालत में प्रदेश पुलिस का पक्ष रख रहे अधिवक्ता ने सीबीआई जांच के अनुरोध का विरोध किया और दावा किया कि उच्च न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की पीठ के निर्देश पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष द्वारा गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट आधारहीन और राजनीति से प्रेरित है.

पांच न्यायाधीशों की पीठ को 13 जुलाई को सौंपी गई अपनी अंतिम रिपोर्ट में कमेटी ने कहा था कि यह मुख्य विपक्षी दल के समर्थकों के खिलाफ सत्तारूढ़ दल के समर्थकों द्वारा प्रतिशोधात्मक हिंसा थी और बलात्कार एवं हत्या जैसे गंभीर अपराधों की जांच सीबीआई को सौंपने की सिफारिश की थी.

पढ़ें :- एनएचआरसी की रिपोर्ट के जवाब में हलफनामा दे बंगाल सरकार : अदालत

मामले में पक्षकार बनाने का अनुरोध करते हुए प्रदेश सरकार के वन मंत्री ज्योतिप्रियो मलिक एवं तृणमूल कांग्रेस विधायक पार्थ भौमिक के अधिवक्ताओं ने कहा कि बगैर उनसे बातचीत किए एनएचआरसी की कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में 'कुख्यात अपराधियों' की सूची में उनसे मिलता-जुलता नाम शामिल कर दिया गया है.

नई दिल्ली : बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद हुई कथित हिंसा मामले की अंतिम सुनवाई समाप्त हो गई है और आदेश को सुरक्षित रख लिया गया है.

बता दें कि इसके पहले इस मामले की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं ने सोमवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की जांच समिति की सिफारिशों के अनुसार बलात्कार और हत्या जैसे गंभीर अपराधों की जांच सीबीआई को सौंपने का अनुरोध किया.

अदालत में प्रदेश पुलिस का पक्ष रख रहे अधिवक्ता ने सीबीआई जांच के अनुरोध का विरोध किया और दावा किया कि उच्च न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की पीठ के निर्देश पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष द्वारा गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट आधारहीन और राजनीति से प्रेरित है.

पांच न्यायाधीशों की पीठ को 13 जुलाई को सौंपी गई अपनी अंतिम रिपोर्ट में कमेटी ने कहा था कि यह मुख्य विपक्षी दल के समर्थकों के खिलाफ सत्तारूढ़ दल के समर्थकों द्वारा प्रतिशोधात्मक हिंसा थी और बलात्कार एवं हत्या जैसे गंभीर अपराधों की जांच सीबीआई को सौंपने की सिफारिश की थी.

पढ़ें :- एनएचआरसी की रिपोर्ट के जवाब में हलफनामा दे बंगाल सरकार : अदालत

मामले में पक्षकार बनाने का अनुरोध करते हुए प्रदेश सरकार के वन मंत्री ज्योतिप्रियो मलिक एवं तृणमूल कांग्रेस विधायक पार्थ भौमिक के अधिवक्ताओं ने कहा कि बगैर उनसे बातचीत किए एनएचआरसी की कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में 'कुख्यात अपराधियों' की सूची में उनसे मिलता-जुलता नाम शामिल कर दिया गया है.

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