कोच्चि : हिंसाग्रस्त सूडान से निकाले जाने के बाद केरल लौटे राज्य के लोगों का कहना है कि वापस आने पर उन्हें राहत मिली है और उनका बचना एक चमत्कार की तरह है.
वे नई दिल्ली से सुबह यहां अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पहुंचे. बिजी अलाप्पट ने कहा, 'ईश्वर के आशीर्वाद के कारण हम स्वदेश वापस आ गए. संघर्ष विराम के बावजूद सूडान के कई हिस्सों में अब भी लड़ाई जारी है.'
यहां के कक्कानाड के रहने वाले अलाप्पट केरलवासियों के पहले समूह में शामिल थे, जो बुधवार को विदेश मंत्रालय द्वारा सुरक्षित निकाले जाने के बाद सूडान से आज सुबह अपने गृह राज्य पहुंचे.
हवाई अड्डे के बाहर मीडिया से बात करते हुए अलाप्पट ने कहा कि सूडान में जीवन पिछले कई सालों से शांतिपूर्ण रहा है और उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि सेना के दो गुटों के बीच लड़ाई होगी.
उन्होंने कहा कि सूडान में कम से कम छह से सात हजार भारतीय रहते थे. सूडान की एक तेल कंपनी में काम करने वाले अलाप्पट ने कहा, 'बड़ी संख्या में भारतीय पहले ही खारतूम से बस के जरिये अन्य स्थानों पर जा चुके हैं. मुझे लगता है, अगर हम प्रतिदिन 500-600 लोगों को निकाल सकते हैं, तो हम 10 दिनों में मिशन पूरा कर सकते हैं.'
हिंसा प्रभावित सूडान में स्थिति के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि ईंधन की आपूर्ति में कमी और लूटपाट की घटनाओं में वृद्धि हुई है. अलाप्पट के अलावा उनकी पत्नी और तीन बच्चे भी सुबह यहां पहुंचे.
उनकी पत्नी शेरोन ने कहा कि वह सुरक्षित घर पहुंचकर और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर बहुत राहत महसूस कर रही हैं. कोट्टारक्करा के एक दंपति थॉमस वर्गीज और शीलम्मा थॉमस आज सुबह राज्य पहुंचे. उन्होंने कहा कि गृह राज्य में उनकी वापसी 'एक चमत्कार की तरह' है.
थॉमस ने तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे के बाहर संवाददाताओं से कहा, 'हमने कभी नहीं सोचा था कि हम वापस आ सकते हैं. हम वहां 18 साल से रह रहे थे और पहले कभी ऐसी स्थिति का सामना नहीं किया था. हिंसा शुरू होने के बाद वहां जीवन बहुत दयनीय था.' उनके परिवार ने केंद्र और राज्य सरकार को निकासी मिशन के लिए धन्यवाद दिया.
इस महीने की शुरुआत में सूडान के खारतूम में गोलीबारी में मारे गए राज्य के एक सेवानिवृत्त सैनिक अल्बर्ट ऑगस्टाइन की पत्नी और बेटी भी आज सुबह राज्य पहुंचीं.
पढ़ें- Operation Kaveri : क्यों भारतीयों को छोड़ना पड़ रहा है सूडान, जानें वजह
(पीटीआई-भाषा)